एलएसी पर भारतीय सेना और चीनी सेना के बीच बीते 4 महीने से गर्मागर्मी का माहौल बना हुआ है। इसी बीच सीमा की स्तिथि से वायुसेना प्रमुख ने देशवासियों को अवगत कराया है और बयान दिया है। एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने स्तिथि की यथावत जानकारी दी और कहा के पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर लंबे समय से चल रहे गतिरोध के संदर्भ में हमारी उत्तरी सीमा पर मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य असहज है जहां “न युद्ध न शांति” की स्थिति है।
यह बयान वायुसेना प्रमुख ने एक सम्मेलन में अपने संबोधन के समय दिया। एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने कहा कि हमारी भारतीय वायुसेना ने भी स्थिति पर तेजी के साथ प्रतिक्रिया दी है और वह क्षेत्र में किसी भी “दुस्साहस” का जवाब देने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
अपनी बात का आगे विवरण देते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा, “हमारी उत्तरी सीमा पर मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य असहज, न युद्ध न शांति की स्थिति है। जैसा कि आप जानते हैं हमारे सुरक्षा बल किसी भी चुनौती से निपटने के लिये पूरी तरह तैयार हैं।”
सीमा पर तैनात हमारे हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमानों के बारे में भी वायुसेना प्रमुख ने जानकारी दी और कहा की पूर्व में हासिल किये गए सी-17 ग्लोबमास्टर, चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्टरों के साथ हाल में वायुसेना में शामिल राफेल लड़ाकू विमानों ने वायुसेना की सामरिक और रणनीतिक क्षमता में पर्याप्त बढ़ोतरी की है। भविष्य में होने वाले किसी भी संघर्ष में वायुशक्ति हमारी जीत में अहम कारक रहेगी। इसलिये यह जरूरी है कि वायुसेना अपने दुश्मनों के खिलाफ तकनीक बढ़त हासिल करे और उसे बरकरार रखे।”
Present security scenario along our northern frontiers is at an uneasy — no war, no peace status. Our defence forces are prepared for any eventuality: IAF chief Air Chief Marshal RKS Bhadauria pic.twitter.com/GvVZptDnah
— ANI (@ANI) September 29, 2020
बता दें कि लड़ाकू विमान राफेल की पहली खेंप के बाद जल्द ही फ्रांस दूसरी खेंप भी भारत भेजने वाला है। पहली खेंप के फ्रांस में निर्मित पांच बहुउद्देशीय राफेल लड़ाकू विमानों को 10 सितंबर को वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया है और वायुसेना में शामिल होने के बाद से ही विमानों का यह बेड़ा पिछले कुछ हफ्तों से पूर्वी लद्दाख में उड़ान भर रहा है।
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हलके लड़ाकू विमान तेजस की दो स्क्वाड्रन और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों में कुछ स्वदेशी हथियारों को बेहद कम समय में लगाया जाना देश के स्वदेशी सैन्य उपकरण बनाने की क्षमता को दर्शाता है।