कांग्रेस नेता जयराम रमेश का कहना है कि ‘इंडिया’ गठबंधन राष्ट्रीय राजनीति के लिए है। हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों ने न सिर्फ कांग्रेस बल्कि अन्य विपक्षी दलों में उत्साह ला दिया है। उनका कहना है कि आप परमाणु परीक्षण करें लेकिन उसका चुनावी फायदा उठाने की कोशिश नहीं कीजिए क्योंकि जनता वोट देते वक्त परमाणु नहीं प्याज को देखती है। कर्नाटक पर उन्होंने कहा कि अगर आपका क्षेत्रीय नेतृत्व मजबूत है तो करामाती जीत हासिल हो सकती है। राजनीति में सोशल मीडिया की भूमिका पर उन्होंने कहा कि यह राजनीति का माध्यम बन सकता है लेकिन मकसद नहीं। नई दिल्ली में जयराम रमेश के साथ कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज की विस्तृत बातचीत के चुनिंदा अंश।

मुकेश भारद्वाज– सवालों की शुरुआत पांच राज्यों में आनेवाले चुनाव की बातों के साथ। ये राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस की साख दांव पर लगी हुई है। कैसी तैयारी है? क्या आप इन्हें लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानेंगे?
जयराम रमेश – सेमीफाइनल जैसी बातें बेमानी है। यह सब चक्र है। 2003 में हमलोग मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान हारे। 2004 में हमारी यूपीए की सरकार बनी। सेमीफाइनल अलग था, फाइनल अलग था। अभी 2018 में हम तीन जीते और सरकार उनकी बनी। अभी की बात करें तो कर्नाटक के बाद हौसला बढ़ा है। कांग्रेस में, भाजपा विरोधी शक्तियों में उत्साह आया है। मैं समझता हूं कि कर्नाटक की जीत एक निर्णायक और परिवर्तनकारी क्षण था। कर्नाटक न केवल हमने जीता बल्कि जिस ढंग से जीता, जितने अंतर से जीता वह सब उत्साहजनक है। भाजपा के केंद्रीय नेताओं से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री तक ने कितना प्रचार किया, उसका कोई असर नहीं हुआ। कर्नाटक का असर तेलंगाना में दिखाई दे रहा है। लोग कहते थे कि राजस्थान में हमेशा पांच साल में सत्ता बदलती है। अभी वहां व्यवस्था विरोधी माहौल तो कहीं दिखाई नहीं दे रहा है।

मुकेश भारद्वाज– भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस को पहला उत्साह हिमाचल प्रदेश ने दिया था। बाकी के राज्यों में आप कैसा भविष्य देखते हैं?
जयराम रमेश -हिमाचल में हमारी जीत काफी निर्णायक थी। मध्य प्रदेश में भी हमारे संगठन में उत्साह है, आत्मविश्वास है। तेलंगाना में तो है ही। चुनाव के अगले चक्र में तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, मिजोरम में हैं। यहां आत्मविश्वास के साथ हमारे कार्यकर्ता, हमारे नेता लगे हुए हैं। संगठन में एकजुटता है। कर्नाटक में सवाल उठे थे कि वहां बड़े-बड़े नेता हैं। क्या वे एक साथ होकर लड़ेंगे। वे एक साथ होकर ही लड़े। संगठन में जो एकजुटता दिखाई दे रही है हमारे लिए बहुत फायदेमंद है। मैं नहीं कहता कि नतीजा क्या होगा। मैं ज्योतिषी नहीं हूं। मैं जरूर ये कहूंगा कि हमारा हौसला मजबूत है, हमारा आत्मविश्वास मजबूत है। पूरा विश्वास है कि हमें इन राज्यों में जनादेश मिलेगा।

मुकेश भारद्वाज– चुनाव में जीत हो या हार हो हर पार्टी उसका विश्लेषण करती है। दो राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस का विश्लेषण क्या कहता है कि कौन सी चीजें आपके पक्ष में रहीं।
जयराम रमेश -लोग भाजपा से थके हुए हैं। ये राष्ट्रीय चुनाव नहीं था। यहां हमारे स्थानीय नेता थे। कर्नाटक में दो दिग्गज नेता थे, सिद्धरमैया जी मुख्यमंत्री बने और डीके शिवकुमार उपमुख्यमंत्री बने। हिमाचल में हमारे नेता थे। मध्यप्रदेश में कमलनाथ जी हैं, दिग्विजय सिंह जी हैं, राजस्थान में अशोक गहलोत हैं ही। छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल, तेलंगाना में रेवंत रेड्डी हैं। बड़ा सबक हमें यह मिला कर्नाटक के चुनाव से कि अगर आपका स्थानीय नेतृत्व मजबूत है तो वहां प्रधानमंत्री भी प्रचार के लिए जाते हैं तो कोई फर्क नहीं पड़ता है।

