भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को विधानसभा चुनावों के लिए पहले जम्मू-कश्मीर और फिर हरियाणा में उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद अपने नेताओं का विरोध और बगावत झेलनी पड़ी है। महाराष्ट्र में अगले महीने विधानसभा चुनावों के एलान की संभावनाओं के बीच पार्टी को यहां उम्मीदवारों की सूची जारी होने से पहले ही बगावत झेलनी पड़ सकती है। इसको देखते हुए केंद्रीय नेताओं का मुंबई दौरा शुरू हो गया है। ये नेता कार्यकर्ताओं से अलग-अलग बात कर रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं।
2019 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी ने 125 उम्मीदवार उतारे थे।
वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने कुल 164 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। शेष सीटों 124 पर शिवसेना ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। बीजेपी के 164 उम्मीदवारों में से 105 उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। वहीं, पार्टी के 55 उम्मीदवार दूसरे और चार उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे थे। शिवसेना के 55 उम्मीदवार ही जीते थे। 2019 के विधानसभा चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने 125 उम्मीदवार उतारे थे।
पिछले चुनाव के मुताबिक, कुल मिलाकर 160 सीटें ऐसी हैं जहां पर बीजेपी मजबूत थी और पार्टी का सिर्फ शिवसेना के साथ गठबंधन था। वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार में बीजेपी के साथ एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं। बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने घटक दलों के साथ सीटों का तालमेल बिठाना है।
महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि दो घटक दलों के साथ इस बात की संभावनाएं बहुत कम हैं कि बीजेपी पिछली बार की तरह 160 के आसपास उम्मीदवार मैदान में उतार पाए, क्योंकि उसे अपने घटक दलों को भी सीटें देनी हैं। अगर बीजेपी दोनों दलों को 70-70 सीटें भी देती है तो बीजेपी के पास 144 सीटें ही अपने उम्मीदवारों के लिए बचेंगी।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने वाले हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिलने से बीजेपी को इस बार विधानसभा चुनाव में फूंक-फूंक कर कदम रखने पड़े रहे हैं। लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने जिस तरह महायुति की सीटें घटाई हैं, उससे पार्टी पर दबाव बढ़ गया है।