सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट ने खेडकर की उस याचिका पर दिया, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 14 फरवरी 2025 तक के लिए टाल दी और तब तक खेडकर के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को खारिज कर दी थी जमानत याचिका

इसके पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर 2024 को पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि खेडकर के खिलाफ दर्ज मामला गंभीर है, जिसमें यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी और ओबीसी और विकलांगता कोटा का गलत लाभ उठाने का आरोप है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की थी कि यह मामला न केवल एक संवैधानिक संस्था बल्कि समाज के साथ धोखाधड़ी का भी है।

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हाईकोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि मामले की जांच जरूरी है, ताकि साजिश का पता लगाया जा सके। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पूजा को पहले दी गई अंतरिम सुरक्षा हटाई जाए।

पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 में आरक्षण का लाभ लेने के लिए फर्जी दस्तावेज पेश किए थे और फर्जी पहचान दिखाकर परीक्षा में शामिल होने का प्रयास किया था। यूपीएससी ने इस मामले में उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और उन्हें सभी आगामी परीक्षाओं से स्थायी रूप से वंचित कर दिया था।

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 2023 बैच की प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा पास करने के लिए ओबीसी और दिव्यांग कोटे का गलत तरीके से इस्तेमाल किया। इस मामले में यूपीएससी ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। यूपीएससी की जांच में खेडकर का चयन रद्द कर दिया गया और उन्हें कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया। इसके अलावा, उन्हें भविष्य में किसी भी परीक्षा में बैठने से भी रोक दिया गया है। यूपीएससी ने एक बयान में कहा कि खेडकर ने अपनी पहचान छिपाकर अपना नाम बदलकर परीक्षा के नियमों का उल्लंघन किया था, जिसे गहराई से जांचने के बाद यह साबित हुआ।