बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बार फिर से बीजेपी के साथ सरकार बनाई है। नीतीश कुमार ने रविवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो वहीं आठ विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली। बीजेपी की ओर से दो डिप्टी सीएम भी बने हैं। हालांकि नीतीश कुमार पहली बार पाला नहीं बदल रहे हैं। इसके पहले भी वह कई बार पाला बदल चुके हैं।
बयानों में छिपी सियासत
सबसे अहम बात यह रहती है कि पाला बदलने का कारण नीतीश कुमार काफी दिलचस्प देते हैं। इसके सियासी मायने भी बड़े होते हैं। या यूं कह सकते हैं कि नीतीश कुमार की सियासत उनके बयानों में भी छिपी हुई है।
पीएम मोदी के कारण एनडीए छोड़ा
2010 में जेडीयू – भाजपा गठबंधन ने तीन चौथाई बहुमत हासिल किया था। सरकार अच्छे से चल रही थी लेकिन जब नरेंद्र मोदी का कद बढ़ने लगा और उन्हें पीएम उम्मीदवार घोषित किया गया तो नीतीश कुमार ने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया। नीतीश ने इसका कारण राजनीतिक विचारधारा और सिद्धांतों की बात कही थी।
2014 का लोकसभा चुनाव नीतीश कुमार ने अकेले लड़ा और पार्टी की बुरी तरह हार हुई। इसके बाद नीतीश कुमार आरजेडी और लालू यादव के साथ चले गए और महागठबंधन बनाया। 2015 का विधानसभा चुनाव जेडीयू और आरजेडी ने साथ मिलकर लड़ा और बड़ी जीत हासिल की। 2017 तक सब कुछ ठीक चलता रहा लेकिन अचानक ही सब कुछ बिगड़ गया और नीतीश कुमार ने एक बार फिर से एनडीए में शामिल होने का फैसला लिया। इस दौरान नीतीश कुमार ने पाला बदलने का कारण भ्रष्टाचार बताया।
2017 में तेजस्वी यादव का नाम मनी लॉन्ड्रिंग में आने के बाद नीतीश कुमार ने अपना इस्तीफा सौंप दिया और फिर उसके बाद वह भाजपा के समर्थन से एक बार फिर से मुख्यमंत्री बन गए। 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव हुआ और बीजेपी और जेडीयू ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा। एनडीए को बहुमत मिला और अगस्त 2022 तक यह सरकार चली। अगस्त 2022 में अचानक नीतीश कुमार का बीजेपी से मोहभंग हो जाता है और उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद तुरंत वह आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मिलते हैं और महागठबंधन बनाते हैं। इस दौरान नीतीश कुमार ने तर्क दिया कि बीजेपी चिराग पासवान की एलजेपी के जरिए उनकी पार्टी को तोड़ने का प्रयास कर रही थी। इस कारण उन्होंने एनडीए छोड़ने का फैसला लिया है।
अब दिया ये तर्क
आरजेडी के साथ 18 महीने सरकार चलाने के बाद अब एक बार फिर से नीतीश कुमार एनडीए में वापस लौटे हैं। अब नीतीश कुमार ने तर्क दिया है कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था और कामों का श्रेय कोई एक व्यक्ति ले रहा था। निश्चित तौर पर नीतीश कुमार के निशाने पर पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव थे।