Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। बंगाल की लड़ाई में तृणमूल कांग्रेस ने 42 सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने अब तक 20 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। बंगाल की लड़ाई ने त्रिकोणीय आकार ले लिया है। अब बंगाल में टीएमसी ने इंडिया अलायंस के सहयोगी कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग के समझौते तक पहुंचने की उम्मीद को खत्म कर दिया है।
इसी बीच, कांग्रेस पार्टी और सहयोगी लेफ्ट एक साथ गठबंधन करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले वाम मोर्चा ने अपने 16 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है। पार्टी ने कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग के मुद्दे पर बात आगे नहीं बढ़ने को लेकर नाराजगी जाहिर की है। पिछले दो दशकों के दौरान पश्चिम बंगाल की राजनीति में काफी बदलाव आया है। सबसे पहले साल 1998 में टीएमसी के उदय के साथ वामपंथी का प्रभाव काफी कम हो गया और अब बीजेपी के उदय के बाद कांग्रेस और वाम दोनों का ही प्रभाव कम नजर आ रहा है।
टीएमसी का बंगाल में दबदबा
2011 में सत्ता में आई टीएमसी ने 2009 के बाद से राज्य में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें जीती हैं। बात की जाए विधानसभा चुनाव की तो यहां पर भी टीएमसी ने अपना दबदबा कायम किया हुआ है। टीएमसी ने साल 2016 में 295 में से 211 सीटें जीतीं थी और साल 2021 के चुनाव में 215 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस और लेफ्ट का ग्राफ लगातार गिर रहा है। वहीं, बीजेपी को काफी फायदा हुआ है। पार्टी को 2021 में 77 सीटें मिली थी।
लोकसभा इलेक्शन में टीएमसी आगे रहने में कामयाब रही है, लेकिन बीजेपी की कोशिश का असर भी नजर आ रहा है। उदाहरण के लिए 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी भारी बहुमत के साथ केंद्र में सत्ता में आई, तो टीएमसी ने बंगाल में 48 में से 34 सीटें जीतीं। उस समय कांग्रेस ने 4 सीटें जीती थीं और लेफ्ट और बीजेपी ने 2-2 सीटें जीती थीं। लेकिन 2019 तक, भाजपा ने अंतर को काफी पाट दिया। पार्टी ने बंगाल में 18 लोकसभा सीटें जीती थी और टीएमसी को सिर्फ 22 सीटें मिली थी। कांग्रेस दो सीटों पर सिमट कर रह गई और वाम दल के खाते में एक भी सीट नहीं आई।
लोकसभा और विधानसभा इलेक्शन में वोट शेयर
लोकसभा चुनावों में वोट शेयर को देखा जाए तो टीएमसी ने 2014 और 2019 के बीच 3.9 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। लेकिन फिर भी 12 कम सीटें जीतीं थी। बीजेपी के वोट शेयर में 23.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ। वहीं, कांग्रेस पार्टी के वोट शेयर में 4 फीसदी की गिरावट आई थी और लेफ्ट के वोट शेयर में 22.4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। विधानसभा चुनावों की बात की जाए तो टीएमसी का वोट शेयर 2016 से 2021 तक 3.1 फीसदी तक बढ़ गया था। लेकिन बीजेपी ने भी काफी बढ़ोतरी की थी। बीजेपी ने 10.2 फीसदी वोटों से 38.1 फीसदी तक का सफर तय किया। दूसरी तरफ कांग्रेस को 2.2 फीसदी और लेफ्ट को 20.1 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
ममता बनर्जी का मजबूत वोट शेयर
2019 में बीजेपी द्वारा जीती गई 18 सीटों में से 9 में टीएमसी, कांग्रेस और लेफ्ट का वोट शेयर आराम से बीजेपी से ज्यादा हो गया। अगर सिर्फ कांग्रेस के वोट शेयरों को टीएमसी में जोड़ दिया जाता, तो पार्टी की 18 सीटों में से 6 पर दोनों बीजेपी से आगे होते। लेकिन 2021 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी के प्रदर्शन को देखते हुए ममता बनर्जी को भरोसा हो गया कि उनकी पार्टी अकेल चुनाव लड़ने पर भी ज्यादा सीटें नहीं हारती। इन 18 लोकसभा सीटों में से टीएमसी 10 पर बीजेपी से आगे थी। कांग्रेस के विधानसभा क्षेत्र के वोट शेयर को जोड़ने पर गठबंधन को 3 ज्यादा सीटें मिलतीं, जबकि लेफ्ट को भी केवल 1 सीट का ही फर्क पड़ता।