अपनी बेबाक राय के लिए लोकप्रिय सुब्रमण्यम स्वामी कई बार राजनीति के पुराने दौर को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते दिख जाते हैं। खासकर 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरफ से लगाई गई इमरजेंसी को लेकर तो स्वामी काफी मुखर रहे हैं। उन्होंने कई बार उस दौर में अपने संघर्षों पर भी चर्चा की है। हाल ही में जब एक इंटरव्यू में उनसे इमरजेंसी के दौरान भारत आने और फिर वापस अमेरिका जाने को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने इस घटना का पूरा ब्योरा दिया।

इमरजेंसी में संघर्ष पर क्या बोले स्वामी?: सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि इमरजेंसी लगने के बाद जब वे अमेरिका में थे, तब उन्हें यह सिद्ध करना था कि उनका भूमिगत संगठन प्रभावी था। इसलिए वे भारत वापस आए, जबकि उनके नाम पर वॉरंट था और उनका पासपोर्ट भी रद्द कर दिया गया था। स्वामी ने बताया कि दिल्ली हवाई अड्डे में उतरकर मैं एक ऐसे खुफिया रास्ते से निकला जहां कस्टम्स नहीं था। इसके बाद मैं पांच दिन भूमिगत था दिल्ली में। मैंने सोचा संसद में आऊं और दो मिनट का भाषण देकर निकल जाऊं।

स्वामी ने बताया कि जब संसद के सत्र की शुरुआत हुई थी, तब शोक प्रस्ताव चल रहा था। तब मैं अंदर गया। पूरे विपक्ष ने सत्र का बायकॉट किया था, जगह खाली थे। मुझे देखकर कांग्रेस वाले हैरान रह गए कि ये कल तक तो अमेरिका में था, आज यहां कैसे आ गया। मैंने उस वक्त व्यवस्था का प्रश्न उठाया कि आपने जिन लोगों का देहांत हो गया, उनका जिक्र किया। लेकिन लोकतंत्र भी तो मर गया है, उसका नाम आपको रखना चाहिए। तब चेयरमैन ने कहा था कि ये पॉइंट ऑफ ऑर्डर नहीं है।

‘भौचक्के रह गए थे कांग्रेसी’: स्वामी के मुताबिक, तब उन लोगों को कहना चाहिए था कि इसको रोककर पुलिस के हवाले करना चाहिए। लेकिन वे इतना शॉक में थे कि चेयरमैन ने कह दिया कि शोक प्रस्ताव के लिए सब खड़े होंगे। मैं उसी समय निकल गया और फिर वेष बदलकर रेलवे स्टेशन जाकर मुंबई पहुंचा। मुंबई से संघ ने मेरा देखभाल किया। बाद में मैं नेपाली ड्रेस पहनकर वहां पहुंचा और फिर अमेरिका निकल गया।