पंजाब सरकार ने भाखड़ा डैम से हरियाणा को दी जाने वाली पानी की आपूर्ति में अचानक कटौती कर दी है। पहले जहां रोजाना 9,000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा था, अब यह घटाकर केवल 4,000 क्यूसेक कर दिया गया है। इससे हरियाणा के लगभग छह जिलों में पानी का संकट खड़ा हो गया है, जो आने वाले दिनों में और भी विकराल रूप ले सकता है।

पंजाब के मुख्यमंत्री बोले- हरियाणा को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है

इस विवाद के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मंगलवार को बयान दिया कि राज्य के पास हरियाणा को देने के लिए अतिरिक्त पानी नहीं है। वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बताया कि भगवंत मान ने उन्हें इस समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था।

भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) की निगरानी में हर साल पंजाब सरकार हरियाणा और राजस्थान को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराती है। यह जल आवंटन 21 मई से अगले वर्ष की 21 मई तक मान्य होता है। इस नहर के माध्यम से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की लाखों एकड़ जमीन की सिंचाई होती है। साथ ही यह पानी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पीने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, खासकर उन इलाकों में जहां भूजल की कमी है।

पंजाब का कहना है कि हरियाणा पहले ही मार्च में अपनी तय सीमा का पानी खर्च कर चुका है, क्योंकि उसका जल प्रबंधन सही नहीं था। इसी वजह से अब पंजाब ने हरियाणा को दिए जाने वाले पानी में 5,000 क्यूसेक की कटौती कर दी है। इसका असर हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, रोहतक और महेन्द्रगढ़ जैसे जिलों में दिखाई देने लगा है। हालात यही रहे तो अन्य जिलों में भी पेयजल संकट गहरा सकता है।

इस मुद्दे को लेकर दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच फोन पर बातचीत भी हुई थी

मंगलवार को दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हुई। इसके बाद भगवंत मान ने वीडियो संदेश जारी करते हुए आरोप लगाया कि हरियाणा ने पानी का किफायती और समझदारी से इस्तेमाल नहीं किया, जिसकी वजह से वह मार्च में ही अपना कोटा खत्म कर बैठा। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद पंजाब ‘मानवता के आधार’ पर 4,000 क्यूसेक पानी दे रहा है, जबकि नियमों के अनुसार वह भी नहीं दिया जाना चाहिए।

मान ने केंद्र सरकार को सुझाव देते हुए कहा कि पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोका जाए और उसे पंजाब के बांधों में डायवर्ट किया जाए। यदि ऐसा हुआ तो पंजाब अपने बांधों से हरियाणा को पर्याप्त पानी देने में सक्षम होगा। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा बीबीएमबी के माध्यम से दबाव बना रही है, जबकि पंजाब के पास हरियाणा को देने के लिए एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस बार पौंग डैम में 24 फुट और रणजीत सागर डैम में 39 फुट पानी कम है।

हरियाणा के मुख्यमंत्री सैनी ने मान के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि 26 अप्रैल को उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्री मान से फोन पर बात की थी और उन्हें बताया था कि बीबीएमबी की तकनीकी समिति ने 23 अप्रैल को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के लिए जो जल आवंटन तय किया था, उसका पालन पंजाब के अधिकारी नहीं कर रहे। इस पर मान ने आश्वासन दिया था कि वह तुरंत अधिकारियों को निर्देश देंगे।

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सैनी ने बताया कि जब अगले दिन यानी 27 अप्रैल को दोपहर 2 बजे तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने भगवंत मान को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी। लेकिन जवाब देने के बजाय पंजाब के मुख्यमंत्री ने वीडियो संदेश जारी कर तथ्यों को नकारते हुए जनता को गुमराह करने की कोशिश की।

मुख्यमंत्री सैनी ने भगवंत मान से अपील की कि वे राजनीतिक मतभेद से ऊपर उठकर हरियाणा को पेयजल उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि मानसून से पहले भाखड़ा डैम को खाली करना जरूरी है, ताकि बारिश का पानी उसमें संग्रहित किया जा सके। अगर बांध भरा रहा, तो पानी पाकिस्तान चला जाएगा, जो न पंजाब के हित में होगा और न देश के।

सैनी ने आरोप लगाया कि भगवंत मान इस विषय को राजनीतिक रंग दे रहे हैं, जबकि यह एसवाईएल नहर का नहीं, बल्कि लोगों के पीने के पानी का सवाल है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को उसका पूरा पानी नहीं मिल रहा। पिछले हफ्ते उसे केवल 4,000 क्यूसेक पानी मिला, जो जरूरत का सिर्फ 60% है। यदि शेष पानी दिया जाए, तो वह भाखड़ा डैम की कुल क्षमता का केवल 0.0001% होगा।

सैनी ने यह भी चेतावनी दी कि अगर यही स्थिति रही तो दिल्ली भी प्रभावित हो सकती है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी, तब भगवंत मान को वहां पानी भेजने में कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन अब वे राजनीति के चलते दिल्ली की जनता को भी सजा दे रहे हैं।