सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को असम में डिटेंशन सेंटर्स के बारे में केंद्र सरकार से जानकारी मांगी है। कोर्ट ने केंद्र से डिंटेशन सेंटर में रखे कुल लोगों के बारे में जानकारी दे। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा यह भी पूछा है कि डिटेंशन सेंटर में जिन्होंने तीन साल पूरे कर लिए, उन्हें छोड़ा गया है या नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी की प्रक्रिया के पूरे होने के बाद बनाए गए डिटेंशन सेंटर्स से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र से जानकारी मांगी और स्टेट्स रिपोर्ट जारी करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश ऐसे समय पर जारी किया है जब संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्ट्रर फॉर सिटीजनशिप (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है।
कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि वे लोग जिन्हें डिटेंशन सेंटर्स में तीन साल से ज्यादा का वक्त हो गया है उन्हें एक लाख रुपये से ज्यादा की जमानत पर रिहा किया जाने का प्रावधान है।
वहीं इस प्रावधान के तहत छोड़े जाने वाले शख्स को हफ्ते में एक दिन स्थानीय पुलिस के समक्ष पेश होना होगा। बता दें कि असम में डिटेंशन सेंटर्स का निर्माणा किया जा रहा है यहां पर अवैध प्रवासियों को रखा जाएगा। वहीं पहले से मौजूद डिटेंशन सेंटर्स में लोगों को रखा गया है।
डिटेंशन सेंटर्स में किसी भी व्यक्ति को अधिकतम तीन साल के लिए ही रखा जा सकता है। वहीं वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश में 1000 लोगों को रिहा करने के लिए कहा गया था लेकिन 300 लोगों को ही रिहाई दी गई। ये वे लोग हैं जो सालों से डिटेंशन सेंटर्स में बंद हैं। उन लोगों का क्या हुआ जिन्हें रिहाई नहीं दी गई।