महाराष्ट्र के मुंबई स्थित एक अस्पताल में बेड मिलने का इंतजार करते-करते 55 वर्षीय एक कोरोना वायरस संदिग्ध शख्स की जान चली गई। वह इस दौरान व्हील चेयर पर करीब तीन घंटों तक उम्मीद लगाए बैठे रहे कि कब उन्हें खाली बेड मिलेगा। हालांकि, केईएम अस्पताल में डॉक्टरों ने भी उनका इलाज किया और उनके लिए बिस्तर का बंदोबस्त करने की पूरी कोशिश की, पर समय रहते मरीज को बेड नहीं मिल पाया।

पीड़ित परिजन के मुताबिक, मरीज को इससे पहले सात अस्पताल भर्ती करने से मना कर चुके थे। 22 मई को उन्हें केईएम लाया गया, जहां उन्हें आईसीयू सपोर्ट की जरूरत पड़ी। उन्हें सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द हो रहा था।

केईएम के डॉक्टरों ने बताया कि उन्होंने इलाज से इन्कार नहीं किया, पर जब तक मरीजों को बेड नहीं मिल जाता है, वे कई मरीजों का फर्श पर बिछी दरी-चटाई या फिर व्हीलचेयर पर ही इलाज करने के लिए मजबूर होते हैं।

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वहीं, BMC ने वादा किया है कि वह हर अस्पताल में उपलब्ध बेड्स का रियल टाइम डेटा मुहैया कराएगी, पर फिलहाल यह सिस्टम अमल में नहीं आया है। इसे लागू किया जाना है। जोगेश्वरी के रहने वाले पीड़ित परिवार (मृतक की पत्नी और तीन बेटियों) को फिलहाल क्वारंटीन किया गया है।

मृतक की बेटियों में से एक ने बताया कि पिता दिल के मरीज थे और एक हफ्ते से ठीक नहीं महसूस कर रहे थे। 21 मई की शाम को उनकी तबीयत अचानक से बिगड़ गई थी और उन्हें उस दौरान सांस लेने में तकलीफ हुई थी और सीने में दर्द हुआ था।

आनन-फानन बेटियों और कुछ रिश्तेदारों ने अस्पतालों में बेड के बारे में पता लगाना शुरू किया, ताकि उन्हें भर्ती कराया जा सके। केईएम से पहले उन लोगों ने Millat और Mallika Hospitals (दोनों जोगेश्वरी में), BSES, Bellevue, Kokilaben Dhirubhai Ambani व Criticare hospitals (दोनों अंधेरी में) और जूहू स्थित Dr RN Cooper Hospital में पता किया, पर बात नहीं बनी थी। पीड़ित बेटी के मुताबिक, अन्य अस्पतालों ने वेंटिलेटर बेड्स की कमी का हवाला देते हुए मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया था।

मृतक की बेटी ने बताया- सुबह चार बजे हम केईएम अस्पताल पहुंचे, जबकि पांच बजे पिता को एडमिट किया गया। उनका कोरोना टेस्ट हुआ, जिसके बाद व्हील चेयर पर ही इलाज शुरू हुआ था। पिता की मौत के 16 घंटे बाद हमें उनकी लाश मिली, जिसे बाद में दफना दिया गया।

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