Supreme Court on Freedom of Expression: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस कार्यकर्ताओं के कथित आपत्तिजनक कार्टून सोशल मीडिया पर शेयर करने के मामले में आरोपी कार्टूनिस्ट की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई की और कार्टून को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग बताया। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय के वकील से पूछा कि आप यह सब क्यों करते हैं?

हेमंत मालवीय की ओर से वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि यह मामला 2021 में कोविड-19 महामारी के दौरान बनाए गए एक कार्टून से जुड़ा है। वकील ने कहा कि यह नापसंद हो सकता है, हां ये घटिया कार्टून है लेकिन क्या ये अपराध है, नहीं अपराध नहीं है। आरोपी की वकील ने कहा कि यह आपत्तिजनक हो सकता है, लेकिन यह अपराध नहीं है। मैं सिर्फ़ क़ानून की बात कर रही हूं। मैं किसी भी चीज़ को सही ठहराने की कोशिश नहीं कर रही हूं।

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अभिव्यक्ति का आजादी का हनन

वृंदा ग्रोवर मालवीय द्वारा की गई पोस्ट को हटाने के लिए सहमति जताई गई। जस्टिस धूलिया ने कहा कि हम इस मामले में चाहे जो भी करें, लेकिन यह निश्चित रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन है। मध्य प्रदेश की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने कहा कि ऐसी “चीज़ें” बार-बार की जाती हैं। जब ग्रोवर ने कहा कि कुछ परिपक्वता होनी चाहिए, तो नटराज ने कहा कि यह सिर्फ़ परिपक्वता का सवाल नहीं है। यह इससे कहीं ज़्यादा है।

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कार्टून के पब्लिश होने के समय का जिक्र करते हुए ग्रोवर ने कहा कि तब से कोई क़ानून-व्यवस्था की समस्या नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि मुद्दा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है और क्या इसके लिए गिरफ़्तारी और रिमांड की ज़रूरत होगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।

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हाईकोर्ट के आदेश को दी चुनौती

आरोपी की वकील ने वृंदा ग्रोवर ने पीठ से याचिकाकर्ता को तब तक अंतरिम संरक्षण प्रदान करने का अनुरोध किया। पीठ ने कहा कि हम इस पर कल विचार करेंगे। मालवीय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 3 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उन्हें अग्रिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया गया था। मालवीय पर मई में इंदौर के लसूड़िया पुलिस थाने में वकील और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता विनय जोशी की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था।

विनय जोशी ने आरोप लगाया कि मालवीय ने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री अपलोड करके हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाई और सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ा। प्राथमिकी में कई “आपत्तिजनक” पोस्ट का उल्लेख किया गया है, जिनमें भगवान शिव पर कथित रूप से अनुचित टिप्पणियों के साथ-साथ मोदी, आरएसएस कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों के बारे में कार्टून, वीडियो, तस्वीरें और टिप्पणियाँ शामिल हैं।

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