चालीस तापमान, लेकिन प्रचार धुंआधार। एक पत्रकार के जवाब में एक विपक्षी नेता कहिन कि ‘ईवीएम’ का खेला न हुआ, तो भाजपा को 180 से ज्यादा नहीं मिलने वाली। दूसरे ने फरमाया कि पहले 180 लगती थी, लेकिन अब 150 से ज्यादा नहीं मिलने वाली। एक दक्खिनी नेता कहिन कि 200 से 220 तक ही आ सकती हैं। जब एंकर ने पूछा कि आपकी कितनी आएंगी, तो कोई जवाब न आया! एक चर्चक कहिन कि ये सब ‘माइंड गेम्स’ हैं। पहले भाजपा ने ‘चार सौ पार’ का दांव चला तो ये ‘चार सौ हार’ का दांव चल रहे हैं।
ईवीएम का मामला कोर्ट में। एक चर्चा में चुनाव आयोग के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि ईवीएम हर तरह से ‘सुरक्षित’ है। जो जनता को साथ नहीं ले पाते, वही ‘ईवीएम’ का बहाना बनाते हैं। इस पर एक विपक्षी प्रवक्ता भड़क गए। जितना ‘चार सौ पार’ ने विपक्ष को तंग किया है, उतना ही ‘मोदी की गारंटी’ ने तंग किया है, लेकिन मोदी जैसे ही भीड़ को बोलते हैं कि ‘अभी तो ये ट्रेलर है’ तो जनता और जोर से ताली मारती दिखती है।
बहरहाल, इस बार की रामनवमी तो एकदम ‘भए प्रकट कृपाला’ वाले दृश्यों को लेकर आई! रामनवमी के दोपहर ऐन सवा बारह बजे सूर्य किरणें पांच मिनट तक रामलला के मस्तक का अभिषेक करती रहीं। ‘जय श्रीराम’ की जयकार दुनिया भर में सीधे प्रसारित होती रही। उधर, मोदी भी एक रैली के बीच अपने ‘टैबलेट’ पर इस दृश्य को देखते हुए और जनता को रामनवमी की याद दिलाते हुए ‘जय श्रीराम’ व ‘सियावर रामचंद्र की जय ’ बोलते-बुलवाते दिखे!
चर्चा में ‘इसरो’ के एक वैज्ञानिक ने रामलला के मस्तक पर किरण पहुंचाने की तकनीक और उन ज्योतिष गणनाओं को सही बताया, जिनके अनुसार उन्नीस वर्ष बाद हर रामनवमी पर ऐसे ही सूर्य तिलक के दर्शन होंगे। इसके बाद शुरू हुई ‘डेमोक्रेटिक हाय हाय’ कि देखो राजनीति में धर्म मिलाया जा रहा है। रामनवमी से ठीक पहले फिर बंगाल से ‘दंगा उवाच’ सुनाई दिए और रामनवमी के ही दिन मुर्शिदाबाद में ‘रामनवमी जुलूस’ पर पथराव खबरें भी आती दिखीं। एक भक्त प्रवक्ता कहिन कि रामनवमी के पहले ही ‘दंगा दंगा’ बोलकर क्या दंगे को निमंत्रण दिया जा रहा था?
इसी सप्ताह भाजपा, कांग्रेस, सपा और तृणमूल के घोषणापत्र आए। भाजपा ने साफ कहा कि ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करेंगे। ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ होगा। दुनिया में रामायण उत्सव मनाएंगे और तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक संस्थान बनाएंगे। तीन करोड़ गरीबों को घर देंगे, सत्तर बरस से ऊपर वाले सभी बुजुुर्गों को मुफ्त इलाज मिलेगा। इस पर दिल्ली के भाजपा उम्मीदवार मनोज तिवारी इतने विह्वल हुए कि पत्रकार से कहने लगे कि जिन वृद्धों को कोई नहीं पूछता, उनको मोदी ने पूछा है। तृणमूल ने कहा कि बंगाल में न सीएए लागू होगा, न एनआरसी न यूसीसी।
इस बार के ‘जनमत सर्वेक्षण’ भी विभक्त हैं। कुछ कहते हैं कि इस बार तमिलनाडु और केरल में भाजपा चमत्कार कर सकती है, तो कुछ कहते हैं कि तमिलनाडु या केरल में भाजपा को कुछ नहीं मिलने वाला। फिर भी अगर मोदी-शाह, नड््डा आदि वहां ‘रोड शो’ किए जा रहे हैं तो शायद इसीलिए कि उनको लगता है कि इस बार कुछ जरूर निकल सकता है। फिर खबर आई कि इक्कीस सेवानिवृत्त जजों ने प्रधान न्यायाधीश को शिकायत भेजी है कि अदालत पर दवाब डालते रहते हैं। अफसोस कि एकाध को छोड़ किसी चैनल ने इसे चर्चा के योग्य न समझा।
इसके बाद आया ‘एएनआइ’ को दिया गया डेढ़ घंटे लंबा मोदी का साक्षात्कार, जिसे लगभग हर हिंदी चैनल ने दिखाया। मोदी ने साफ कहा कि लोकतंत्र लोगों की रग-रग में है। संविधान हमारी आस्था का केंद्र है। उसे कोई नहीं बदल सकता। बाबा साहब तक नहीं बदल सकते। अगले कार्यकाल में रफ्तार बढ़ानी है। 2019 की तरह इस बार भी सौ दिन की योजना बनवा रहा हूं। ‘मोदी की गारंटी’ का मतलब कि हम जो कहते हैं, वह करते हैं… कई चर्चकों ने इस साक्षात्कार के लिए ‘एएनआइ’ की पत्रकार को शाबासी दी। एक धर्मनिरपेक्ष ने कहा कि मैं नहीं मानता कि राम मंदिर धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ था।
सप्ताह की आखिरी कहानी केजरीवाल द्वारा उनके घर से आते ही पूड़ी, आलू की सब्जी, मिठाई, केले, आम खाने और उनकी बढ़ती शुगर की रही, तो ईडी का कहना रहा कि यह सब जमानत पाने के लिए किया जा रहा है। एक मधुमेह विशेषज्ञ ने साफ कहा कि जो खाना केजरीवाल खा रहे हैं, वह किसी मधुमेह के मरीज के लिए सही नहीं है। अगले रोज अदालत में केजरीवाल के पक्षकार ने स्पष्ट किया कि पूड़ी-मिठाई आदि रामनवमी पर दी गई थी। सच जो हो, बेहतर यही है कि कोई बड़ा विशेषज्ञ केजरीवाल की खुराक और इंसुलिन की देखरेख करे, क्योंकि मधुमेह के रोगी का मामला खासा नाजुक होता है!