अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित प्लान को लेकर सियासत तेज हो गई है। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधते हुए कहा है कि इस प्रोग्राम में मोदी (पीएम के तौर पर) का शरीक होना संविधान की शपथ का उल्लंघन होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि, धर्मनिरपेक्षता संविधान का बुनियादी ढांचा है।

ओवैसी ने यह भी कहा कि पीएम मोदी को यह साफ करना चाहिए कि वह अयोध्या में देश के पीएम की हैसियत से जाएंगे या फिर आम नागरिक के तौर पर पहुंचेंगे। दरअसल, AIMIM प्रमुख ने मंगलवार को प्रकाशित Outlook India को दिए अपने इंटरव्यू में कहा कि बाबरी मस्जिद है और वह हमेशा मस्जिद ही रहेगी। हम नई पीढ़ी को यह बताते रहेंगे कि हमारी मस्जिद को ढहा दिया गया था।

यह पूछे जाने पर कि भूमि पूजन से पहले अयोध्या में तैयारियां जोरों पर हैं। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपके सवाल और आलोचना जगहजाहिर हैं। अब क्या आठ महीने बाद आपने उसे स्वीकार (निर्णय को) कर लिया? उन्होंने जवाब दिया- बाबरी मस्जिद है और वह हमेशा मस्जिद ही रहेगी। यह मेरा यकीन है। इसे मुझसे या किसी और से कोई नहीं ले सकता है। क्या 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद नहीं ढहाई गई थी?

बकौल ओवैसी, “मुझे नहीं लगता है कि यह निर्णय आता। इतिहास याद रखेगा कि दिसंबर 1949 में क्या हुआ था, जब मस्जिद में प्रतिमाएं रख दी गई थीं और इसके बाद 1992 को विध्वंस हुआ। जहां तक मुस्लिमों और न्याय में विश्वास रखने वालों की बात है, तब हम नई पीढ़ी को बताते रहेंगे कि मस्जिद हमारी थी, जिसे ढहाया गया। अगर हमारी आवाज दबाई जाएगी, तो यह मुद्दा नहीं है। हम इसे दूसरे अंदाज में बताएंगे।”

इस सवाल पर कि पीएम पांच अगस्त को शिलान्यास के लिए अयोध्या जाएंगे। क्या उनके इस दौरे में कोई राजनैतिक संदेश है? ओवैसी ने जवाब दिया, “प्रधानमंत्री को देश को यह बताना चाहिए कि वह पीएम के रूप में अयोध्या जाएंगे या फिर आम नागरिक की तरह। प्रधानमंत्री के नाते वह सभी धर्मों और उन लोगों का भी प्रतिनिधित्व भी करते हैं, जो किसी धर्म में यकीन नहीं रखते हैं।”

‘भूमि पूजन’ को आमंत्रित लोगों में आडवाणी, भागवत भीः अयोध्या में पांच अगस्त, 2020 को राम मंदिर के ‘भूमि पूजन’ समारोह के लिए जिन लोगों को आमंत्रित किया जा रहा हैं उनमें भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी तथा मुरली मनोहर जोशी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत शामिल हैं। दूरदर्शन द्वारा इस समारोह का सीधा प्रसारण किया जायेगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के एक सदस्य अनिल मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इनके अलावा, सभी धर्मों के आध्यात्मिक नेताओं को आमंत्रित करने का विचार है।

मेहमानों की लिस्ट में 200 लोग शामिलः उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी बनाये रखने के नियम का पालन करते हुए कार्यक्रम में सीमित संख्या लगभग 200 लोगों को बुलाया जायेगा। उन्होंने बताया कि सूची को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। मिश्रा ने बताया कि मंदिर आंदोलन का हिस्सा रहे कई लोगों को आमंत्रण दिया जा रहा है, जिनमें भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती हैं। ट्रस्ट के सदस्यों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी के राम मंदिर की आधारशिला रखने के लिए अयोध्या आने की संभावना है।

‘मंदिर का ‘भूमि पूजन’ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हो सकता है’: ओवैसी से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन समारोह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए किया जा सकता है। शिवसेना अध्यक्ष ने कहा कि वह समारोह के लिए उत्तर प्रदेश में अयोध्या जा सकते हैं लेकिन पूछा कि क्या लाखों “राम भक्तों” को वहां जाने से रोका जा सकता है। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक साक्षात्कार में ठाकरे ने कहा, “यह खुशी का कार्यक्रम है और लाखों लोग समारोह में शामिल होना चाहते होंगे। क्या हम कोरोना वायरस को फैलने की इजाजत दे सकते हैं?” (भाषा इनपुट्स के साथ)