केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर से आए किसान पिछले 6 महीने से दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं। किसान कृषि कानूनों को वापस करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क़ानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। इसी बीच किसान आंदोलन के प्रमुख नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया कि ये आंदोलन फसल और नस्ल बचाने के लिए है। राकेश टिकैत के इस ट्वीट पर लोगों तरह तरह के कमेंट करने लगे।

मंगलवार को किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट करते हुए लिखा कि ये आंदोलन फसल और नस्ल बचाने का है। इसके लिए हम हर लड़ाई लड़ेंगे। राकेश टिकैत के इस ट्वीट पर लोगों ने जमकर प्रतिक्रिया दी। कई लोगों ने राकेश टिकैत के इस ट्वीट का समर्थन किया तो कईयों ने उनके विरोध में ट्वीट करते हुए किसान आंदोलन को बिचौलियों का आंदोलन बता दिया।

 ट्विटर यूजर अर्पित पांडेय ने राकेश टिकैत के इस ट्वीट के समर्थन में कमेंट करते हुए लिखा है कि लोग अभी चैन से दो वक्त का खाना खा रहे हैं लेकिन आने वाले दिनों में वह भी मुश्किल हो जाएगा। किसान छह महीनों से धरने पर बैठे हैं ताकि दो वक्त की रोटी तिजोरियों में बंद ना कर दी जाए। इसके अलावा जितेंद्र सिंह नाम के भी एक यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि धीरे धीरे किसान बिल की पोल खुल रही है, बढ़ी हुई महंगाई आम जनता को भी समझ में आ रही है। यह बिल सिर्फ किसानों के लिए ही घातक नहीं है बल्कि देश की सत्तर प्रतिशत जनता को भी निशाना बनाएगी। कई और लोगों ने भी किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए राकेश टिकैत के इस ट्वीट पर कमेंट किया।

हालांकि कई लोगों ने राकेश टिकैत के विरोध में भी कमेंट किया। दिग्विजय सिंह नाम के एक यूजर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ये आंदोलन अपने नस्ल के लिए रुपये का साम्राज्य स्थापित करने के लिए हैं। इसके लिए किसानों का नाम लेकर लड़ाई लड़ेंगे..? वहीं ट्विटर यूजर सौरव रॉय ने लिखा कि ये आंदोलन फसल बचाने के लिए तो नहीं है। परंतु ये आंदोलन दलाली को बचाने के लिए जरूर है इसमें कोई शक संदेह नहीं है। इसके अलावा रवि पांडेय नाम के एक यूजर ने लिखा कि यह आंदोलन आपकी राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए है और ऐसा हो नहीं पाएगा, पहले की तरह ही आपकी जमानत फिर जब्त हो जाएगी।

बता दें कि देशभर से आए किसान पिछले छह महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। जनवरी महीने के बाद से किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है और अभी तक गतिरोध जारी है। लेकिन पिछले दिनों किसान संगठनों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर दोबारा से वार्ता बहाल करने का आग्रह किया है और सरकार से अपनी हठधर्मिता छोड़ने को कहा है।