भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी अक्सर ही अपनी पार्टी पर हमला करते हुए नज़र आते है पिछले कई दिनों से वो बिना नाम लिए अपने ही पार्टियों के नेता पर हमलावर है उन्होंने ने आज बीजेपी को सलाह देते हुए ट्ववीट किया है कि राष्ट्र अब कई आयामों में एक गंभीर स्थति में है। जिसमें से मैंने ये तीन की लिस्ट पहले ही बनाई है, कोरोनावायरस, अर्थव्यवस्था और चीन की आक्रामकता। अब किसान आंदोलन के टकराव की संभावना जताई जा रही है। एक समाधान है कि राज्यों को वैकल्पिक कर देना चाहिए। फिर बीजेपी शासित राज्य अपने रिजल्ट दिखाए।
हर मुद्दे पर बेबाकी से अपनी बात रखने वाले बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भारत में चल रही वैक्सीन की किल्लत को दूर करने के लिए पिछले दिनों भी ट्वीट के माध्यम से राज्यों को सलाह दी थी कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को अग्रिम चेतावनी देनी चाहिए कि कोविड-19 वैक्सीन की पर्याप्त आपूर्ति न मिलने से सभी गैर-भाजपा शासित राज्य एकजुट हो सकते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी ने सलाह दी है कि सभी विपक्षी राज्य एकजुट होकर विदेश ने वैक्सीन ऑर्डर करें और उसका बिल मोदी सरकार को भेज दें।
वही उन्होंने किसान बिल पर हो रहे आंदोलन के बारे में भी केंद्र सरकार को रास्ता बताया था उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को खत लिखकर कहा था कि कानूनों को आवश्यक तौर पर देशभर में लागू नहीं किया जाए। इसकी जगह वे राज्य जहां के किसान कृषि सुधार संबंधी कानून चाहते हैं, वे केन्द्र सरकार को इस बारे में लिखित में दे सकते हैं। इसके बाद उन राज्यों में कानूनों को लागू किया जाए। उन्होंने ये सुझाव भी दिया था कि अनाजों की खरीददारी सिर्फ वहां तक ही सीमित किया जाना चाहिए जहां पर कृषि व्यापार के अलावा दूसरा कोई और वाणिज्यिक और व्यावसायिक हित नहीं है।
उन्होंने अपने ट्वीट में चीन को लेकर भी चिंता जताई है। आपको बता दें इससे पहले भी सुब्रमण्यम स्वामी ने चीन को लेकर कई बार केंद्र सरकार को घेरा है। कुछ दिन पहले उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था कि हम लोग भी तैयार हैं लेकिन हमको लोगों की जान के रूप में बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत ने पहले गलती की थी। हमें चीनी सैनिकों के वापस जाने तक कैलाश रेंज से हटना ही नहीं चाहिए था। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि अगर उसी वक्त मेरी चेतावनी पर ध्यान दिया जाता तो आज यह दिन न देखने पड़ते।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा पारित किसान बिल के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे है। आंदोलन के 6 महीने पूरे होने के मौके पर संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली की सीमाओं पर 26 मई को देशव्यापी प्रदर्शन करेगा। विपक्षी दलों ने भी एक संयुक्त बयान जारी कर किसानों के 26 मई के प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया है।
सयुंक्त रूप से जारी बयान में कहा गया है कि हमने 12 मई को संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि महामारी का शिकार बन रहे हमारे लाखों अन्नदाताओं को बचाने के लिए कृषि कानून निरस्त किए जाएं ताकि वे अपनी फसलें उगाकर भारतीय जनता का पेट भर सकें। उन्होंने केंद्र सरकार से कहा है कि सरकार अपना अहंकार छोड़कर किसान विरोधी बिल वापस ले।