वही मैदान और वही दृश्य, लेकिन सब ‘रिवर्स गियर’ में! तब भ्रष्टाचार हटाओ था, अब जनतंत्र बचाओ है। एक भाजपा प्रवक्ता तंज कसता है कि प्रभु की ये कैसी लीला है कि रामभक्त मेरठ में और सारे राम विरोधी रामलीला मैदान में! विपक्ष के एक नेता एक चैनल पर कहते हैं कि रैली किसी व्यक्ति को लेकर नहीं है, लेकिन मैदान में एक ही ‘पोस्टर’ सब पर भारी दिखता है।

एक मंच और बीस देवता: कोई संविधान बचाता है, कोई लोकतंत्र बचाता है, कोई ‘चार सौ पार’ को ‘चार सौ हार’ कहता है, कोई ताल ठोंकता है कि ‘आंधियों से कह दो औकात में रहें…’। कौन कितना तुर्श बोल सकता है, कितना भड़काऊ हो सकता है, इसकी होड़ रही।

एक रैलीनिंदक कहता है कि ये रैली ‘ठगों का मेला’ है, तो जवाब आता है कि ऐसा कहने वाला खुद ‘महाठग’ है। इसी बीच ‘इंडी’ के एक नेता ‘भुस में लट्ठ’ मारने वाले अंदाज में कह उठते हैं कि अगर ‘मैच फिक्सिंग’ से चुनाव हुआ, भाजपा जीती, उसके बाद संविधान बदले तो पूरे देश में आग लगने जा रही है।

‘आग’ वाली टिप्पणी पर मेरठ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जवाब आता है कि ये कहते हैं कि देश में आग लग जाएगी। ये मोदी है जो तुम्हारी लगाई आग को बुझा रहा है। एक एंकर देर तक गुुस्से से बलबलाता रहा कि वे धमकी दे रहे हैं कि अगर हम हारे तो देश जलेगा, क्या ये देश तुम्हारा घर नहीं है!

बहरहाल, रामलीला मैदान की सारी हमदर्दी केजरीवाल की पत्नी सुनीता जी को मिलती दिखती है। वे केजरीवाल के पांच गारंटी वाले संदेश सुनाती हैं। फिर वे आए दिन केजरीवाल के संदेश पढ़ती दिखती हैं और हर संदेश में केजरीवाल का दिल्ली के लिए ‘जीने मरने’ की बातें, एक नए किस्म का ‘इमोशनल अत्याचार’ करती दिखती हैं, जिसकी काट भाजपा के पास नहीं दिखती।

फिर एक दिन मोदी एक रैली में श्रीलंका को कच्चातिवू ‘दान’ में देने का आरोप लगाकर कांग्रेस को रक्षात्मक बना देते हैं। लेकिन केजरीवाल चैनलों से ‘आउट’ नहीं होते। फिर ‘आप’ अपने ही खेल में फंसती है। एक दिन जब सुनीता जी केजरीवाल का संदेश पढ़ती हैं तो उनके पीछे दीवार पर ‘सलाखों में केजरीवाल की तस्वीर’ दिखती है, जिसके आजू-बाजू शहीद भगतसिंह और आंबेडकर की तस्वीर लगी दिखती है। इस पर भाजपा प्रवक्ता आपत्ति करते हैं और भगतसिंह के भतीजे भी आपत्ति करते हैं, लेकिन इससे क्या? कहानी तो केजरीवाल पर ही केंद्रित रहती है!

फिर ‘आप’ सरकार की मंत्री का आरोप लगाना कि बारह दिनों में केजरीवाल का वजन साढ़े चार किलो घटा है। और जवाब में एक चैनल पर जेल डाक्टर की मार्फत बताना कि उनके सारे ‘वाइटल’ सही हैं, भी केजरीवाल को ‘केंद्र’ में रखता है। ऐसे ही एक दिन मंत्री जी एक खबर देती हैं कि उनके एक नजदीकी ने बताया है कि भाजपा ने कहा है कि या तो भाजपा में आ जाओ, अपना करिअर बनाओ, वरना जेल में डाल देंगे ये मुझे और मेरे तीन और साथियों को भी जेल में डालने वाले हैं।

यह है मारखेज की ‘ए क्रोनिकल आफ डेथ फोरटोल्ड’ के ‘जादुई यथार्थवाद’ से भी आगे की ‘देसी जादुई राजनीतिक यथार्थवादी’ कहानी, जो मीडिया को बता रही है कि कौन कब गिरफ्तार होगा। जब एक भाजपा प्रवक्ता ने चुनौती दी कि ऐसा कहने वाले का नाम बताएं… तो नाम न बताया गया। इसे कहते हैं ‘सुर्रेबाजी’!

यह केजरीवाल की ‘पोजिशनिंग’ की ‘नई शैली’ है! केजरीवाल की अब तक की लड़ाई ‘पोजिशनिंग’ की लड़ाई ही है। जैसे कि केजरीवाल इस्तीफा नहीं देंगे, वे जेल से ही सरकार चलाएंगे, कानून इसके लिए मना नहीं करता… जैसी बातें भी ‘पोजिशनिंग’ की राजनीति का हिस्सा हैं। एक सेवानिवृत्त जेल अफसर का कहना रहा कि जेल से सरकार चलाना तकनीकी तौर पर असंभव है।

केजरीवाल की इस राजनीति को थोड़ा खोलते हुए एक चर्चक ने कहा कि केजरीवाल ऐसी स्थिति पैदा कर देना चाहते हैं कि केंद्र दिल्ली में ‘राष्ट्रपति शासन’ लगा दे, ताकि वे ‘शहीद’ कहला सकें। पंद्रह दिन से आप मीडिया में छाई है, भाजपा इसमें फंस गई है। फिर एक दिन संजय सिंह को सशर्त जमानत मिली तो ‘आप’ में जान पड़ती दिखी। वे कई चैनलों पर अपनी ‘फाइटिंग फार्म’ में थे।

फिर आया ‘पांच न्याय’ और ‘पच्चीस वायदे’ वाला कांग्रेस का घोषणापत्र, जिसे तुरंत भाजपा के प्रवक्ता ने निशाने पर लिया कि ‘न्याय’ की याद इसलिए आई है कि अब तक तो ‘अन्याय’ ही करते रहे। फिर वे बताते रहे कि कांग्रेस क्या-क्या अन्याय करती रही। लेकिन गुरुवार को कांग्रेस से निष्कासित नेता संजय निरुपम ने संवाददाता सम्मेलन कर कांग्रेस के ‘पांच शक्ति केंद्रों’ की जैसी पोल खोली, वह अभूतपूर्व थी।

उन्होंने कांग्रेस के ‘पांच शक्ति केंद्रों’ के बारे में बताते हुए कांग्रेस को ‘कबाड़ सामग्री’ बताया। उसी दिन कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ भी कांग्रेस से यह कहकर गए कि मैं सनातन के खिलाफ नहीं बोल सकता। एक चैनल ने बताया कि अब तक डेढ दर्जन कांग्रेसी नेता बाहर गए है, लेकिन नेतृत्व को किसी की परवाह नहीं! ऐसे महाउजाड़ में भी एक नेता जी कहिन कि जीतने के बाद कौन प्रधानमंत्री होगा, तय कर लेंगे! सच! ‘मति अति रंक मनोरथ राउ’!