उत्तर प्रदेश में रविवार को एक श्रमिक ट्रेन में सफर के दौरान प्रवासी मजदूर की मौत हो गई। घटना के वक्त बाकी यात्री हैरान-परेशान हुए, पर उन्हें किसी तरह की मदद न मिली। मजबूरन आठ घंटे तक उन्हें लाश के इर्द-गिर्द ही समय काटना पड़ा। समाचार एजेंसी PTI ने पुलिस के हवाले से बताया कि बंगाल पहुंचने तक रेलगाड़ी को आठ घंटे लगे थे। ऐसे में मजदूर की मौत से लेकर तब तक अन्य यात्रियों का चिंता के मारे बुरा हाल हो गया था।

ये ट्रेन राजस्थान से पश्चिम बंगाल जा रही थी। गाड़ी में मालदा जिले में हरिश्चंद्रपुर निवासी 50 साल का बुद्ध परिहार राजस्थान के बीकानेर में एक होटल में काम करता था। उसका करीबी रिश्तेदार सरजू दास भी उसी होटल में काम करता था। परिहार के परिवार में उसकी पत्नी और दो बच्चे हैं। वह करीब 20 साल से राजस्थान में काम करता था।

पुलिस ने बताया कि परिहार और दास का लॉकडाउन के चलते रोजगार छिन गया और इस घटना से पहले मालदा लौटने की उनकी कई कोशिशें नाकाम रही थीं। आखिरकार वे 29 मई (शुक्रवार) को सुबह करीब 11 बजे एक ट्रेन में सवार हुए।

उन्होंने बताया कि परिहार की ट्रेन में शनिवार रात 10 बजे उत्तर प्रदेश में मुगलसराय के पास मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि उसकी मौत हो जाने पर कंपार्टमेंट में दहशत फैल गई क्योंकि लोगों को संदेह हो रहा था कि उसकी मौत कोविड-19 के चलते हुई है और सह यात्री भी संक्रमित हो सकते हैं।

ट्रेन जब रविवार सुबह करीब छह बज कर 40 मिनट पर मालदा टाउन स्टेशन पहुंची, तब शव को गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी) को सौंप दिया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बाद में यह विषय इंग्लिशबाजार पुलिस थाने को सौंप दिया गया, जिसने घटना की जांच शुरू कर दी है। शव को पोस्टमार्टम के लिये मालदा मेडिकल कॉलेज भेजा गया है।

दास ने कहा, ‘‘हम एक होटल में काम किया करते थे लेकिन लॉकडाउन शुरू होते ही हमारी नौकरी चली गई। हमारे पास पैसे नहीं बचे थे और कई बार हमने घर लौटने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहे। आखिरकार, हम 29 मई को एक ट्रेन में सवार हो गये। लेकिन उसकी (परिहार की) रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई।’’ मालदा जिलाधिकारी राजश्री मित्रा ने बाद में कहा कि परिवार को टीबी की बीमारी थी। उन्होंने कहा कि दास की कोविड-19 की जांच कराई जाएगी। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)