West Bengal Politics: पश्चिम बंगाल के कई घोटालों (West Bengal Scams) से जुड़े नेताओं की हाल ही में रिहाई हुई है। इसमें स्कूल के शिक्षकों की भर्ती से लेकर राशन और मवेशियों से संबंधित घोटाले भी हैं। अदालतों द्वारा रिहा हुए इन नेताओं में से ज्यादातर TMC के हैं। इन नेताओं की न केवल ममता बनर्जी (Mamata Banerjee), बल्कि बीजेपी (BJP) की भी टेंशन बढ़ाई है।
घोटालों से जुड़े केसों में TMC के जो नेता अदालती आदेशों के बाद रिहा हुए हैं, उनमें से ज्यादातर को केंद्रीय जांच एजेंसियों, यानी सीबीआई या ईडी ने पिछले कुछ वर्षों में गिरफ्तार किया था। हालांकि, एक सच यह भी है कि अभी भी TMC के दो मंत्री और पार्टी के दिग्गज नेता पार्थ चटर्जी और ज्योतिप्रिय मलिक अभी भी जेल में हैं।
BJP-TMC पर कांग्रेस और लेफ्ट हमलावर
TMC नेताओं की रिहाई को लेकर तमाम विवादों के बीच BJP की टेंशन कांग्रेस और लेफ्ट ने बढ़ाई है, क्योंकि दोनों ही पार्टियां मुख्य विपक्षी पार्टी BJP पर, सत्ताधारी TMC के साथ साठगांठ का आरोप लगा रही है। कांग्रेस और लेफ्ट ने केंद्रीय एजेंसियों पर आरोप लगाया है कि वे आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को टाला जा रहा है और ठीक से जांच नहीं हो रही है।
पार्थ चटर्जी की जमानत पर आना है कोर्ट का फैसला
TMC और BJP दोनों ही नेताओं की रिहाई को कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बता रहे हैं। कुछ नेता अभी भी जेल में हैं। टीएमसी के दिग्गज नेता माने जाने वाले पार्थ चटर्जी को स्कूल नौकरी में घोटाले से जुड़े केस में ईडी ने जुलाई 2022 में गिरफ्तार किया था। इस मामले में अर्पिता मुखर्जी भी गिरफ्तार हुईं थीं। उनके फ्लैट्स से 50 करोड़ रुपये से अधिक बरामद किए थे।
बीजेपी-टीएमसी दोस्त है या दुश्मन?
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है, लेकिन मामले के तीन अन्य आरोपी यानी अर्पिता, कुंतल घोष, माणिक भट्टाचार्य पहले ही जमानत पर बाहर आ चुके हैं। इतना ही नहीं, अदालत ने राशन घोटाले में भी कई आरोपियों को जमानत पर रिहा किया है। इनमें बाकिबुर रहमान, शंकर आध्या और विश्वजीत दास जैसे नेता शामिल हैं।
अनुब्रत मंडल को भी मिल गई जमानत
शिक्षक भर्ती केस में आरोपी अर्पिता को नवंबर 2024 में जमानत मिली थी। कुछ इसी तरह हाई कोर्ट ने कुंतल घोष को रिहा किया था। सितंबर 2024 में कोर्ट ने विधायक माणिक भट्टाचार्य को जमानत दी थी। 27 जुलाई 2024 को मवेशी तस्करी घोटाले से जुड़े मामले में टीएमसी के कद्दावर नेता और बीरभूम जिले के अध्यक्ष अनुब्रत मंडल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी। टीएमसी ने पार्थ चटर्जी और ज्योतिप्रिया मलिक को निलंबित कर दिया है, लेकिन अनुब्रत मंडल पर पार्टी ने कोई एक्शन नहीं लिया था।
कांग्रेस और लेफ्ट के संगीन आरोप
इस प्रकरण को लेकर सीपीएम नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि मुझे नहीं पता कि क्या हो रहा है। कैसे सभी को जमानत मिल रही है। हर मामले में केंद्रीय एजेंसियां जांच में देरी क्यों कर रही हैं, या तो वे भूल गए हैं कि जांच कैसे करनी है या राजनीतिक कारणों ने जांच को प्राथमिकता दे दी है।
लालू यादव को पसंद है ममता बनर्जी का ऑफर
कांग्रेस नेता सौम्या ऐच रॉय ने आरोप लगाया कि टीएमसी की बीजेपी के साथ मौन सहमति है। टीएमसी, अडानी और अन्य मुद्दों पर बीजेपी का समर्थन कर रही है, उन पर चुप्पी साधे हुए है। दूसरी ओर बीजेपी टीएमसी नेताओं को घोटालों से बचा रही है। यह अब स्पष्ट हो गया है।
बीजेपी ने बचाव में क्या दिए तर्क?
बीजेपी नेता अग्निमित्रा पॉल ने इस मामले में बचाव किया और कहा कि ये जांच अदालतों की निगरानी में चल रही है, जो जमानत दे रही हैं लेकिन जमानत मिलने का मतलब यह नहीं है कि उन्हें निर्दोष करार दे दिया गया है। उन पर मुकदमा जारी रहेगा। हमें सीबीआई पर भरोसा है और हमें यकीन है कि अगर वे दोषी हैं, तो उन्हें सजा मिलेगी।
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा कि जमानत एक कानूनी विषय है। आप किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल तक हिरासत में नहीं रख सकते। लेकिन अदालत तय करती है कि वह व्यक्ति कब जमानत पाने के योग्य है। इसमें हमारी कोई भूमिका नहीं है।
TMC के सामने लीडरशिप को लेकर टेंशन
दिलचस्प बात यह भी है कि टीएमसी नेताओं और विधायकों या पूर्व मंत्रियों की जेल से रिहाई का सीधा असर पार्टी पर भी पड़ेगा। टीएमसी के कुछ अंदरूनी सूत्र इस बात पर जोर देते हैं कि नेतृत्व इस बात पर भेद करेगा कि पार्टी में किसे शामिल किया जाएगा या किसे नहीं, अंतिम फैसला खुद ममता बनर्जी को लेना है।
ममता के करीबी एक वरिष्ठ टीएमसी नेता ने कहा कि ये नेता अलग-अलग घोटालों में आरोपी हैं। कुछ को पार्टी से निलंबित किया गया है, कुछ को नहीं किया गया था। अनुब्रत मंडल रिहा होने के बाद एक बार फिर बीरभूम की राजनीति में अपनी भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन जेल जाने के बाद भी वे बीरभूम जिले के अध्यक्ष बने रहे। ममता ने वहां संगठन की देखभाल के लिए एक कोर कमेटी बनाई।
टीएमसी के अंदरूनी सूत्रों ने यह भी बताया कि पार्थ और ज्योतिप्रियो जैसे प्रमुख नेता, लंबे समय तक जेल में रहने के बावजूद, अभी भी अपने-अपने क्षेत्रों में संगठन में महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं और उनके पार्टी में वापसी के प्रयास करने की उम्मीद है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि बंगाल में मार्च-अप्रैल 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं।