Bhima Koregaon Violence Case: महाराष्ट्र (Maharashtra) के भीमा कोरेगांव हिंसा मामले (Bhima Koregaon Violence Case) में आरोपी गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) के हाउस अरेस्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची ईडी को कड़ी फटकार लगी है।

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को आदेश दिया है कि ऑर्डर की कॉपी मिलने के 24 घंटे के अंदर गौतम नवलखा को हाउस अरेस्ट ( House Arrest) पर भेजा जाए। कोर्ट ने हाउस अरेस्ट की अनुमति देने वाले अपने आदेश को वापस लेने के राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के आवेदन को शुक्रवार (18 नवंबर, 2022) को खारिज कर दिया।

शीर्ष कोर्ट ने कहा कि हम आदेश वापस नहीं लेंगे, लेकिन दोनों पक्षों को सुनने के बाद हम कुछ और एहतियाती उपाय करने को कह रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि दूसरे दरवाजे और खिड़की की ग्रिल को सील कर दिया जाए। उसकी चाभी अपने पास रखें। ग्रिल के बगल में बिस्तर न लगाया जाए। सीसीटीवी कैमरा भी दक्षिणी द्वार पर लगाया जाए।

NIA की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि इस केस में सुप्रीम कोर्ट अपने हाउस अरेस्ट के आदेश को वापस ले। इस केस में ऐसे तथ्य आए हैं, जिनको छिपाया गया हैं। ये हमारी ड्यूटी है कि सारे मामले को कोर्ट के सामने रखे।

मेहता ने कोर्ट को बताया, ‘तथ्य काफी चौंकाने वाले हैं। सब मान रहे थे कि नवलखा का स्वास्थ्य खराब है। उन्होंने कई अस्पतालों में जाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद वो जसलोक अस्पताल गए, जहां उन्होंने एक वरिष्ठ डॉक्टर से अपने रिश्ते छिपाए।’ इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा, ‘यह सब दलीलें पहले हो चुकी हैं। यह मामला ऐसा नहीं है कि आपको दलीलें देने का मौका नहीं मिला। पूरी तरह सुनवाई हुई थी। अब क्या पुनर्विचार चाहते हैं?’

इस पर मेहता ने कहा, ‘भारी दिल से कह रहे हैं। जेलों में उनके जैसे और भी कैदी हैं। उनको इस तरह हाउस अरेस्ट में नहीं रखा जा सकता। मेडिकल रिपोर्ट देने वाले डॉक्टर नवलखा के रिश्तेदार हैं। इसके अलावा जो भवन नवलखा की नजरबंदी के लिए तय किया गया है वो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का दफ्तर है।

इसके बाद जस्टिस जोसेफ ने कहा कि तो क्या हुआ। जोसेफ ने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी देश की मान्यता प्राप्त पार्टी है। इस पर मेहता ने कहा, ‘क्या आपकी अंतरात्मा इसे सही मानती है। इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा कि हां मुझे इसमें कोई गड़बड़ नहीं दिखती। मेहता ने कहा कि हमें इसमें गड़बड़ी लगी। इसलिए मैंने कोर्ट के सामने यह तथ्य रखा।

NIA ने मुख्य तीन आधारों पर नवलखा के हाउस अरेस्ट को कैंसिल करने की मांग की थी। NIA का कहना था कि तथ्यों को जानबूझकर छिपाया गया। कानूनी प्रक्रिया दुरुपयोग किया गया। साथ ही एक्टिविस्ट की मेडिकल रिपोर्ट के संबंध में पक्षपात हुआ।