उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोविड-19 के मामले बढ़ने के लिए निर्वाचन आयोग को जिम्मेदार ठहराने वाली मद्रास उच्च न्यायालय की आलोचनात्मक टिप्पणियों को हटाने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि ये न्यायिक आदेश का हिस्सा नहीं है और साथ ही उसने मीडिया को न्यायिक कार्यवाही के दौरान टिप्पणियों की रिपोर्टिंग करने से रोकने का अनुरोध भी ठुकरा दिया। न्यायालय ने कहा कि यह एक “प्रतिगामी” कदम होगा।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने हालांकि यह माना कि उच्च न्यायालय की टिप्पणियां “कठोर” थी और “बिना सोचे-समझे की गई टिप्पणियों की गलत व्याख्या किए जाने की आशंका होती है।” पीठ ने कहा कि मीडिया को सुनवाई के दौरान की गई टिप्पणियों की रिपोर्टिंग करने से रोका नहीं जा सकता। शीर्ष अदालत ने कोविड-19 के दौरान सराहनीय काम करने के लिए उच्च न्यायालयों की प्रशंसा करते हुए कहा, “उच्च न्यायालयों को टिप्पणियां करने और मीडिया को टिप्पणियों की रिपोर्टिंग करने से रोकना प्रतिगामी कदम होगा।”

पीठ ने कहा कि अदालतों को मीडिया की बदलती प्रौद्योगिकी को लेकर सजग रहना होगा। उसने कहा कि यह अच्छी बात नहीं है कि उसे न्यायिक कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने से रोका जाए। यह फैसला मद्रास उच्च न्यायालय की टिप्पणी के खिलाफ निर्वाचन आयोग की एक अपील पर आया है।

उच्च न्यायालय ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामले बढ़ने के लिए 26 अप्रैल को चुनाव आयोग की आलोचना करते हुए उसे इस संक्रामक रोग के फैलने के लिए जिम्मेदार बताया था और उसे “सबसे गैरजिम्मेदार संस्थान” बताया और यहां तक कि यह भी कहा था कि उसके अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा चलाना चाहिए।

इधर, दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि लोगों का नैतिक तानाबाना बहुत हद तक “विखंडित” हो गया है, क्योंकि कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए एकसाथ आने की बजाय वे ऑक्सीजन सिलेंडर, दवाओं और सांद्रकों की जमाखोरी और कालाबाजारी में लिप्त हैं।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा, “हम अभी भी स्थिति की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं, इसीलिए हम एकसाथ नहीं आ रहे हैं। इसी कारण हम जमाखोरी और कालाबाजारी के मामले देख रहे हैं। हमारा नैतिक तानाबाना काफी हद तक विखंडित हो गया है।” अदालत की यह टिप्पणी एक वकील के इस सुझाव के जवाब में आई कि सेवानिवृत्त चिकित्सा पेशेवरों, मेडिकल छात्रों या नर्सिंग छात्रों की सेवाएं मौजूदा स्थिति में सहायता प्रदान करने के लिए ली जा सकती है, क्योंकि इस समय केवल दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और बिस्तरों की ही नहीं बल्कि कर्मियों की भी कमी है।