Maharashtra: NDA के एक सांसद की मामूली वोटों से हुई जीत उसके लिए मुसीबत बनी हुई है और ये कोई और नहीं बल्कि महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे के गुट की शिवसेना के सासंद रवींद्र वायकर हैं, जो कि महज 48 वोटों से लोकसभा चुनाव जीतकर देश की संसद पहुंचे हैं। उनके खिलाफ अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने समन जारी किया है। वायकर को मुसीबत में डालने वाले उद्धव गुट की शिवसेना के नेता अमोल कीर्तिकार हैं, जिन्होंने कोर्ट में याचिका लगाकर वायकर की जीत को रद्द करने की मांग की है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव में शिंदे गुट की शिवसेना के रवींद्र वायकर ने मुंबई नॉर्थ वेस्ट सीट से महज 48 वोट से जीत दर्ज की थी। ऐसे में अब शिवसेना (यूबीटी) नेता अमोल कीर्तिकर की चुनाव याचिका पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के रविन्द्र वायकर को सम्मन जारी किया है। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संदीप वी. मार्ने की सिंगल बेंच कर रही है। पीठ ने कहा कि वायकर और अन्य प्रतिवादियों को 2 सितंबर को अदालत में पेश होकर कीर्तिकर द्वारा अपनी याचिका में किए गए दावे का जवाब देना होगा।
विपक्षी प्रत्याशी ने बढ़ाई वायकर की मुसीबत
बॉम्बे हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा कि प्रतिवादियों को समन जारी किया जाए, जिसका जवाब 2 सितंबर, 2024 तक दिया जाए। बता दें कि अमोल कीर्तिकार, वायकर से महज 48 वोटों से हारे हैं। उन्होंने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के अधिकारियों पर पारदर्शिता की कमी और चूक का आरोप लगाया है और दावा किया है कि उन्हें वोटों की पुनर्गणना के लिए आवेदन दायर करने की अनुमति नहीं दी गई।
चुनाव आयोग पर लगाए आरोप
अमोल कीर्तिकार ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग के अधिकारियों ने मतगणना क्षेत्र के अंदर मोबाइल फोन के इस्तेमाल की अनुमति दी और प्रतिरूपण करने वालों को 333 वोट डालने दिए। बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कीर्तिकर ने यह भी कहा कि उनके मतगणना एजेंटों को रिटर्निंग ऑफिसर की मेज पर बैठने की अनुमति नहीं दी गई, जबकि यह एक वैधानिक आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि फॉर्म 17-सी (भाग II) (मतदान का रिकॉर्ड) दो विधानसभा क्षेत्रों, जोगेश्वरी और वर्सोवा, और गोरेगांव के एक अन्य विधानसभा क्षेत्र के 276 मतदान केंद्रों में से किसी में भी नहीं दिया गया।
नहीं दिया गया रीकाउंटिंग का मौका
अमोल कीर्तिकार की याचिका में दावा किया गया कि मतगणना की पुनर्गणना का अनुरोध करने के लिए आवेदन करने तथा बाद में किए गए लिखित अनुरोध को अस्वीकार करने का कोई उचित अवसर नहीं दिया गया। कीर्तिकर ने अदालत से वायकर के निर्वाचन को रद्द घोषित करने और याचिकाकर्ता को 18वीं लोकसभा के लिए विधिवत निर्वाचित घोषित करने का निर्देश देने की मांग की है।