गोपाल बी कटेशिया

गुजरात के जामनगर में 17 अगस्त को बीजेपी की तीन बड़ी महिला नेता आपस में भिड़ गईं थीं। इसमें रविंद्र जडेजा की पत्नी और जामनगर नॉर्थ से विधायक रिवाबा जडेजा की पहले मेयर बीना कोठारी से तू-तू मैं-मैं हुई, जब दो बार की स्थानीय सांसद पूनम माडम बीच-बचाव करने आईं तो रिवाबा उन पर भी भड़क गई थीं। इसी घटना वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था। इस सार्वजनिक विवाद के पीछे पीछे दिसंबर 2022 के विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान पैदा हुआ मनमुटाव माना जा रहा है। जिसका खामियाजा बीजेपी का लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है।

1 अगस्त को शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित ‘मेरी मिट्टी मेरा देश’ कार्यक्रम में आए लोगों ने जब सांसद को याद दिलाया कि कोठारी उनकी वरिष्ठ हैं, तो उन्होंने जडेजा को मैडम पर गुस्सा करते हुए देखा था। जडेजा ने कहा, ”मैंने चुनाव के दौरान उनकी (कोठारी की) परिपक्वता देखी है।”

हालांकि इस पूरे विवाद के छह दिन बाद जामनगर की मेयर और विधायक रिवाबा जडेजा द्वारा विवाद को खत्म करने की कोशिश की गई थी। जिसका एक वीडियो भी वायरल हुआ था। यह वीडियो तब का है, जब चंद्रयान-3 ने चांद पर सफल लैंडिंग की थी। उसी दौरान रिवाबा जडेजा और कोठारी एक-दूसरे के मिठाई खिलाती हुई देखी गईं। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच जो चल रहा है, उसे देखते हुए 17 अगस्त की घटना पर पर्दा डालने में अभी और वक्त लग सकता है।

रिवाबा जडेजा की बयानबाजी से साफ प्रतीत था कि कोठारी ने विधानसभा चुनावों के दौरान उनके लिए पर्याप्त प्रचार नहीं किया था। लंबे समय से आरएसएस कार्यकर्ता रहीं कोठारी को भाजपा ने क्रिकेटर रवींद्र जड़ेजा की पत्नी के लिए विधानसभा चुनाव प्रचार करने का काम सौंपा था। इससे पहले जडेजा ने संकेत दिया था कि कोठारी ने चुनाव अभियान के दौरान उनके लिए दमखम के साथ मेहनत नहीं की थी। हालांकि, उसके बावजूद भी उन्हें जामनगर उत्तर में 53,570 वोटों के भारी अंतर से जीत मिली।

17 अगस्त की घटना के बाद कोठारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि उन्हें इस बात से कोई दिक्कत नहीं है कि जडेजा उनके योगदान पर अलग विचार रखती हैं। उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी ने मुझे जो जिम्मेदारी सौंपी थी, उसे मैंने अपनी पूरी मेहनत और लगन से निभाया था। मैंने किसी भी पार्टी कार्यकर्ता को ऐसी कोई बात नहीं कही है, जिससे पार्टी को ठेस पहुंचे। इसके बावजूद, अगर लोग अलग धारणा रखते हैं, तो मुझे इससे भी कोई दिक्कत नहीं है।

इससे पहले, मेयर के रूप में जडेजा ने कोठारी पर जनता से संबंधित कार्य ने करने का हवाला देते हुए तीन बार निशाना साधा था। वहीं हाल ही में जडेजा ने मेयर को दरकिनार कर जामनगर नगर निगम के ठेकेदारों की बैठक बुलाई थी। इस बारे में पूछे जाने पर कोठारी ने फिर कहा कि वह इससे प्रभावित नहीं हैं। वह (जडेजा) हमारी पार्टी अध्यक्ष के साथ समन्वय में काम कर सकती हैं। मुझे लोगों की अलग-अलग कार्यशैली से कोई आपत्ति नहीं है।

उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बीजेपी इस घटना को कम करने की कोशिश कर रही है। जामनगर भाजपा अध्यक्ष विमल कगथारा ने कहा कि कोई इस घटना को किस तरह से देखता है यह उसका व्यक्तिगत मामला है। विचार अलग हो सकते हैं। उन्होंने कहा, मुझे नहीं पता कि उन्होंने (जडेजा ने) किस संदर्भ में उस शब्द (वादिलपनु) का इस्तेमाल किया, क्योंकि मैं तब से विधायक से नहीं मिला हूं।’

भाजपा नेता निजी तौर पर कहते हैं कि यह घटना राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के टकराव की वजह से ज्यादा है। क्योंकि जडेजा के बढ़ते कद से पार्टी नेताओं में बेचैनी है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह सब विधायक की नासमझी और अनुशासन की कमी को दर्शाता है, जो आपको एक अनुभवी भाजपा कार्यकर्ता में नहीं मिलेगा।’

