नीता अंबानी पर उनके पति और देश के सबसे बड़े कारोबारी मुकेश अंबानी आंख मूंद कर भरोसा करते हैं। कारोबार के मामले में भी। उन्‍होंने कम से कम दो बार यह साबित किया है। दोनों ही दावं बहुत बड़े थे। और, दोनों ही बार नीता उनकी उम्‍मीदों पर खरा उतरी हैं।

1997 में मुकेश ने पिता धीरूभाई अंबानी की सहमति से नीता को जामनगर (गुजरात) में कंपनी स्‍टाफ के लिए एक टाउनशिप बनवाने का जिम्‍मा सौंपा। तब आईवीएफ से जुड़वा बच्‍चों की मां बनने के छह साल बाद नीता सक्रिय हुई थीं। लेकिन, नीता के पास इस काम का कोई अनुभव नहीं था। फिर भी उन्‍होंने चुनौती स्‍वीकार की और तीन साल तक सप्‍ताह में दो-दो दिन वहां जाकर टाउनशिप का काम पूरा करवाया।

इस सफलता से गदगद होकर मुकेश ने 40 लाख डॉलर नीता को दिए, ताकि वह अपना ड्रीम प्रोजेक्‍ट शुरू कर सकें। यह ड्रीम प्रोजेक्‍ट था धीरूभाई अंबानी इंटरनेशनल स्‍कूल का।

वैसे ही 2008 में मुकेश ने बिना किसी अनुभव के नीता को आईपीएल कारोबार में उतार दिया। नीता ने वहां भी झंडे गाड़ दिए।

नीता अंबानी को खेल संबंधी कारोबार में अचानक से हुई एंट्री ने उन्हें न केवल राष्ट्रीय स्तर की शख्सियत बनाया, बल्कि Reliance के चेहरे के तौर पर भी पेश किया। साल 2008 में उनकी कंपनी ने Indian Premier League की क्रिकेट टीम के लिए $112 मिलियन डॉलर खर्चे। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर को Mumbai Indians टीम में लिया।

टूर्नामेंट के शुरुआती दो सीजन में जब टीम कुछ खास न कर सकी, तब मुकेश ने इसमें अपना दखल बढ़ाया। नीता ने पूर्व में इस कारोबार में आने को लेकर कबूला भी था, “मैंने शुरू में विरोध किया था, क्योंकि मुझे खेल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।”

हालांकि, कम ही समय में उन्होंने (नीता) अपने आप को इसमें शामिल किया और क्रिकेट सर्किट का हिस्सा बनीं। Mumbai Indians अब तक चार बार (2013, 2015, 2017 और 2019 में) टूर्नामेंट का खिताब जीत चुकी है।

टीम के पूर्व कप्तान सचिन तेंदुलकर का भी मानना था कि टीम प्रबंधन में नीता की मौजूदगी ने ‘बड़ा फर्क/बदलाव’ पैदा किया। सीनियर खेल पत्रकार अयाज मेमन के मुताबिक, ‘अंबानी परिवार सही टैलेंट पर खर्चने से नहीं डरते हैं। न केवल टीम का मालिक होना, बल्कि जीतना- ये उनके लिए गर्व की बात है।’ JV में IMG के साथ रिलायंस ने अपना विस्तार बॉस्केटबॉल, टेनिस और फुटबॉल तक किया।