उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच तीखी जुबानी जंग चल रही है, जहां दोनों एक-दूसरे पर माफिया और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगा रहे हैं। वहीं, भाजपा अध्यक्ष पद के भविष्य और हरियाणा चुनाव के परिणामों को लेकर संघ का हस्तक्षेप भी बढ़ गया है। अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच जुबानी जंग तेज हो गई हैं, खासकर मिल्कीपुर सीट को लेकर। वहीं, भाजपा अध्यक्ष पद के भविष्य को लेकर संघ की भूमिका हरियाणा चुनाव के नतीजों पर निर्भर करती नजर आ रही है, जो संगठन के भीतर सत्ता संतुलन तय करेगी।
‘माफिया’ मंथन
अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के के बीच शब्दबाणों की बौछार वैसे तो लोकसभा चुनाव के बाद ही शुरू हो गई थी। अब विधानसभा की दस सीटों के उपचुनाव में इस जुबानी जंग में मर्यादा की सीमाएं टूट चुकी हैं। केंद्रबिंदु फैजाबाद जिले की मिल्कीपुर सुरक्षित सीट बन चुका है। जहां 2022 में सपा के अवधेश प्रसाद विजयी हुए थे और उन्होंने ही लोकसभा चुनाव में फैजाबाद सीट पर भाजपा के लल्लू संह चौहान को शिकस्त देकर भाजपा को उलझन में डाल दिया। जनवरी में अयोध्या में प्रधानमंत्री ने अधूरे राम मंदिर का शिलान्यास किया था तो विपक्ष का आरोप यही था कि भाजपा चुनाव में मंदिर मुद्दे का सियासी लाभ लेना चाहती है। अयोध्या की हार से राम मंदिर मुद्दे को भुनाने में नाकामी का संदेश गया। फैजाबाद की सामान्य सीट को सपा के दलित उम्मीदवार ने जीता है। अब मिल्कीपुर की उनकी विधानसभा सीट भाजपा छीनना चाहती है। इसलिए शब्दबाण चल रहे हैं। योगी ने अखिलेश को माफिया का सरगना कहा तो अखिलेश ने कहा कि असली माफिया तो मठाधीश हैं। योगी ने कहा कि औरंगजेब की आत्मा अखिलेश के अंदर घुस चुकी है। योगी ने मठाधीश को माफिया बोलने पर संतों के अपमान की बात कही तो अखिलेश ने तपाक से तंज कस दिया कि जो क्रोध करता हो वह साधु हो ही नहीं सकता। मुख्यमंत्री और मेरी तस्वीर एक साथ लगा दो, कोई भी समझ जाएगा कि कौन है माफिया।
नजर किधर?
जगत प्रकाश नड्डा का बतौर भाजपा अध्यक्ष कार्यकाल 30 जून को खत्म हो गया था। उनका उत्तराधिकारी तय नहीं कर पा रही भाजपा। जाहिर है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा के मातृ संगठन समझे जाने वाले संघ का हस्तक्षेप बढ़ा है। पहले कहा गया था कि संघ की केरल की बैठक के बाद नए अध्यक्ष का एलान हो जाएगा। अब हरियाणा चुनाव के बाद फैसला होने की बात छनकर आई है। नया पहलू संघ के सूत्रों से यह सामने आया है कि सुनील बंसल और विनोद तावड़े के नामों पर संघ सहमत नहीं। उसकी नजर संजय जोशी पर है, जो इन दिनों भाजपा में दायित्व विहीन हैं। कुशल संगठनकर्ता तो हैं पर भाजपा के मौजूदा शिखर नेतृत्व को तनिक नहीं भाते। जाहिर है कि हरियाणा में भाजपा हारी तो संघ की पसंद चलेगी और जीत गई तो संघ कदम पीछे खींचने को मजबूर होगा।
आवास पर फिर होगा विवाद?