Congress | Jairam Ramesh | I.N.D.I.A. | NDA | Modi Government | 2024 Lok Sabha Elections |
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बारे में जयराम रमेश के विचार।

मुकेश भारद्वाज– यह स्थिति लोकसभा में बदल जाती है।
जयराम रमेश– बिल्कुल, मैं इससे इनकार नहीं करूंगा। आज पूरी भाजपा इसरो का ढिंढोरा पीट रही है। मैं आपको ढाई दशक पहले ले चलता हूं। 1998 में दो परमाणु विस्फोट हुए। परमाणु शक्ति बनने के बाद ऐसे प्रचार हुआ कि सारे चुनाव भाजपा जीतेगी। चार महीने बाद दिल्ली में चुनाव हुए। मध्य प्रदेश में चुनाव हुए, राजस्थान में चुनाव हुए। तब मध्य प्रदेश का विभाजन नहीं हुआ था एक ही प्रदेश था। कौन जीता? कांग्रेस पार्टी जीती। क्यों जीती? जीतने की वजह प्याज थी। मुझे आज भी याद है पच्चीस साल पहले मैं एक स्टूडियो में गया था कांग्रेस प्रवक्ता के रूप में। मेरे सामने एक प्याज रखा था। भाजपा के प्रवक्ता कह रहे थे परमाणु परीक्षण हुआ, ये हुआ, वो हुआ। मैंने सिर्फ प्याज दिखाया। मैंने कहा-ये प्याज है न, ये परमाणु टेस्ट-वेस्ट कुछ नहीं हैं। ये प्याज का दाम ही तय करेगा कि चुनाव में क्या होगा। उसी की वजह से हम तीनों चुनाव जीते। मानता हूं इसरो की यह बड़ी उपलब्धि है। लेकिन आप इसे चुनावी फायदे के लिए देखते हैं। मैं कहता हूं कि जब चुनाव का वक्त आता है लोग समझदारी से वोट देते हैं।

मुकेश भारद्वाज– आप प्याज की बात कर रहे हैं तो जाहिर है कि आपका मतलब महंगाई से है। क्या महंगाई का मुद्दा मौजूदा सरकार के खिलाफ जाएगा?
जयराम रमेश– बिल्कुल जाएगा। टमाटर, दाल, गेहूं, चावल सभी आवश्यक वस्तुओं की कीमतें देखिए न। महंगाई से लोगों को रोज भुगतना पड़ता है। सब जानते हैं कि वास्तविकता क्या है। इसके साथ-साथ बेरोजगारी भी है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां बंद हो रही हैं। सरकारी क्षेत्रों में रोजगार घट रहे हैं। एक तरफ महंगाई बढ़ती जा रही है, दूसरी तरफ रोजगार के अवसर नहीं बढ़ रहे हैं। कई राज्यों में भय का वातावरण है, सामाजिक ध्रुवीकरण का माहौल है। भाजपा के पास सिर्फ एक ही चुनावी हथियार है। हरियाणा में देखिए, मध्य प्रदेश में देखिए। लोग तंग आ चुके हैं इस ध्रुवीकरण से। लोग चाहते हैं कि कीमतों पर कुछ नियंत्रण आए। लोग चाहते हैं कि रोजगार के अवसर बढ़ें, वे सद्भावना के साथ रहें।

