भारत में कोरोनावायरस के बढ़ते केसों के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के चलते सरकार की चिंता भी बढ़ी है। देश में फिलहाल सबसे बड़ी समस्या मरीजों के लिए जीवनरक्षक ऑक्सीजन की है। अब तक कई राज्यों में ऑक्सीजन की वजह से लोगों के न बच पाने की खबरें आ रही हैं। ऐसे में सरकार ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए पहले ही उद्योगों की सप्लाई को अस्पतालों की तरफ मोड़ दिया है। वहीं, बड़े उद्योगों ने खुद भी आमजन को बचाने के लिए योगदान का ऐलान किया है। इनमें रिलायंस और टाटा ग्रुप सबसे आगे हैं। खबर है कि टाटा समूह देश में ऑक्सीजन की कमी पूरी करने के लिए 24 क्रायोजेनिक कंटेनरों का आयात करेगा। ग्रुप ने इसका ऐलान ट्विटर पर किया, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी टाटा के इस कदम की तारीफ में ट्वीट किया।
टाटा ग्रुप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “टाटा समूह तरल ऑक्सीजन के परिवहन के लिए 24 क्रायोजेनिक कंटेनरों का आयात कर रहा है और देश में ऑक्सीजन की कमी को कम करने में मदद कर रहा है।” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन की प्रशंसा करते हुए समूह ने कहा कि वह “कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए यथासंभव अधिक से अधिक करने के लिए प्रतिबद्ध है।” इसके तहत ऑक्सीजन संकट को कम करने के लिए चार्टर्ड उड़ानों के जरिए क्रायोजेनिक कंटेनरों का आयात किया जा रहा है।
बता दें कि पिछले साल महामारी की पहली लहर के दौरान टाटा समूह ने वेंटिलेटर, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट, मास्क, दस्ताने और परीक्षण किट का इंतजाम किया था। कोरोनावायरस महामारी का मुकाबला करने के लिए समूह ने 1,500 करोड़ रुपये देने का वादा किया था।
मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में ऑक्सीजन की कमी से सामूहिक रूप से निपटने के लिए दवा उद्योग सहित सभी हितधारकों का आह्वान किया था। इस बीच बिजली वितरण कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लि. (टाटा पावर-डीडीएल) ने कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच अस्पतालों, जल शोधन संयंत्रों जैसी जरूरी सेवाओं समेत अपने सभी ग्राहकों को 24 घंटे सुचारू बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये स्मार्ट प्रौद्योगिकी का उपयोग, विद्युत की अतिरिक्त व्यवस्था समेत जरूरी कदम उठाये हैं।
उत्तरी दिल्ली में करीब 70 लाख ग्राहकों को बिजली आपूर्ति करने वाली टाटा पावर डीडीएल ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि गर्मी के महीनों में बिजली की मांग में होने वाली बढ़ोतरी को देखते हुए 2,150 मेगावाट की अधिकतम मांग के अनुमान के मुकाबले 2,500 मेगावाट से अधिक बिजली की व्यवस्था की गयी है।
