पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सलाहकार और पूर्व चीफ सेक्रेटरी अलापन बंद्योपाध्याय को मोदी सरकार ने नोटिस जारी किया है। साइक्लोन यास को लेकर कलाईकुंडा में हुई मीटिंग में देरी से और पूरे समय उपस्थित नहीं रहने की वजह से अलापन बंद्योपाध्याय को नोटिस जारी किया गया है। बंद्योपाध्याय को तीन दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है।
पूर्व चीफ सेक्रेटरी अलापन बंद्योपाध्याय को केंद्र सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत नोटिस जारी किया है। नोटिस में उनसे प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग में उपस्थित नहीं रहने का कारण पूछा गया है और उन्हें तीन दिनों के अंदर जवाब देने को कहा गया है। हालांकि अलापन बंद्योपाध्याय सोमवार को ही रिटायर हो चुके हैं। रिटायर होने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है।
केंद्र ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी किए जाने को लेकर कहा है कि पहले ही अलापन बंद्योपाध्याय से यह पूछा गया था कि वे मीटिंग में शामिल होंगे या नहीं। बाद में अलापन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ बैठक कक्ष के अंदर पहुंचे लेकिन तुरंत ही मीटिंग को छोड़ कर चले गए। बीते शुक्रवार को कलाईकुंडा में हुए इस मीटिंग विवाद को लेकर केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के रिश्ते काफी तल्ख़ हो गए है। मीटिंग में शामिल नहीं होने के कारण पूर्व चीफ सेक्रेटरी को दिल्ली तलब होने का आदेश दिया गया था लेकिन ममता बनर्जी ने उन्हें रिलीव करने से मना कर दिया था।
ममता ने अलापन को दिल्ली तलब किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र भी लिखा था। इस पत्र में ममता बनर्जी ने कहा था कि केंद्र का यह आदेश एकतरफा है और अधिकारियों के सेवा नियमों का उल्लंघन है। इसे लेकर राज्य सरकार से पहले कोई बात नहीं हुई। साथ ही दिल्ली बुलाने वाले आदेश को रद्द करने को भी कहा गया था। लेकिन इस घटनाक्रम में शानदार मोड़ तब आया जब अलापन बंद्योपाध्याय सोमवार को ही मुख्य सचिव के पद से रिटायर हो गए। रिटायर होने के साथ ही ममता बनर्जी ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए उन्हें अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया। ममता ने कहा कि अलापन ने कोरोना महामारी के दौरान शानदार काम किया है इसलिए वो आगे भी बंगाल के लोगों की सेवा करते रहेंगें।
मंगलवार को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मीटिंग विवाद में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अहंकारी बता दिया और कहा कि उन्होंने मीटिंग में ना आने का झूठा कारण दिया है। जगदीप धनखड़ ने ट्वीट करते हुए कहा कि 27 मई को ही उन्होंने इस बात के संकेत दिए थे कि वे और उनके अधिकारी प्रधानमंत्री मोदी के साथ मीटिंग में शामिल नहीं होंगे। जनता के सेवा के ऊपर उनका अहंकार हावी हो गया है।
बता दें कि ममता बनर्जी ने कहा था कि हेलीकॉप्टर की लैंडिंग देरी से होने की वजह से वो मीटिंग में देर से पहुंची थी और उन्हें काफी देर से मीटिंग में शामिल होने की अनुमति दी गई थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि पहले तूफान की समीक्षा को लेकर मीटिंग सिर्फ मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के बीच होनी थी। लेकिन बाद में इस मीटिंग में राज्यपाल, केंद्रीय मंत्रियों और विपक्षी दल के नेता शुभेंदु अधिकारी को भी शामिल कर लिया गया था। इसलिए उन्होंने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया।

