राष्ट्रपति ने सोमवार को चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को अगला मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और हरियाणा के मुख्य सचिव डॉ विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त (EC) नियुक्त किया। यह नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति की बैठक के कुछ घंटों बाद हुई, जिसमें लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकार से नई नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक नियुक्ति को स्थगित करने को कहा।
CEC की नियुक्ति की अधिसूचना सोमवार देर रात जारी की गई जबकि सुप्रीम कोर्ट नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने वाला है।
सूत्रों के अनुसार, 30 मिनट की बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के पदों के लिए चुने गए पांच-पांच नामों के पैनल समिति के समक्ष विचार के लिए रखे गए। सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी के असहमति नोट को बैठक की कार्यवाही में शामिल किया गया। यह बैठक साउथ ब्लॉक स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई।
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ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाने पर क्यों भड़की कांग्रेस?
वहीं, कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि सरकार ने सोमवार देर रात मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और संविधान की भावना के खिलाफ काम किया है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘ सरकार ने आधी रात को जल्दबाजी में नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी है। यह हमारे संविधान की भावना के खिलाफ है और उच्चतम न्यायालय ने कई मामलों में दोहराया है कि चुनावी प्रक्रिया की शुचिता के लिए, सीईसी को एक निष्पक्ष हितधारक होना चाहिए।”
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि संशोधित कानून ने सीजेआई को सीईसी चयन समिति से हटा दिया, सरकार को सीईसी का चयन करने से पहले 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई तक इंतजार करना चाहिए था। वेणुगोपाल ने आरोप लगाया कि जल्दबाजी में बैठक आयोजित करने और नए सीईसी की नियुक्ति करने के उनके फैसले से पता चलता है कि सरकार उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को दरकिनार करने और स्पष्ट आदेश आने से पहले नियुक्ति करने की इच्छुक है।
सत्तारूढ़ शासन अपने लाभ के लिए नियमों को मोड़ रहा- कांग्रेस
उनका कहना है, “इस तरह का घृणित व्यवहार केवल उन संदेहों की पुष्टि करता है जो कई लोगों ने व्यक्त किए हैं कि कैसे सत्तारूढ़ शासन चुनावी प्रक्रिया को नष्ट कर रहा है और अपने लाभ के लिए नियमों को मोड़ रहा है।” कांग्रेस नेता ने दावा किया कि चाहे वह फर्जी मतदाता सूचियां हों, भाजपा के पक्ष में कार्यक्रम हों या ईवीएम हैकिंग के बारे में चिंताएं हों , ऐसी घटनाओं के कारण सरकार और उसके द्वारा नियुक्त सीईसी गहरे संदेह के घेरे में आते हैं।’’
पहले जब इन नियुक्तियों को नियंत्रित करने वाला कोई संसदीय कानून नहीं था, तब ये नियुक्तियाँ प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थीं। परंपरागत रूप से, सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त का उत्तराधिकारी होता है और आयोग में नियुक्ति की तिथि के अनुसार वरिष्ठता निर्धारित होती है। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स
(भाषा के इनपुट के साथ)