दिल्ली का मुख्यमंत्री आवास पहले भी विवादों में रह कर ‘शीश महल’ का खिताब पा चुका था। अभी तो चर्चा है कि नई मुख्यमंत्री आतिशी सिंह का आवास कहां होगा? वहीं अरविंद केजरीवाल इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री निवास को छोड़ने का एलान कर चुके हैं। इस पूरे घटनाक्रम के बीच अब आम आदमी पार्टी चाहती है कि बतौर पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक सरकारी आवास मिले। हालांकि आम आदमी पार्टी के नेता पहले यही कहते थे कि सरकारी पद लेने के बाद भी कोई सरकारी घर, गाड़ी जैसी सुविधाएं नहीं लेंगे। आने वाले दिनों में यह राजनीतिक दलों के लिए बड़ा चुनावी हथियार बनता नजर आ रहा है, जब इस पर भी नैतिकता के सवाल बनेंगे।
प्रसाद व सियासत
आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ तेलगुदेशम पार्टी ने शुक्रवार को यह कहकर बड़ा धमाका कर दिया कि तिरूपति के मंदिर से भक्तों को दिए जाने वाले प्रसाद के लड्डू में इस्तेमाल हो रहे घी में मिलावट पाई गई है। किसी प्रयोगशाला की जांच रिपोर्ट के आधार पर पार्टी ने पिछली सत्तारूढ़ पार्टी वाइएसआर कांगे्रस को निशाने पर लिया। घी में मछली के तेल और मवेशियों की चर्बी की मिलावट होने का आरोप लगाया। तिरूपति मेंं भक्तों को प्रसाद के रूप में बेचे जाने वाले खास अवयवों से बने लड्डुओं की बिक्री से ही सालाना 600 करोड़ रुपए की आय होती है। इतनी बड़ी मात्रा में लड्डू बनाने के लिए अपनी गौशाला में तो जरूरत के देसी घी लायक गाय पाली नहीं जा सकती। इस मंदिर का प्रबंध तिरूमला तिरूपति देवस्थानम ट्रस्ट करता है। जो देसी घी की आपूर्ति के लिए ठेके से आपूर्तिकर्ता नियुक्त करता है।
ट्रस्ट चूंकि सरकार के परोक्ष नियंत्रण में ही है सो आपूर्तिकर्ता तय करने में राजनीतिक हस्तक्षेप भी चलता ही होगा। ऐसे ही एक घी आपूर्तिकर्ता को पिछली सत्तारूढ़ पार्टी वाइएसआर कांग्रेस का करीबी बता काली सूची में करने की बात कही है तेलगुदेशम ने। पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इसे राजनीति से पे्ररित बताते हुए मंदिर में सौगंध खाने तक की पेशकश कर डाली। घी का नमूना कब और किसने कहां से लिया और रिपोर्ट किसने दी, इसका कोई अता-पता नहीं। पर सनसनीखेज खुलासा कर भक्तों की बेचैनी तो बढ़ा ही दी तेलगुदेशम ने।
अलोकप्रियता में अव्वल
हरियाणा में चुनावी नतीजों को लेकर भाजपा डरी हुई है। अब साढ़े नौ साल बाद जाकर पार्टी को आभास हुआ कि मनोहर लाल खट्टर से जनता नाराज है तो सांसद नायब सिंह सैनी को बना दिया उनकी जगह मुख्यमंत्री। खट्टर फिर भी आलाकमान के चहेते बने रहे और लोकसभा चुनाव जीतकर केंद्र में मंत्री भी बन गए। सैनी भी अपनी धमक कायम करने के बजाए मनोहर लाल के खड़ाऊं मुख्यमंत्री की छवि से बाहर नहीं आ पाए। उम्मीदवारों के चयन के वक्त तो पार्टी को बगावत झेलनी ही पड़ी, अनिल विज जैसे सबसे वरिष्ठ विधायक की महत्त्वाकांक्षा को भी पार्टी दबा नहीं पाई। जिन्होंने खुलेआम कहा कि सबसे वरिष्ठ होने के नाते चुनाव बाद सरकारी बनी तो वे भी मुख्यमंत्री पद पर दावा ठोकेंगे।
पार्टी ने अगले ही दिन सफाई दे दी कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार सैनी हैं। प्रधानमंत्री की कुरूक्षेत्र की रैली में तो हद ही हो गई। इस रैली से पार्टी ने सूबे के अपने सबसे कद्दावर नेता मनोहर लाल को दूर रखा। इससे विरोधियों के इस आरोप को बल मिलना स्वाभाविक था कि खट्टर हरियाणा में अब अलोकप्रियता में अव्वल हो चुके हैं।
संकलन : मृणाल वल्लरी