प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को साल 2024 के लोकसभा चुनाव में हराने के लिए जून 2023 में विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन हराया था। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के वापस एनडीए में जाने के बाद से लगातार इंडिया अलायंस का कुनबा छोटा हो जा रहा है और जो बचे हैं उनकी ताकत छिन गई है। इनमें एक अहम नाम महाराष्ट्र के चाणक्य के तौर पर विख्यात शरद पवार का है। शरद पवार से उनके ही भतीजे ने बगावत करके पार्टी हथिया ली है।
एनसीपी नेता अजित पवार कुछ महीने पहले पार्टी के कुछ विधायकों के साथ बीजेपी के एनडीए के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए थे। इसके चलते ही उन्हें सरकार में डिप्टी सीएम का पद भी मिला था। एनसीपी में शरद पवार और अजित पवार अपनी अपनी दावेदारी कर रहे हैं। इस बीच लंबी सुनवाई के बाद चुनाव आयोग का फैसला अजित पवार गुट के पक्ष में आया है। इसको लेकर अब अजित पवार ने हैरानी जताई है।
चुनाव आयोग के फैसले को लेकर पहले तो एनसीपी दावे कर रही थी कि वह सुप्रीम कोर्ट जाएगी लेकिन अब शरद पवार का दर्द जनता के सामने आया है। शरद पवार ने चुनाव आयोग के फैसले को आश्चर्यजनक बताते हुए कहा कि जिन लोगों ने उनकी बनाई पार्टी को छीनने की कोशिश की, उसे ही चुनाव आयोग ने असली हकदार बना दिया है।
दूसरों को सौंप दी हमारी पार्टी
शरद पवार ने 1999 में महाराष्ट्र में एनसीपी की स्थापना की थी, वे इसके संस्थापक सदस्य भी थे। शरद पवार ने कहा कि चुनाव आयोग ने उन लोगों के हाथ से पार्टी छीन ली, जिन्होंने इसे स्थापित किया और इसे बनाया। एनसीपी को आयोग ने दूसरों को दे दिया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। शरद पवार ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि लोग चुनाव आयोग के फैसले का समर्थन नहीं करेंगे। इसके खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चुनाव आयोग ने न सिर्फ हमारा चुनाव चिन्ह छीना है, बल्कि हमारी पार्टी भी दूसरों को सौंप दी है।
अब सुप्रीम कोर्ट पहुंची लड़ाई
शरद पवार के गुट ने चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। हालांकि आयोग का कहना है कि अजित पवार के पास ज्यादा विधायकों का समर्थन था, जिसके चलते यह फैसला उनके हक में किया गया है। दूसरी ओर अजित पवार का गुट भी सुप्रीम कोर्ट गया है और उसने इस मुद्दे को लेकर कैविएट दाखिल की है। अजित गुट की मांग है कि अगर शरद पवार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करके कोई फैसला दे, तो उस मामले में अजित गुट का पक्ष भी सुना जाए।