इस विवाद को लेकर कांग्रेस नेता कहते हैं कि यह तनाव 2024 के लोकसभा चुनावों में दिखाई देगा। जामनगर कांग्रेस के अध्यक्ष जीवन कुंभरवाडिया कहते हैं कि सार्वजनिक विवाद राज्य भाजपा के भीतर प्रतिद्वंद्विता और महत्वाकांक्षा से प्रेरित है। यह बीजेपी में इस बात को इंगित करता है कि बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं है।

जामनगर नगर निगम के वार्ड नंबर 5, जहां से कोठारी दो बार चुनी गई हैं और जो जडेजा के जामनगर उत्तर निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है, वहां अल्पसंख्यक समुदाय और दलितों का वर्चस्व है, जिसमें क्षत्रिय तीसरा सबसे बड़ा समूह है। जामनगर उत्तर सीट तब तक भाजपा का किला रही थी जब तक कांग्रेस नेता धर्मेंद्र सिंह जडेजा उर्फ हकुभा ने 2012 में इसे तोड़ नहीं दिया था। 2017 में उन्होंने फिर से जीत हासिल की, हालांकि इस बार वह भाजपा के उम्मीदवार के रूप में थे।

एक भाजपा नेता ने कहा, ‘2022 के विधानसभा चुनाव से पहले, कुछ स्थानीय पार्टी नेताओं ने यह सुनिश्चित किया कि धर्मेंद्र सिंह को जामनगर उत्तर से टिकट न मिले, क्योंकि वह बहुत शक्तिशाली हो रहे थे। उनकी जगह रिवाबा जडेजा को शामिल किया गया, लेकिन धर्मेंद्र सिंह जैसे दिग्गज को दरकिनार कर दिया गया था, इसलिए इस कदम के पीछे के भाजपा नेताओं को भारी अंतर से पार्टी की जीत सुनिश्चित करके एक बात साबित करनी थी। इसलिए, उन्होंने अतिरिक्त प्रयास किया। कोठारी और पूर्व महापौर अमीबेन पारिख को रिवाबा का मार्गदर्शन करने के लिए निर्देशित किया गया था, क्योंकि वह एक राजनीतिक नौसिखिया थीं।”

जानिए पूनम माडम का राजनीतिक करियर

पूनम माडम ओबीसी अहीर समुदाय से हैं और उनके पिता हेमंत माडम चार बार विधायक और दो बार जामनगर के मेयर रहे, जो हमेशा निर्दलीय रहे। 2012 में माडम को वर्तमान देवभूमि द्वारका जिले के खंभालिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट की प्रबल दावेदार के रूप में देखा गया था, जबकि उनके चाचा विक्रम माडम ने जामनगर के कांग्रेस सांसद के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा किया था। जब कांग्रेस ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा करने में आनाकानी की, तो माडम भाजपा में चली गईं, जिसने उन्हें खंभालिया से मैदान में उतारा, जहां से उन्होंने जीत हासिल की। 2014 में भाजपा ने उन्हें जामनगर लोकसभा सीट से उनके चाचा विक्रम के खिलाफ मैदान में उतारा। माडम ने जीत हासिल की, जिससे भाजपा को 10 साल बाद जामनगर को कांग्रेस से वापस छीनने में मदद मिली और उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

इसके विपरीत जडेजा को काफी हद तक अपने पति और भारतीय क्रिकेट टीम के हरफनमौला खिलाड़ी रवींद्र जडेजा की लोकप्रियता पर निर्भर माना जाता है। नवंबर 2018 में दोनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। जिसके बाद पीएम ने इस मुलाकात को लेकर ट्वीट किया था। चार महीने से भी कम समय में मार्च 2019 में, लोकसभा चुनाव से पहले मोदी की जामनगर यात्रा की पूर्व संध्या पर जडेजा भाजपा में शामिल हुई थीं। तीन साल बाद उन्हें विधानसभा का टिकट मिला था।

17 अगस्त की घटना के बाद जडेजा ने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने से पहले अपने जूते उतार दिए। जब मेयर कोठारी जो उनके पीछे चल रहे थी। रिवाबा के मुताबिक, जब मैं अपने जूते उथार रही थी, तब माडम ने मुझ पर बयान देते हुए कहा था कि देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति भी ऐसे कार्यक्रम में आने पर अपने चप्पल जूते नहीं उतारते, लेकिन शायद उन्हें नहीं पता क्योंकि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है। सांसद के इस बयान से मुझे गुस्सा आ गया। जब बात आत्मसम्मान की हो तो मैं अपने बारे में ऐसे बयान नहीं सुन सकती।