स्वदेशी सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी इंफोसिस के बनाए वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) व इनकम टैक्स पोर्टलों में खामियों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी साप्ताहिक पत्रिका ‘पांचजन्य’ ने कंपनी पर हमला बोला है। पत्रिका ने पूछा है कि क्या कोई “राष्ट्र-विरोधी शक्ति इसके जरिए भारत के आर्थिक हितों को अघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है?”
अपने ताजा संस्करण में ‘पांचजन्य’ ने इंफोसिस ‘साख और अघात’ शीर्षक से चार पेज की कवर स्टोरी (कहानी) छापी है। साथ ही कवर पेज (मैग्जीन के पहले पन्ने) पर इसके संस्थापक नारायण मूर्ति की तस्वीर भी प्रकाशित की है। लेख में बेंगलुरु स्थित कंपनी पर जुबानी निशाना साधा गया है और इसे ‘ऊंची दुकान, फीका पकवान’ बताया गया है।
यह रेखांकित करते हुए कि इंफोसिस द्वारा विकसित इन पोर्टलों में नियमित रूप से दिक्कतें आती हैं, जिस वजह से करदाताओं और निवेशकों को परेशानी होती है, लेख में कहा गया कि ऐसी घटनाओं ने “भारतीय अर्थव्यवस्था में करदाताओं के विश्वास को कम कर दिया है। लेख में आगे बताया गया है कि सरकारी संगठन और एजेंसियां इंफोसिस को अहम वेबसाइटों और पोर्टलों के लिए अनुबंध देने में कभी नहीं हिचकिचाती हैं क्योंकि यह भारत की सबसे प्रतिष्ठित सॉफ्टवेयर कंपनियों में से एक है।
लेख में हैरानी जताई गई है, “ इंफोसिस द्वारा विकसित जीएसटी और आयकर रिटर्न पोर्टलों, दोनों में गड़बड़ियों के कारण, देश की अर्थव्यवस्था में करदाताओं के भरोसे को अघात पहुंचा है। क्या इंफोसिस के जरिए कोई राष्ट्रविरोधी ताकत भारत के आर्थिक हितों को अघात पहुंचाने की कोशिश कर रही है?”
हालांकि लेख में उल्लेख किया गया है कि पत्रिका के पास यह कहने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है, लेकिन इसमें कहा गया है कि इंफोसिस पर कई बार “नक्सलियों, वामपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गिरोह” की मदद करने का आरोप लगाया गया है। इसमें यह भी पूछा कि क्या इंफोसिस “अपने विदेशी ग्राहकों को भी इसी तरह की घटिया सेवा प्रदान” करेगी?
संपर्क करने पर, ‘पांचजन्य’ के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि इंफोसिस एक बड़ी कंपनी है और सरकार ने उसकी विश्वसनीयता के आधार पर उसे बहुत अहम कार्य दिए हैं। शंकर बोले, “इन कर पोर्टलों में गड़बड़ियां राष्ट्रीय चिंता का विषय हैं और जो इसके लिए जिम्मेदार हैं उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
वैसे, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस आर्टिकल को “राष्ट्र-विरोधी” करार दिया है। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि यह सरकार पर से दोष को हटाने की कोशिश है और इसकी निंदा की जानी चाहिए। रमेश के मुताबिक, “आरएसएस के एक प्रकाशन में इंफोसिस पर किया गया अपमानजनक हमला निंदनीय है और वास्तव में राष्ट्र-विरोधी है। इंफोसिस जैसी कंपनियों ने भारत को और दुनिया में उसकी स्थिति को बदला है।”