Lok Sabha Elections 2024: कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ पीडीए गठबंधन (SP-Congress PDA Alliance) के तहत लोकसभा चुनाव में उतरी है। सपा 62 कांग्रेस 17 और टीएमसी एक सीट पर चुनाव लड़ने वाली है। पार्टी ने अभी तक अपने सभी प्रत्याशियों के नामों का ऐलान नहीं किया है, जिसमें उसकी परंपरागत सीट अमेठी और रायबरेली भी शामिल है। कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए जारी किए प्रत्याशियों की पहली लिस्ट में ही तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी के अमेठी और सोनिया गांधी के रायबरेली से लड़ने की घोषणा कर दी थी।

अमेठी और रायबरेली दोनों ही सीटों पर पार्टी का किसी उम्मीदवार पर सहमत न हो पाना और देरी करना काफी हैरान करने वाला है। इसके चलते यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या पार्टी इन दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारने पर ज्यादा माथापच्ची कर रही है और क्या राहुल गांधी या प्रियंका गांधी अबकी बार इनमें से किसी भी सीट पर चुनाव लड़ते नजर आएंगे भी या नहीं?

यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी पहले ही रायबरेली सीट छोड़ चुकी है और उम्र के इस दौर में राजस्थान की राज्यसभा सीट के जरिए संसद पहुंच गई हैं। उनके जाने के बाद उम्मीद यही है कि रायबरेली सीट कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को मिलेगी, लेकिन अभी तक कांग्रेस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है।

राहुल हार चुके हैं अमेठी लोकसभा सीट

पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर 8 मार्च से अब तक करीब 12 लिस्ट में प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया है लेकिन किसी में भी न तो अमेठी का कोई जिक्र था, और न ही रायबरेली का। अमेठी से साल 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान राहुल गांधी बीजेपी नेत्री और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी से हार गए थे। हालांकि वे वायनाड से भी उतरे थे, जिसके चलते जीतकर संसद पहुंच गए थे। इस बार उनके भी अमेठी से लड़ने पर संशय है।

5वें चरण में है अमेठी रायबरेली मे वोटिंग

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अभी फैसला करने में काफी वक्त है क्योंकि इन दोनों ही सीटों पर 20 मई को पांचवे फेज के तहत वोटिंग होगी, साथ ही नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख में 3 मई है। दिलचस्प बात यह है कि पार्टी ने महाराजगंज , देवरिया, बांसगांव और वाराणसी जैसी सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जहां सबसे आखिर में मतदान होगा।

राहुल-प्रियंका दोनों ही पार्टी के टॉप नेता हैं और उनके मामले में देरी होना एक अजीबो-गरीब स्थिति है। भाई बहन को लेकर पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता ज्यादा कुछ नहीं बोल पा रहे हैं और फैसले को उन दोनों पर ही छोड़ दे रहे हैं। इंडिया गठबंधन की रविवार को दिल्ली में जो महारैली हुई थी, उसमें प्रियंका गांधी भी जमकर मोदी सरकार पर हमलावर दिखी थीं, जिसके चलते यह माना जा रहा है, कि वह भी चुनाव लड़ सकती हैं।

अभी दोनों कर रहे हैं लड़ने को लेकर माथापच्ची

कांग्रेस के एक अन्य अंदरूनी सूत्र ने जानकारी दी है कि भाई-बहन अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। दोनों को चुनाव प्रचार के लिए पूरे देश में बड़े पैमाने पर यात्रा करनी होगी। वे अपने निर्वाचन क्षेत्रों में बंधकर नहीं रहना चाहेंगे। अगर मुझे ठीक से याद है, तो उनमें से कोई भी पिछले दो वर्षों में अमेठी और रायबरेली नहीं गया है। इसलिए वे सभी पहलुओं पर गौर कर रहे हैं। वहीं एक कांग्रेस नेता का कहना है कि भाई बहनों में से किसी एक तो यहां चुनाव लड़ना ही पड़ेगा वरना पार्टी की फजीहत भी हो सकती है।

दोतरफा घेरने की है बीजेपी की प्रवृत्ति

गांधी परिवार ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी नेताओं का मानना ​​है कि चाहे वे चुनाव लड़ें या नहीं, दो तरह की बातें होंगी। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो भाजपा कहेगी कि वे भाग गए हैं। अगर वे ऐसा करते हैं, तो भाजपा कहेगी कि तीनों गांधी परिवारवाद को विस्तार देते हुए संसद पहुंच गए हैं।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि गांधी परिवार क्या अमेठी और रायबरेली की राजनीतिक विरासत को छोड़कर पल्ला झाड़ता है, या फिर पार्टी बीजेपी को इन सीटों पर कड़ी टक्कर देने की कोशिश में कांग्रेस कोई बड़ा दांव चलती है।