चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से जब एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या अभी भी उनकी पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से बात होती है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कौन होगा, जिसे पीएम फोन करें और वो बात करने से मना कर दे? इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के साथ अपने रिश्ते और प्रपोजल को लेकर भी बातें कीं।

पार्टी लीडरशीप पर राय- बीबीसी के साथ बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि जो प्रपोजल उन्होंने कांग्रेस को दिए हैं, उसके बारे में ज्यादातर बातें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हुई हैं। कांग्रेस अध्यक्ष के लिए प्रियंका गांधी के नाम को सजेस्ट करने के सवाल पर प्रशांत ने कहा कि ये अफवाह है। इस पद के लिए उनकी पहली पसंद वर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी ही हैं। उन्होंने कहा कि वो ये जरूर चाहते हैं कि जो कांग्रेस का अध्यक्ष हो वो पार्लियामेंट पार्टी का लीडर ना हो।

प्रपोजल से होगा फायदा- प्रशांत किशोर ने कहा कि देश की मजबूती के लिए कांग्रेस बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस कमजोर होती है ये तो देश के लिए सही नहीं होगा। बीजेपी के घोर समर्थक भी मेरी इस बात से सहमत होंगे। प्रशांत किशोर ने आगे बताया कि वो खुद कांग्रेस के पास गए थे, कांग्रेस पार्टी के सामने उनका कद इतना बड़ा नहीं है कि कांग्रेस पार्टी उनके पास आए।

उन्होंने कहा कि उनके प्रपोजल में रखे गए सुझावों पर यदि कांग्रेस अमल करती है तो उसे जरूर फायदा होगा। आगे के भविष्य को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि वो अगले एक-दो दिन में इसके बारे में साफ कर देंगे। इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि उनकी पीएम मोदी और अमित शाह से अभी भी बात होती है, तो प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर पीएम फोन करेंगे तो देश का कौन सा व्यक्ति होगा जो कहेगा कि वो बात नहीं करेगा? बता दें कि प्रशांत किशोर 2014 के चुनाव में पीएम मोदी के लिए काम कर चुके हैं।

दो बार एंट्री की कोशिश- प्रशांत किशोर कांग्रेस में दो बार एंट्री की कोशिश कर चुके हैं या कांग्रेस की तरफ से कहें कि उन्हें पार्टी में शामिल होने के लिए दो बार ऑफर दिया जा चुका है। इससे पहले पांच राज्यों में चुनाव से पहले भी प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होने वाले थे। उस समय राहुल गांधी से उनकी बात हुई थी, कहा जाता है कि सबकुछ फाइनल हो चुका था, फिर अचानक से बात बिगड़ी और प्रशांत किशोर की एंट्री कांग्रेस में नहीं हो सकी।

कांग्रेस को ना- इसके बाद जब पांच चुनावी राज्यों में कांग्रेस को हार मिली तो प्रशांत एक बार फिर से प्रपोजल लेकर कांग्रेस लीडरशीप के पास गए। इस बार सीधे सोनिया गांधी के साथ उनकी मीटिंग हुई। वो भी एक बार से ज्यादा। उन्होंने कांग्रेस को फिर से खड़ा करने के लिए सोनिया गांधी को प्रपोजल दिया, जिस पर कांग्रेस में मंथन भी हुआ। प्रपोजल पर अमल के लिए ग्रुप भी बना और उसी में प्रशांत किशोर को शामिल होने का ऑफर सोनिया गांधी ने दिया, लेकिन शायद प्रशांत किशोर को इससे ज्यादा चाहिए था जिसके कारण प्रशांत किशोर ने कांग्रेस को ना कह दिया।