Coronavirus (COVID-19) संकट और Lockdown के बीच महानगरों से मजदूरों का पलायन थम नहीं रहा है। रविवार को दिल्ली-एनसीआर और आसपास के इलाकों से हजारों श्रमिकों और प्रवासियों ने गृह राज्यों की ओर कदम बढ़ाए। देशव्यापी बंद के बाद काम-धंधा गंवा चुके अधिकतर बेबस मजदूरों में कुछ शहर के बॉर्डर पार करने में सफल रहे, जबकि कुछ नाकाम। ऐसे ही प्रवासियों में थीं सुनीता।

मूलरूप से वह बिहार की रहने वाली हैं। समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, वहां सासाराम में उनके पति का देहांत हो चुका है, जबकि लाश घर पर ही रखी हुई है। घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं। लड़का बुरी तरह रोता है। ऐसे में मजबूरी में उन्हें घर जाना पड़ रहा है, पर यूपी गेट के पास दिल्ली-यूपी बॉर्डर क्रॉस नहीं करने दिया गया (खबर आने तक)।

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सुनीता इस दौरान सिर पर सामान से भरा झोला लादे थीं। आंखों में आंसू थे और चेहरे के हावभाव से घर जाने को लेकर तड़प जगजाहिर थी। मौके पर उनसे एक हिंदी टीवी चैनल की रिपोर्टर ने बात की तो उन्होंने अपना दुख-दर्द रोते-बिलखते सुनाया। उनके मुताबिक, ‘हमारा पति मर गए हैं, बच्चे रो रहे हैं..हमें घर पहुंचा दीजिए।”

बस के इंतजार में शनिवार रात से वहां ठहरीं सुनीता किसी भी तरह गांव जाना चाहती हैं। उन्होंने और उनके साथ एक अन्य महिला ने बताया था- रात 10 बजे से हैं यहां। खाने-पीने को भी कुछ नहीं मिला। हमें किसी भी गाड़ी में बैठा दीजिए। हम चले जाएंगे। हमारा लड़का रो रहा है। हम नई दिल्ली में रहते थे। हम यहां तक पैदल आएं। क्या करें? दुख और आफत की स्थिति में क्या करें? पुलिस-प्रशासन के लोग भी नहीं बता रहे हैं कि हम कैसे लौटें। देखें, VIDEO: