प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनसीपी नेता शरद पवार के बीच दोस्ती और तीखी प्रतिद्वंद्विता दोनों समान रूप से मौजूद हैं। दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ अक्सर आलोचना वाली बातें करते हैं। मराठा दिग्गज शरद पवार कई मौकों पर मोदी और उनके शासन को देश के लिए खतरा बता चुके हैं। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘I.N.D.I.A.’ में वे 2024 के चुनाव में मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने की बातें करते हैं, लेकिन उनसे मुलाकात भी करते हैं।

सहयोगी दलों ने कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का किया था अनुरोध

अपनी पार्टी में कथित तौर पर भाजपा द्वारा विभाजन कराने जाने के कुछ हफ्ते बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता शरद पवार मंगलवार को पुणे में आयोजित एक पुरस्कार समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया। उनकी पार्टी और सहयोगी दलों ने उनसे इस कार्यक्रम में भाग नहीं लेने का अनुरोध किया था। पवार ने इस अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया। लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह में दोनों नेताओं ने एक दूसरे का गर्मजोशी से स्वागत किया। स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक की 103वीं पुण्य तिथि पर पीएम मोदी को तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट ने राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। पवार के करियर पर करीब से नज़र रखने वाले एनसीपी के आंतरिक सूत्रों और अन्य लोगों ने कहा कि मराठा दिग्गज के कार्यक्रम से बाहर होने की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने साफ संकेत दिया कि वह प्रोटोकॉल का पालन करने वाले नेता हैं।

2015 में नोटबंदी के कुछ दिन बाद ही मोदी ने पवार को अपना “राजनीतिक गुरु” बताया था

चार दशकों से अधिक समय से एक-दूसरे को जानने वाले दोनों नेताओं के ऐसे कई उदाहरण हैं, जो एक-दूसरे के प्रति प्रशंसा व्यक्त करते हैं और राजनीति के धर्म का पालन करते हुए राजनीतिक क्षेत्र में एक-दूसरे से भिड़ते हैं। दिल्ली में सत्ता में आने के एक साल बाद मोदी ने 14 फरवरी, 2015 को पुणे जिले में पवार के गृह क्षेत्र बारामती में कृषि विज्ञान केंद्र का उद्घाटन किया। बाद में उन्होंने पवार परिवार के साथ दोपहर का भोजन किया। नोटबंदी की घोषणा के कुछ ही दिनों बाद पुणे के पास मंजरी में वसंतदादा शुगर इंस्टीट्यूट के तीन दिवसीय सम्मेलन का पीएम मोदी ने उद्घाटन किया था। उस समय प्रधानमंत्री ने पवार को अपना “राजनीतिक गुरु” करार देकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। उन्होंने कहा, ”शरदराव पवार के प्रति मेरे मन में व्यक्तिगत सम्मान है। उन्होंने मेरी उंगली पकड़ कर मुझे राजनीति में चलने में मदद की। मुझे सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा करते हुए गर्व महसूस हो रहा है।”

राज्य भाजपा नेता पवार पर लगाते रहे हैं भ्रष्टाचार के आरोप

पीएम मोदी के इस कमेंट से राज्य भाजपा के नेता हैरान रह गये थे, क्योंकि तब वे नेता भ्रष्टाचार के मुद्दे पर एनसीपी प्रमुख को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे थे। मोदी की टिप्पणियों के जवाब में, पवार ने कहा, “मुझे आश्चर्य है कि मोदी कैसे काम करते हैं। सुबह वह जापान में थे। अपनी वापसी पर उन्होंने तुरंत गोवा का दौरा किया, फिर बेलगाम और अब यहां। आश्चर्य है कि वह रात को कहां जाते हैं।”

इसके कुछ महीने बाद जनवरी 2017 में पवार ने पीएम पर निशाना साधते हुए इस प्रकरण का जिक्र किया था। “मैंने कहा, यही बात है। मैं उन्हें राजनीति में लाया। वह (मोदी) सहज बात करने वाले व्यक्ति हैं।’ वह इतने प्रभावशाली तरीके से बोलते हैं कि सुनने वाले को विश्वास हो जाता है कि इस आदमी में कुछ तो बात है… कि इसका सीना 56 इंच का होगा।’

उस वर्ष भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने पवार को पद्म विभूषण से सम्मानित किया। लेकिन, 2019 के आम चुनाव आते-आते बयानबाजी कड़वी हो गई। 2018 में, पुणे में एनसीपी के अधिवेशन में पवार ने देश में दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं की “बदतर स्थिति” और प्रमुख सार्वजनिक मुद्दों पर “बातूनी पीएम” की चुप्पी को लेकर मोदी पर निशाना साधा। अनुभवी नेता ने कई मौकों पर मोदी के कार्यों से लोकतंत्र और संविधान के लिए खतरे को उजागर किया।

प्रचार अभियान के दौरान मोदी ने लोगों से बंधनों को तोड़ने और बारामती में पवार के शासन को समाप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एनसीपी एक “राष्ट्रवादी (राष्ट्रवादी)” पार्टी नहीं, बल्कि एक “भ्रष्ट्रवादी” पार्टी है। पवार ने पलटवार करते हुए मोदी से पूछा कि वह विस्तार से बताएं कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान क्या किया है। उन्होंने यह भी कहा, ‘मोदी कहते हैं कि वह मेरी उंगली पकड़कर राजनीति में आए। लेकिन अब मैं चिंतित हूं. मुझे अब इस उंगली को छोड़ना होगा।”