मुकेश भारद्वाज– डिजिटल दुनिया को देखते हुए इस समय कांग्रेस में आपकी भूमिका और अहम है। डिजिटल प्रचार भाजपा की मजबूती मानी जाती है। जब आपने यह विभाग संभाला था तो लोगों को आपको लेकर खासी जिज्ञासा हुई थी। आपके पहले यह युवा लोगों के हाथों में था। आपको इस क्षेत्र में सफल माना जा रहा है और कांग्रेस के मौजूदा छवि प्रबंधन का श्रेय आपको दिया जा रहा है।
जयराम रमेश– मैं अपने बारे में कुछ नहीं कहूंगा, हमारी रणनीति के बारे में कुछ नहीं कहूंगा। ये आप लोगों को तय करना है कि हम जो तरीका अपना रहे हैं वह कितना प्रभावशाली है। आज सबलोग मानते हैं कि कांग्रेस की मीडिया में नई आक्रामकता आई है। ये जो सोशल मीडिया है, डिजिटल मीडिया है ये सब राजनीतिक रणनीति के ही हथियार हैं। जब आपकी राजनीतिक रणनीति स्पष्ट होगी तभी डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल कर सकेंगे। डिजिटल मीडिया रणनीति तय नहीं कर सकता, राजनीतिक रणनीति को तय नहीं कर सकता। राजनीतिक रणनीति से ही डिजिटल मीडिया की रणनीति तय होगी। हमारा सबसे बड़ा डिजिटल था भारत जोड़ो यात्रा। उससे कांग्रेस की छवि बदली। असली राहुल गांधी दिखाए दिए। लोग पूछ रहे हैं कि भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण कब शुरू होगा? आप दक्षिण से उत्तर गए अब आप पूर्व से पश्चिम कब आएंगे?

मुकेश भारद्वाज– भारत जोड़ो यात्रा का दूसरा चरण शुरू होगा?
जयराम रमेश– उम्मीद करता हूं होगा। आप जितना भी सोशल मीडिया करें पर भारत जोड़ो यात्रा की वजह से जो एक सकारात्मक छवि बनी है कांग्रेस पार्टी की, हमारे नेतृत्व की वह कोई सोशल मीडिया नहीं कर सकता था। हमने सोशल मीडिया का इस्तेमाल भारत जोड़ो यात्रा के संदेश को प्रसारित करने के लिए किया। आर्थिक विषमताओं, सामाजिक ध्रुवीकरण, राजनीतिक तानाशाही का संदेश हम जनता तक पहुंचाना चाहते थे। सोशल मीडिया एक माध्यम है, यह मकसद नहीं बन सकता। सोशल मीडिया में हम राजनीति नहीं कर सकते हैं। हां, राजनीति में सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सकते हैं।

मुकेश भारद्वाज– भाजपा 2014 में सत्ता में आई। उसके बाद 2019 में और प्रचंड बहुमत से आई। देखा गया है कि भाजपा के निशाने पर कांग्रेस पार्टी नहीं बल्कि राहुल गांधी और गांधी परिवार रहता है। इसे कैसे देखते हैं?
जयराम रमेश– वाजपेयी जी के जमाने में, आडवाणी जी के जमाने में ऐसा नहीं था। अब इन्होंने बना दिया है। राहुल गांधी को संसद से अयोग्य घोषित करवाया। अब भाजपा की राजनीति प्रतिशोध की राजनीति है। डराने की राजनीति है। मैं हमेशा कहता हूं, राहुल जी ने भी कहा है कि जो डरे हुए हैं वे खुद डराते हैं। प्रतिशोध की राजनीति में हम विश्वास नहीं करते। भाजपा में भी पहले इस तरह की प्रतिशोध की राजनीति नहीं हुआ करती थी। ऐसी राजनीति तो 2014 के बाद शुरू हुई है।

मुकेश भारद्वाज– भाजपा राहुल गांधी को सबसे बड़ी कमजोरी मानती है इसलिए उन पर हमलावर रहती है। उन्हें वंशवादी राजनीति का प्रतीक बना दिया गया है।
जयराम रमेश– भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व राहुल गांधी ने किया। संसद में उन्होंने सात फरवरी को बहुत असरदार भाषण दिया। इसके बाद उन्हें अयोग्य करार दिया गया। ये सब क्या दिखाता है? वे डरे हुए हैं राहुल जी से। राहुल गांधी एकमात्र आवाज हैं जो उनके खिलाफ आर्थिक विषमताओं के मामले में, अडाणी के मामले में, तानाशाही के मामले में, ध्रुवीकरण के मामले में, चीन के मामले में, कोई भी मुद्दा हो खड़े होते हैं। मुझे कोई आश्चर्य नहीं है कि उन्होंने राहुल गांधी को निशाना बनाया। वे अपना काम करें, हम अपना काम करते रहें। रही वंशवाद की बात तो अनुराग ठाकुर कौन हैं? कई ऐसे मिसाल दे सकता हूं आपको। ज्योतिरादित्य सिंधिया, पीयूष गोयल क्या हैं? जो शीशे के महल में रहते हैं उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए। पत्थर उन्हीं पर वापस आ सकता है।

