NCP Crisis: महाराष्ट्र में इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) दो धड़ों में बंट गई। पवार परिवार में इस झगड़े की सबसे बड़ी वजह उत्तराधिकारी को लेकर है। लंबे समय तक अपने चाचा और राकांपा प्रमुख शरद पवार की छत्रछाया में रहकर अजित पवार अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना चाहते थे। इसी के साथ अजित पवार की यह भी इच्छा है कि वो अपने बेटे पार्थ को राजनीति में कैसे फिट करें।

इन सबके बीच शरद पवार की अन्य योजनाएं थीं। 2019 लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने यह बयान देकर सबको चौंका दिया था कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। माना जा रहा था कि पारिवारिक कलह की वजह से शरद पवार ने यह फैसला लिया था। जिसके बाद उनके पोतों पार्थ और रोहित ने उनसे चुनाव लड़ने की गुहार लगाई थी। दोनों ने शरद पवार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और चुनाव लड़ने की अपील की थी। पवार ने उस समय कहा था कि वह चुनाव लड़ने से पीछे इसलिए हट रहे हैं कि मावल सीट से उनके पोते पार्थ पवार चुनाव लड़ने जा रहे हैं, लेकिन जब पार्थ मावल सीट से चुनाव हार गए तो परिवार में कलह और बढ़ गई।

इन सबसे इतर अजित के पक्ष में एक और कांटा था वो था शरद पवार की प्राथमिकता पोते रोहित पवार के लिए, जो अजित पवार के बेटे पार्थ के विपरीत थी। पोते रोहित ने 2019 में अहमदनगर जिले के कर्जत-जामखेड में कैबिनेट मंत्री राम शिंदे को हराकर विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब रहे, जिसे तब तक भाजपा का गढ़ माना जाता था।

पार्टी की लड़ाई में अपने दादा का साथ देने वाले रोहित ने हाल के हफ्तों में राज्य सरकार के खिलाफ और भी अधिक आक्रामक रुख अपनाया है। इस सप्ताह की शुरुआत में उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में औद्योगिक विकास की मांग को लेकर बारिश के बीच मुंबई में विधान भवन परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के नीचे बैठकर धरना दिया।

रोहित ने दावा किया कि उद्योग मंत्री उदय सामंत ने मिलने की सहमति दी थी। जिसके चलते उन्होंने उनको साढ़े चार घंटे से अधिक समय तक इंतजार कराया। राकांपा विधायक ने दावा किया कि इससे बेरोजगार युवाओं के प्रति राज्य सरकार के ”लापरवाह रवैये” का पता चलता है।

मांगों को लेकर विधान भवन के सामने धरने पर बैठे थे रोहित पवार

रोहित पवार की बारिश में भीगी हुई तस्वीरें जैसे ही वायरल हुईं। उनके समर्थकों ने उनकी सराहना की। रोहित की टिप्पणियों पर अजीत पवार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अजित पवार ने कहा कि उदय सामंत ने पहले ही उनके पत्र को स्वीकार कर लिया था और एक बैठक बुलाने का वादा किया था। यह बात अभी एक सप्ताह पहले की है। उन्होंने विधानसभा में कहा कि हम एक विधायक से इस तरह विरोध की उम्मीद नहीं करते।

मामले को आगे बढ़ता देख बीजेपी मंत्री गिरीश महाजन ने रोहित पवार को उनकी चिंताओं का समाधान करने का भरोसा दिया। साथ ही विरोध-प्रदर्शन बंद करने के लिए राजी किया।

रोहित पवार ने कहा, ‘मैं कर्जत-जामखेड का प्रतिनिधित्व करता हूं। मैंने औद्योगिक विकास और युवाओं के लिए रोजगार का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने मुझे भरोसा दिया है कि वह मंगलवार को बैठक बुलाएगी, लेकिन अगर वे अपना वादा निभाने में विफल रहे तो युवा अपनी ताकत दिखाएंगे।’ अजित पवार के विद्रोह के बाद शरद पवार लोगों के इकट्ठा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में रोहित पवार इस प्रक्रिया के केंद्र में हैं। जैसा कि विधान भवन विरोध से पता चलता है।

रोहित पवार ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि संघर्ष आगे जारी है… लेकिन कौन रोकने वाला है? पूरा महाराष्ट्र सह्याद्रि के साथ है..(शरद का जिक्र करते हुए)। उन्होंने कहा था कि घाटियों और गांवों से हवाएं चलेंगी… फिर संघर्ष से कौन डरेगा? लड़ना और जीतना महाराष्ट्र के खून में है।’
38 साल के रोहित पवार एक बिजनेसमैन है। 21 साल की उम्र में वो बारामती एग्रो के सीईओ बन गए थे। जिसे उनके दादा और प्रसिद्ध कृषक अप्पासाहेब पवार ने स्थापित किया था। 2018-19 में रोहित भारतीय चीनी मिल के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष बने। विधायक की मां सुनंदा एक व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं।

आत्मविश्वास से लबरेज रोहित, जिन्हें पवार परिवार में तीसरी पीढ़ी के राजनेताओं में सबसे अधिक तेज तर्रार माना जाता है। 2019 के चुनावों में उनकी चुनावी सफलता के बाद एक वरिष्ठ राकांपा नेता और कैबिनेट मंत्री ने कहा था, “आप निश्चित रूप से अपनी सफलता के लिए बधाई के पात्र हैं, लेकिन इससे उद्योग को नुकसान होगा।”

इसके जवाब में विधायक ने कहा, ‘मैं असहमत हूं, मैं आपको गलत साबित कर दूंगा। राजनीति और लोगों के प्रति मेरी प्रतिबद्धता हमेशा रहेगी।’
रोहित पवार की यही मुखरता अक्सर भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर उनके हमलों में देखी जाती है, जो उन्हें अजित पवार से अलग करती है। एनसीपी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, रोहित पवार को लेकर उनके निर्वाचन क्षेत्र को भी काफी उम्मीदें हैं। आने वाले दिनों में हर कोई रोहित पवार को देखना चाहेगा।