कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने रविवार को मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला। पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एलान किया कि किसानों के हितों को प्रभावित करने वाले किसी भी कदम के खिलाफ वे सबसे आगे रहेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि लोकसभा चुनावों में औद्योगिक घरानों से लिए गए भारी कर्ज को चुकाने के लिए भूमि अधिग्रहण विधेयक लाया गया है। सोनिया गांधी ने जहां सरकार पर बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का आरोप लगाया, वहीं पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नया विधेयक 2013 के कानून को कमजोर करने का प्रयास है जिसका उद्देश्य किसानों को सशक्त बनाना था।
रामलीला मैदान में कांग्रेस की किसान रैली में बड़ी संख्या में भीड़ जमा हुई। कांग्रेस के नेताओं ने इसमें संकल्प लिया कि किसानों को कमजोर करने और उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की मोदी सरकार की किसी भी कोशिश का डटकर मुकाबला किया जाएगा। सोनिया, राहुल और मनमोहन का जोर इस बात पर था कि पिछले साल चुनावों से पहले मोदी ने किसानों समेत जनता को बड़े-बड़े सपने दिखाए थे और अब किसान विरोधी नीतियां ला रहे हैं। सोनिया गांधी ने कहा- बहुत हो चुका।
करीब दो महीने के अवकाश के बाद सार्वजनिक जीवन में लौटे राहुल ने मोदी की हालिया विदेश यात्रा के दौरान उनके बयानों की निंदा की। जिसमें प्रधानमंत्री ने पिछली सरकारों की गंदगी को साफ करने की बात की थी। राहुल ने कहा कि विदेशी जमीन पर पिछली सरकारों के खिलाफ बयानबाजी प्रधानमंत्री के पद पर आसीन को शोभा नहीं देती। राहुल ने कहा- मैं आपको बताऊंगा कि मोदी जी ने कैसे चुनाव जीता। उन्होंने बड़े बड़े उद्योगपतियों से हजारों करोड़ का कर्ज लिया जिससे उनकी मार्केटिंग की गई। अब उस कर्ज को वे कैसे चुकाएंगे। आपकी जमीन उन बड़े उद्योगपतियों को देकर व ऐसा करेंगे। वे किसानों को कमजोर करना चाहते हैं, फिर उनकी जमीन छीन कर अपने उद्योगपति दोस्तों को देंगे।
राहुल ने कहा कि गुजरात माडल के जरिए मोदी ने दिखाया है कि वे बड़ी आसानी से किसानों की जमीन छीन सकते हैं और उद्योगपतियों को समझाया है कि वे पूरे देश में ऐसा कर सकते हैं। यह मोदी का माडल है। नींव को कमजोर करो, फिर इमारत की पुताई करो और दुनिया को दिखाओ कि इमारत चमक रही है। जबकि वास्तव में यह खोखली हो गई है। रामलीला मैदान में आयोजित कांग्रेस की यह रैली महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत के ठीक एक दिन पहले हुई है। भूमि विधेयक को लेकर बढ़ते टकराव के मद्देनजर संसद के इस सत्र के हंगामेदार रहने का अनुमान है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने याद दिलाया कि बजट सत्र के पहले हिस्से में विवादास्पद भूमि विधेयक के खिलाफ उनके नेतृत्व में करीब 14 राजनीतिक दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च किया था। जमीन को सोने जैसा कीमती बताते हुए राहुल गांधी ने कहा कि आने वाले पंद्रह बीस सालों में जमीन की कीमतों में काफी इजाफा होगा और यह सोने की कीमत से भी ज्यादा हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी पूरी मजबूती से किसानों और मजदूरों के साथ खड़ी रहेगी। जब कभी उनकी जमीन को छीना जाएगा हमारे कार्यकर्ता और नेता संघर्ष में उनके साथ होंगे। मैं भी उनके साथ खड़ा रहूंगा। उन्होंने किसानों को भरोसा देते हुए कहा- मैं आपके साथ खड़ा रहूंगा। विकास की जरूरत है लेकिन किसानों की भी आवश्यकता है। हम ऐसा भारत नहीं चाहते जिसमें कुछ चुनिंदा लोगों को सब कुछ मिले और किसानों को कुछ नहीं मिले। कांग्रेस आपके लिए लड़ेगी।
भूमि कानून में बदलाव लाने के पीछे के इरादे पर सवाल खड़ा करते हुए राहुल ने कहा कि संशोधनों के पीछे सही कारण है उद्योगपतियों के लिए भूमि बैंक बनाना। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम के सफल होने की संभावना नहीं है लेकिन इसके बहाने सरकार किसानों से उनकी जमीन ले लेगी। राहुल गरजे- मोदी जी ने कहा है कि उन्हें पचास साल का कचरा साफ करना है। वे गरीबों की ताकत, उसकी मेहनत और उसके पसीने को नहीं समझते। विदेश की धरती पर इस तरह का बयान न तो मोदी को शोभा देता है, न प्रधानमंत्री के पद को शोभा देता है।
राजधानी के रामलीला मैदान में आयोजित किसान रैली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का रवैया पूरी तरह किसानों, मजदूरों और गरीबों के खिलाफ है। उन्होंने किसानों के हितों के लिए संघर्ष करने का भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में बहुत मामूली वृद्धि की है। प्रधानमंत्री और भाजपा की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा- हम उन ताकतों को कभी कामयाब नहीं होने देंगे जो हमारे महान मानव मूल्यों को तहस नहस करना चाहते हैं। हम बिना किसी भय के ऐसी ताकतों के खिलाफ संघर्ष करेंगे। यद्यपि पार्टी सत्ता से बाहर है लेकिन हम किसानों की आवाज को उठाने के प्रयासों में कमी नहीं आने देंगे।
उन्होंने कहा कि इस रैली से यह संदेश जाना चाहिए कि किसानों की आवाज न कभी दबी है न कभी दबेगी। राहुल ने भट्टा परसौल गांव में 2011 में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ पदयात्रा की थी और इसके बाद भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 सामने आया। उन्होंने ओड़ीशा के नियामगिरी में आदिवासियों की जमीन के अधिग्रहण के खिलाफ भी आवाज उठाई थी। उन्होंने याद दिलाया कि 2013 में जब यूपीए सरकार का भूमि विधेयक पास हो रहा था तो संसद में भाजपा नेता मेजें थपथपा रहे थे। कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि अब वे नया विधेयक क्यों ला रहे हैं। क्या बदल गया उस दिन में और आज में। भाजपा और राजग सरकार किसानों की आवाज क्यों नहीं सुन रही है।