मुकेश भारद्वाज– कांग्रेस के ऊपर शुरुआती हमला भ्रष्टाचार के आरोप के साथ हुआ। अब भी कांग्रेस को लेकर इसी का हौवा खड़ा किया जाता है।
जयराम रमेश– बिल्कुल बकवास था सब। सीएजी की रिपोर्ट आधार बनी थी। उसके बाद सीएजी की रिपोर्ट बिल्कुल गलत साबित हुई। उसके आधार पर उन्होंने चुनावी प्रचार किया। अण्णा हजारे को रामलीला मैदान में बिठाया। पिछले दिनों में जो सीएजी की रिपोर्ट आई हैं वे क्या दिखाती हैं? हमने तो मुद्दा उठाया है।

मुकेश भारद्वाज– भाजपा प्रधानमंत्री के चेहरे के नाम पर अपनी बढ़त मान रही है कि उसके पास एक पुख्ता पसंद है। कांग्रेस और अन्य दल इस मुद्दे पर क्या सोच रहे हैं?
जयराम रमेश– हमारे देश में अमेरिका की तरह अध्यक्षीय प्रणाली नहीं है। यहां राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं, उनका चुनाव निशान और घोषणापत्र होता है। राजनीतिक दलों के नेता होते हैं। कभी ऐसा हुआ कि पदासीन प्रधानमंत्री को ही अगला चेहरा बनाया गया जैसे राजीव गांधी तो मनमोहन सिंह को। पर, चुनाव तो राजनीतिक दलों के बीच ही होता है।

मुकेश भारद्वाज– नए गठबंधन ‘इंडिया’ में क्षेत्रीय दल बहुत मजबूत हैं। सीटों के बंटवारे की मुश्किल से कैसे पार पाएगा यह गठबंधन।
जयराम रमेश– यह आसान काम नहीं है। केरल में हम वामपंथी दलों से लड़ रहे हैं, पंजाब में आम आदमी पार्टी के साथ लड़ रहे हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन राष्ट्रीय राजनीति के लिए है। यह क्षेत्रीय राजनीति के लिए नहीं है। भाजपा से छुटकारा पाने के लिए है। यह सब मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं है। ‘यूपीए’ और ‘इंडिया’ में एक फर्क और है। ‘यूपीए’ चुनाव के बाद बना था। यह 2004 में चुनाव नतीजों के बाद अस्तित्व में आया था। ‘इंडिया’ गठबंधन जो चुनाव के पहले बना है उसका राष्ट्रीय राजनीति के लिए लक्ष्य स्पष्ट है।

मुकेश भारद्वाज– कांग्रेस और भाजपा में एक और फर्क है। कांग्रेस में हालात बदलते ही लोग बागी हो जाते हैं। भाजपा ने 12 केंद्रीय मंत्री हटाए और वे पार्टी में हैं। कांग्रेस में ऐसा होता तो?
जयराम रमेश– हम एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं। हम किसी की आवाज को दबाते नहीं हैं। अलग-अलग विचार हैं। मुझे कई बार कहा जाता है कि एक मुद्दे पर तीन-चार आवाजें आती हैं आप उन्हें चुप क्यों नहीं करवाते हैं। मैं कहता हूं नहीं रहने दो। हम एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं। हर एक को अपनी लक्ष्मणरेखा पहचाननी चाहिए। एक ही आवाज का होना, एक ही लाइन लेना, कांग्रेस पार्टी की परंपरा नहीं रही है। कांग्रेस पार्टी में हमेशा अलग-अलग विचार रहे हैं। रही पार्टी से बगावत की बात तो देखिए अभी कर्नाटक में क्या हो रहा है। हमें कहना पड़ता है भाजपा वालों को-कृपया इंतजार कीजिए, आप कतार में हैं।

