केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जब संसद में कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए केंद्र एक कदम और आगे चलने के लिए तैयार है। इस बयान से पीडीपी नेतृत्व को एक उम्मीद की किरण दिखाई दी थी। पीडीपी ने इसे भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तरफ से पॉजिटिव सिग्नल समझा। लेकिन पीडीपी नेतृत्व की यह उम्मीद ज्यादा दिन नहीं रही। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। बैठक की जानकारी दोनों ही पार्टियों के नेताओं द्वारा गुप्त रखी गई थी।

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हालांकि, बैठक के एक दिन बाद भाजपा के जनरल सेक्रेट्री राम माधव ने पहली बार मीडिया के सामने बैठक में हुई बातचीत का खुलासा करते हुए कहा कि यह बैठक कामयाब नहीं हुई। पीडीपी नेतृत्व के लिए माधव का बयान एक हैरान करने वाला था। कई दिनों से सीनियर पीडीपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री भाजपा नेताओं के साथ महबूबा की मांगों पर चर्चा कर रहे हैं। पीडीपी की प्रमुख मांग है पावर प्रोजेक्ट के ट्रांसफर संबंधित जिस पर केंद्रीय सरकार मानती हुई नजर नहीं आ रही। महबूबा मुफ्ती ने अपने पिता और पूर्व सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत के बाद मांग उठाई थी।

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महबूबा का भाजपा के साथ सरकार न बनाने की इच्छा की वजह से भाजपा ने ऐसा रुख अपनाया है। भाजपा अब पीडीपी अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री पद के लिए भी कड़ा रुख अपना रही है। ऐसे में पीडीपी के पास कांग्रेस और अन्य स्वतंत्र विधायकों की मदद से सरकार बनाने का भी विकल्प मौजूद है। लेकिन पार्टी के नेताओं का सोचना है कि अगर ऐसा होता है कि केंद्र सरकार हर जगह हमें नीचा दिखाने और पीडीपी को तोड़ेने की कोशिश करेगी। पीडीपी नेतृत्व इसलिए भी दबाव में है कि राज्यपाल ने राजनीतिक फैसले लेने शुरू कर दिए, जो कि पार्टी के लिए लंबे समय तक नुकसानदायक साबित हो सकते हैं।

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