कोरोना वायरस संक्रमण से मंगलवार को राहत इंदौरी का निधन होने के बाद अदब की मंचीय दुनिया ने वह नामचीन दस्तखत खो दिया है जिनका काव्य पाठ सुनने के लिये दुनिया भर के मुशायरों और कवि सम्मेलनों में लोग बड़ी तादाद में उमड़ पड़ते थे। हालांकि, यह बात कम ही लोग जानते होंगे कि एक जमाने में वह पेशेवर तौर पर साइन बोर्ड पेंटर थे।
इंदौरी के परिवार के करीबी सैयद वाहिद अली ने “पीटीआई-भाषा” को बताया, “शहर के मालवा मिल इलाके में करीब 50 साल पहले उनकी पेंटिंग की दुकान थी। उस वक्त वह साइन बोर्ड पेंटिंग के जरिये आजीविका कमाते थे।” अली ने बताया कि उर्दू में ऊंची तालीम लेने के बाद इंदौरी एक स्थानीय कॉलेज में इस जुबान के प्रोफेसर बन गये थे। लेकिन बाद में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और वह अपना पूरा वक्त शायरी और मंचीय काव्य पाठ को देने लगे थे।
अपने 70 साल के जीवन में इंदौरी पिछले साढ़े चार दशक से अलग-अलग मंचों पर शायरी पढ़ रहे थे। उन्होंने कुछ हिन्दी फिल्मों के लिये गीत भी लिखे थे। लेकिन बाद में फिल्मी गीत लेखन से उनका मोहभंग हो गया था। इंदौरी का असली नाम “राहत कुरैशी” था। हालांकि, इंदौर में पैदाइश और पलने-बढ़ने के कारण उन्होंने अपना तखल्लुस (शायर का उपनाम) “इंदौरी” चुना था। उनके पिता एक कपड़ा मिल के मजदूर थे और उनका बचपन संघर्ष के साये में बीता था।
अली ने बताया, “इस संघर्ष ने इंदौरी की शायरी को नये तेवर दिये। वह हालात से लड़ते हुए शायरी की दुनिया में सीढ़ी-दर-सीढ़ी आगे बढ़ते रहे।” इस बात का सबूत इंदौरी के इस शेर में मिलता है-“शाखों से टूट जायें, वो पत्ते नहीं हैं हम, आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे।” इसी तासीर का उनका एक और शेर है -“आंख में पानी रखो, होंठों पर चिंगारी रखो, जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।”
इंदौरी की शायरी अलग-अलग आंदोलनों के मंचों पर भी गूंजती रही है। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले लोगों के लिये उनका मशहूर शेर “सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है।”, जैसे कोई नारा बन गया था।
सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में देश भर में हुए धरना-प्रदर्शनों से लेकर सोशल मीडिया की अभिव्यक्तियों में इस शेर का खूब इस्तेमाल किया गया था। इंदौरी के करीबी लोग बताते हैं कि पिछले कुछ बरसों में वह दुनिया भर में लगातार मंचीय प्रस्तुतियां दे रहे थे और अपने इन दौरों के कारण गृहनगर में कम ही रह पाते थे।
बहरहाल, कोविड-19 के प्रकोप के कारण वह गुजरे साढ़े चार महीनों से उस इंदौर के अपने घर में रहने को मजबूर थे जो देश में इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल है। इंदौरी ने अपनी मशहूर गजल “बुलाती है, मगर जाने का नईं (नहीं)” का एक शेर 14 मार्च को ट्वीट किया था-“वबा फैली हुई है हर तरफ, अभी माहौल मर जाने का नईं…..”
इंदौरी ने अपने इस ट्वीट के साथ “कोविड-19” और “कोरोना” जैसे हैश टैग इस्तेमाल करते हुए यह भी बताया था कि वबा का हिन्दी अर्थ महामारी होता है। कोविड-19 की महामारी से इंदौरी के निधन से देश-दुनिया में उनके लाखों प्रशंसकों में शोक की लहर फैल गयी है और उन्हें सोशल मीडिया पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। उनके निधन के बाद टि्वटर पर #RahatIndori, RIP Sir और #riprahatindori ट्रेंड करने लगे था।
Speechless to hear the news of @rahatindori‘s passing away. This is a personal loss. May Allah grant him maghfirah & illuminate his grave
This clip is from January 25-26 this year when #RahatIndori sahab had visited us in Hyderabad for an Ehtejaji Mushaira against CAA NRC & NPR pic.twitter.com/PTHmSSoxiz
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 11, 2020
आम से लेकर खास तक ने उन्हें जाने पर दुख जताया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को मशहूर शायर राहत इंदौरी के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह मध्यप्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति है। चौहान ने ट्वीट किया, ‘‘अपनी शायरी से लाखों-करोड़ों दिलों पर राज करने वाले मशहूर शायर, हरदिल अज़ीज़ श्री राहत इंदौरी का निधन मध्यप्रदेश और देश के लिए अपूरणीय क्षति है।’’
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया, ‘‘ख्यात शायर, प्रदेश ही नहीं देश की शान राहत इंदौरी साहब के दुःखद निधन का समाचार सुन कर मैं स्तब्ध हूँ। आज सुबह ही उनके अस्वस्थ होने का समाचार मिला। हम सभी ने दुआ की कि वे जल्द स्वस्थ हो लेकिन वो हमें यूँ अचानक, असमय छोड़ जाएँगे, यह विश्वास नहीं हो रहा है।’’
मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ एवं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया, ‘‘ख्यात शायर, प्रदेश ही नहीं देश की शान राहत इंदौरी साहब के दुःखद निधन का समाचार सुन कर मैं स्तब्ध हूँ। आज सुबह ही उनके अस्वस्थ होने का समाचार मिला। हम सभी ने दुआ की कि वे जल्द स्वस्थ हो लेकिन वो हमें यूँ अचानक, असमय छोड़ जाएँगे, यह विश्वास नहीं हो रहा है।’’
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी व पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दिलअजीज शायर राहत इंदौरी के निधन पर शोक जताते हुए इसे उर्दू शायरी के लिए बड़ा नुकसान बताया है।
Watch this video , analyze it with current COVID situation and definitely then you can’t stop yourself from retweeting it … #RahatIndori#राहत_इंदौरी#RIP pic.twitter.com/iMeq4Nc5nv
— yash shukla (@yashshukla8765) August 11, 2020