मुकेश भारद्वाज– कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मल्लिकार्जुन खरगे की शुरुआत तो शानदार रही है। आगे क्या उम्मीद है खरगे जी से?
जयराम रमेश– खरगे जी का कमाल नहीं। पचास साल पहले वो ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष बने। उसके बाद जिला कांग्रेस, उसके बाद प्रदेश कांग्रेस, उसके बाद राज्य कैबिनेट में मंत्री, लोकसभा के नेता, केंद्रीय मंत्री। क्या-क्या पद नहीं संभाला है उन्होंने। अस्सी साल के हैं और देखिए क्या ऊर्जा है। कल तेलंगाना में थे, परसों मध्य प्रदेश में थे। कर्नाटक में जो हम जीते हैं राहुल जी, सोनिया जी का प्रचार तो था ही। खरगे जी ने भी चालीस सीटों पर प्रचार किया। वे कर्नाटक के ही हैं तो उनका भी असर रहा।

मुकेश भारद्वाज– कांग्रेस पर सत्ताधारी पार्टी का जो हमला है, वह वर्तमान में तो राहुल गांधी पर है लेकिन अतीत में लंबा है। अतीत में नेहरू से शुरू होकर चीन और 1984 के दंगों तक जाता है।
जयराम रमेश– उनका मकसद है नेहरू को हटाना। नेहरू की विरासत को बदनाम करना, कांग्रेस पार्टी को बदनाम करना। नेहरू बनाम गांधी, नेहरू बनाम पटेल, नेहरू बनाम बोस। असलियत क्या है? 1942 के ‘क्विट इंडिया मूवमेंट’ का विरोध आरएसएस ने किया था। हिंदू महासभा ने उसका विरोध किया था। उसका क्या योगदान था। अभी कांग्रेस पार्टी से ले जा रहे हैं, सरदार पटेल को लिया, नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लिया। आंबेडकर की आलोचना करने वाले आज आंबेडकर का गुणगान गा रहे हैं। जिन लोगों की कोई भूमिका नहीं थी संविधान बनाने में, भारत छोड़ो आंदोलन में वे कांग्रेस से चेहरा ले रहे हैं। इनकी गांधी के बिल्कुल विपरीत विचारधारा थी। आज गांधी का चश्मा लेकर उन्होंने स्वस्थ भारत का प्रतीक बना दिया। ये तो पाखंड है न। पाखंड की भी एक सीमा होनी चाहिए।

मुकेश भारद्वाज– बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे क्या ध्रुवीकरण के सामने टिक पाएंगे?
जयराम रमेश– कोशिश करनी ही पड़ेगी। इनकी रणनीति है कि बस लोकतंत्र के निशान रहने दो और लोकतंत्र को खत्म कर दो। संसद रहने दो लेकिन वहां बहस नहीं होने दो। अब देखिए जरा, संसद में बहस नहीं होगी और सनी देओल की फिल्म दिखाई जाएगी। ये लोकतंत्र के नाम पर सिर्फ निशान रहने देना चाहते हैं। एक तरफ लोकतंत्र की शहनाई है दूसरी तरफ एकतंत्र का तोप है। हमें जनता के बीच जाकर कहना है कि ये एकतंत्र का तोप हमारे देश के लिए खतरनाक है, आपके लिए खतरनाक है, और जो भारत की परिभाषा है वो एक लोकतंत्र की शहनाई की परिभाषा है, वे इसे मिटाना चाहते हैं। आसान नहीं है यह काम। 2014 से ये सत्ता में हैं। सारी संस्थाएं उनके हाथ में हैं। आसान नहीं है, लेकिन असंभव भी नहीं है। 2003 में इंडिया शायनिंग सब लोग कह रहे थे, 2004 में तो हम जीते न। 2009 में आडवाणी जी ने क्या-क्या आरोप नहीं लगाया हम पर। पर हम बहुत ज्यादा बहुमत से जीते। 2014, 2019 में हम बुरी तरह हारे हैं, मैं स्वीकारता हूं। हमारी ही कमी थी। पर इस बार मुझे पूरा विश्वास है कि लोग बदलाव देखना चाहते हैं।

मुकेश भारद्वाज– क्या कांग्रेस की कोशिश होगी कि राहुल गांधी के चेहरे को प्रधानमंत्री पद के लिए स्वीकार्य बनाया जाए?
जयराम रमेश– इस विषय में मैं कुछ नहीं कह सकता।