सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एल्गार परिषद मामले के संबंध में UAPA के आरोपों का सामना कर रहे एक्टिविस्ट गौतम नवलखा के अनुरोध को मान लिया। कोर्ट ने उन्हें मेडिकल चेकअप के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल ले जाने की अनुमति दे दी। कोर्ट ने कहा कि उन्हें चिकित्सा उपचार लेने का मौलिक अधिकार है और उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जाए।
नवलखा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस के एम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा, “हम याचिकाकर्ता को तुरंत पूरी तरह से मेडिकल चेकअप के लिए अस्पताल ले जाने का निर्देश देते हैं। तलोजा केंद्रीय कारागार (जहां नवलखा बंद है) के अधीक्षक को निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता को तुरंत मुंबई के जसलोक अस्पताल (नवलखा की पसंद का अस्पताल) ले जाया जाए, ताकि याचिकाकर्ता आवश्यक चिकित्सा जांच और उपचार प्राप्त करें।”
हालांकि अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि गौतम नवलखा जसलोक अस्पताल में इलाज के दौरान पुलिस हिरासत में रहेंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने अस्पताल प्रशासन से अगली सुनवाई तक अपनी रिपोर्ट भेजने को कहा है। बता दें कि मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को है। अदालत ने यह भी कहा कि केवल उनके साथी सहबा हुसैन और बहन मृदुला कोठारी को अस्पताल में उनके साथ बातचीत करने की अनुमति दी जाएगी। यह अनुमति अस्पताल के नियमों के अनुसार दी गई है।
गौतम नवलखा बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं दरअसल बॉम्बे हाई कोर्ट से नवलखा ने उन्हें जेल से ट्रांसफर कर घर पर हाउस अरेस्ट करने की अपील की थी लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका को ख़ारिज कर दिया था नवलखा ने कहा है कि वह स्किन एलर्जी और दांतों की समस्या से पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि वह कोलोनोस्कोपी की जांच चाहते हैं कि ताकि पता चले कि उन्हें कैंसर तो नहीं हुआ है।
नवलखा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि नवलखा की उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए याचिकाकर्ता को हिरासत के रूप में नजरबंद होने की अनुमति दी जानी चाहिए।
वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नवलखा माओवादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण यूएपीए के आरोपों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले में पूरे सबूत इलेक्ट्रॉनिक हैं और संभावना है कि अगर उन्हें नजरबंदी की अनुमति दी गई, तो वह इससे छेड़छाड़ कर सकते हैं।