Rahul Gandhi Returns Parliament: कांग्रेस नेता राहुल गांधी 137 दिन बाद संसद पहुंचे हैं। लोकसभा सचिवालय ने सोमवार को अधिसूचना जारी कर राहुल गांधी की सांसदी बहाल की। संसद भवन पहुंचते ही राहुल गांधी ने सबसे पहले महात्मा गांधी की प्रतिमा पर फूल चढ़ाए। इसके बाद वो सदन के अंदर गए। राहुल गांधी लोकसभा में अपनी चेयर पर बैठे ही थे कि पांच मिनट बाद सदन की कार्यावाही दोपहर दो बजे के लिए स्थगित कर दी गई। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जब संसद भवन के गेट पर पहुंचे। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के सांसद स्वागत के लिए खड़े थे। सांसदों ने राहुल तुम आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं, वाले नारे भी लगाए।
राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में मार्च, 2023 को निचली अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी। इसके 24 घंटे में ही 24 मार्च को राहुल गांधी की सांसदी चली गई थी। इसके बाद यह मामला गुजरात हाई कोर्ट पहुंचा, लेकिन गुजरात हाई कोर्ट ने भी राहुल गांधी की सजा को बरकरार रखा। राहुल गांधी ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।134 दिन बाद 4 अगस्त को कोर्ट ने इस केस में राहुल की सजा पर रोक लगा दी थी।
अब सवाल यह है कि राहुल गांधी की संसद में वापसी हो चुकी है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी जहां खुश है तो वहीं बीजेपी राहुल गांधी की बहाली को लेकर नाखुश नहीं है, क्योंकि अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में कांग्रेस पार्टी के कदम जहां पहले से ज्यादा मजबूत हुए हैं तो वहीं बीजेपी राहुल गांधी पर हमला करने और उनके पुराने बयानों के भुनाने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी।
ऐसे में इसको विडंबना ही कहा जाएगा कि भाजपा इस पूरे घटनाक्रम से इतनी नाखुश नहीं होगी, क्योंकि वह राहुल गांधी पर हमला करने और उनके बयानों को भुनाने के लिए 2014 और 2019 के चुनावों के अपने आजमाए और परखे हुए फॉर्मूले को फिर से लागू कर सकती है।
दरअसल, प्रधानमंत्री पद के दावेदार को लेकर विपक्षी एकता के लिए चुनौतियां बढ़ सकती हैं, क्योंकि कांग्रेस राहुल गांधी की बहाली को पार्टी के लिए बढ़त हासिल करने के एक अवसर के रूप में देख रही है, जबकि ममता बनर्जी और नीतीश कुमार जैसे अधिकांश विपक्षी नेताओं ने अब तक कहा है कि चुनाव के बाद ‘पीएम उम्मीदवार कौन होगा’ का सवाल उठाया जाएगा, लेकिन कांग्रेस नेता राहुल को उस भूमिका में मजबूती से देखते हैं।
कांग्रेस ने बीजेपी पर एक भाजपा नेता द्वारा दायर मानहानि मामले में राहुल को दी गई दो साल की सजा की साजिश रचने का आरोप लगाया है, जिसके कारण उन्हें संसद से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। उस वक्त कांग्रेस पार्टी के लिए यह खतरा पैदा हो गया था कि राहुल गांधी अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेता निजी तौर पर स्वीकार करते हैं कि विपक्षी खेमे में प्रमुख खिलाड़ी के रूप में राहुल का होना सत्तारूढ़ दल के लिए ज्यादा फायदेमंद है, क्योंकि अगर लड़ाई राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के बीच होती है तो यह बीजेपी के लिए बड़ी बढ़त होगी।
2014 में मोदी लहर के आगे धराशाई हो गई कांग्रेस
2014 के लोकसभा चुनावों में पूरे देश में ‘मोदी लहर’ चल रही थी, जिसमें भ्रष्टाचार के घोटालों के चलते गांधी परिवार समेत कांग्रेस पार्टी पूरी रणनीति धराशाई हो गई थी। गांधी परिवार पर वंशवाद का भी आरोप लगा था। यही वजह है कि कांग्रेस पार्टी ने कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में गांधी परिवार से इतर मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया।
‘चौकीदार चोर नहीं, मैं भी चौकीदार’
2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस वक्त मोदी ने अपने खिलाफ राहुल के भ्रष्टाचार के अभियान को पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया था। विशेष रूप से ‘राफेल घोटाला’, और राहुल के ‘चौकीदार चोर है’ नारे को भाजपा ने ‘मैं भी चौकीदार’ नारे में बदल दिया था। यह साल अधिक लोकसभा सीटों के साथ मोदी के लिए और भी बड़ी जीत थी, जिससे पता चलता है कि राहुल बनाम मोदी की सीधी लड़ाई में राहुल गांधी को मात खानी पड़ी थी।
अब 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर मोदी फिर से अपनी मजबूत छवि और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं। वो मतदाताओं को उस अस्थिरता के बारे में चेतावनी दे रहे हैं, जो गठबंधन सरकारें ला सकती हैं जैसा कि इंडियाी गठबंधन द्वारा वादा किया गया है। वह मतदाताओं को विपक्ष के ‘भ्रष्टाचार’ और ‘वंशवादी राजनीति’ के इतिहास की भी याद दिला रहे हैं, जिसे मतदाता पहले 2014 और 2019 में खारिज कर चुके हैं।
2024 में राहुल बनाम मोदी लड़ाई
इन सब तथ्यों को ध्यान में रखकर कहा जाए तो भाजपा को 2024 में फिर से ‘राहुल बनाम मोदी’ लड़ाई से कोई दिक्कत नहीं होगी। क्योंकि बीजेपी वास्तव में इसे मोदी की तीसरी जीत के रूप में देख रही है। इंडिया गठबंधन में चुनौती यह है कि वह अपना ध्यान जटिल सीट-बंटवारे के फॉर्मूले को सुलझाने पर केंद्रित रखे, जिसे वह राज्यों में आजमा रहा है, न कि कांग्रेस अब ‘बड़े भाई’ की भूमिका निभाना चाहती है और राहुल को डिफॉल्ट पीएम उम्मीदवार के रूप में पेश करना चाहती है।
तृणमूल कांग्रेस (TMC) और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसी पार्टियों पहले ही कह चुकी हैं कि उनकी पार्टी के चीफ ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल भी दावेदार हैं। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि आने वाले महीनों में इस मुद्दे पर लड़ाई बढ़ सकती है।