Bengal Panchayat Election: पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव हैं, लेकिन इससे पहले कांग्रेस ने टीएमसी पर निशाना साधा है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता और पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी मुर्शिबाद में स्थित बीडीओ के ऑफिस के बाहर धरना पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के कार्यकर्ता और उम्मीदवार बीडीओ ऑफिस आए थे, लेकिन इन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) के गुंडों ने पीटा।
इस दौरान अधीर रंजन चौधरी ने फोन पर द इंडियन एक्सप्रेस से बात की। चौधरी ने राज्य में अन्य मुद्दों के अलावा पंचायत चुनाव से पहले राज्य में राजनीतिक हिंसा के बारे में भी बात की। प्रस्तुत है अधीर रंजन चौधरी से बातचीत के प्रमुख अंश।
आप प्रोटेस्ट क्यों कर रहे हैं?
इस सवाल के जवाब में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमारे उम्मीदवारों को मंगलवार को अपना सिम्बल बी फार्म जमा करने से रोक दिया गया। उनके साथ मारपीट की गई और उनसे बी फॉर्म छीन लिए गए। कांग्रेस इस ब्लॉक में (पंचायत) चुनाव नहीं लड़ पाएगी। हम अपना चुनाव लड़ने का अधिकार सुरक्षित करने के लिए मंगलवार से प्रखंड कार्यालय के बाहर धरने पर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि चुनावों की घोषणा होने से पहले ही, सत्ताधारी पार्टी (टीएमसी) ने राज्य भर में आतंक का शासन शुरू कर दिया था। ममता सरकार के सभी गुंडे हिंसा फैलाने के लिए मैदान में हैं। पुलिस सत्ता पक्ष के इशारों पर नाच रही है। इसलिए हमें पुलिस और प्रशासन का कोई सहयोगा नहीं मिल रहा है। दोनों सत्ता पक्ष की कठपुतली बनकर काम कर रहे हैं।
आप हिंसा की शिकायत करते रहे हैं?
इस सवाल के जवाब में अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि राज्य की स्थिति भयानक है। पिछले पंचायत चुनाव 2018 के दौरान भी स्थिति कुछ ऐसी ही थी। पिछला चुनाव भी रक्तपात, हत्याओं और हिंसा से प्रभावित रहा था। पिछले पंचायत चुनाव में 34 प्रतिशत मतदाता सत्तारूढ़ मशीनरी द्वारा की गई हिंसा की वजह से अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर पाए थे। चुनाव के दिन विपक्षी दलों के 69 लोग मारे गए थे। यही कारण रहा कि सत्तारूढ़ दल ने 20,000 सीटों पर निर्विरोध जीत हासिल की थी। चौधरी ने कहा कि भारत जैसे देश में कभी भी आपने ऐसी रक्तरंजित हिंसा को नहीं देखा होगा और न ही सुना होगा। इस बार भी हम यही स्थिति देख रहे हैं। हमने राज्य चुनाव आयोग (SEC) और हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हाई कोर्ट ने हमारी शिकायत को गंभीरता से लिया। साथ ही एसईसी को केंद्रीय बलों को तैनात करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती बहुत जरूरी है, लेकिन राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। यह सरकार के दोगलेपन को दर्शाता है। राज्य सरकार ग्रामीण बंगाल में अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए एक बहुत ही भयावह योजना को पाल रही है। एसईसी सत्तारूढ़ के लिए दूसरी भूमिका निभा रहा है। यह दयनीय स्थिति है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय बलों की मांग के लिए हाई कोर्ट के आदेश पर बंगाल सरकार और एसईसी की आपत्तियों को खारिज कर दिया?
इस पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है, लेकिन केंद्रीय बलों को राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एसईसी के अध्यक्षता में तैनात किया जाएगा। वहीं समस्या की जड़ है। क्योंकि वही एसईसी, वही पुलिस, मुझे पूरा भरोसा है कि वे उन केंद्रीय बलों को गुमराह कर देंगे। इसलिए यह विकट स्थिति है। कई खामियां हैं। एसईसी और पुलिस की देखरेख में पंचायत और नगर पालिका चुनाव होते हैं। इसके विपरीत, जब सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र में हाल ही में उपचुनाव हुआ था, तो केंद्रीय बलों को पर्याप्त रूप से तैनात किया गया था, और लोग सुरक्षित महसूस करते हुए मतदान करने के लिए निकले थे। नतीजतन, कांग्रेस ने 23,000 से अधिक वोटों के अंतर से सीट जीती। पिछले विधानसभा चुनाव (2021 में) में इस सीट पर टीएमसी ने 53,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। यह क्या दिखाता है? कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर मतदाताओं को शांतिपूर्ण तरीके से मतदान करने की अनुमति दी जाती है तो परिणाम अलग हो सकते हैं। सत्ता पक्ष जानता है कि अगर पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण तरीके से हुए तो उन्हें झटका लगेगा।
चुनाव जीतने वाले कांग्रेस उम्मीदवार हाल ही में टीएमसी में शामिल हो गए?
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हां बिल्कुल वो लोग टीएमसी में शामिल हो गए। जिसाक प्रमुख कारण था कि उनको डराया गया था और उनको खुद भी डर था। चौधरी ने कहा कि यह सब अलग मुद्दा है,लेकिन एक भी वोटर उनके साथ नहीं गया। हम डराने-धमकाने की राजनीति और आतंक की राजनीति को बंगाल के इतिहास में अब एक अलग तरीके से देख रहे हैं।
आप बंगाल में टीएमसी से लड़ रहे हैं। शुक्रवार को आपके नेता पटना में अपनी पहली संयुक्त बैठक में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य विपक्षी नेताओं के साथ बैठेंगे और 2024 के लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ बीजेपी से निपटने की रणनीति पर चर्चा करेंगे. आप इसे कैसे देखते हैं?
इस सवाल के जवाब में अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह कहना मेरा हक नहीं है कि वे चर्चाएं कैसे होंगी या नहीं होंगी। लेकिन कड़वी सच्चाई वह है जो मैंने अभी आपको बताई थी। चौधरी ने कहा कि ममता बनर्जी विपक्षी बैठक में भाग लेने के लिए विवश हैं, क्योंकि वह तेजी से अपना राष्ट्रीय कद खो रही हैं। यह राष्ट्रीय स्तर पर खुद को एक राजनीतिक नेता के रूप में स्थापित करने की चाल के अलावा और कुछ नहीं है। वह दिल्ली में नहीं, बल्कि पटना में विपक्षी नेताओं के साथ शामिल हो रही हैं। यह एक और उनका दोहरा रवैया है।
कैसा दोहरा रवैया?
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ममता बनर्जी गठबंधन बनाने में बिल्कुल भी ईमानदार नहीं हैं। वह गठबंधन की राजनीति की एक बड़ी अंडरमाइनर (दूसरे को कम आंकने वाला) हैं। जिसके कई सारे उदाहरण है। चौधरी ने कहा कि ममता बनर्जी ने हमेशा विपक्षी एकता को कमजोर करने के लिए एक ट्रोजन हॉर्स (‘दुश्मन’ का समर्थन करने वाला समूह) की भूमिका निभाई है, ताकि विपक्ष को एकजुट न किया जा सके। कांग्रेस के लोकसभा सांसद ने कहा कि जब राहुल गांधी को सांसद के रूप में अयोग्य घोषित किया गया और जब उन्हें सरकारी आवास खाली करने के लिए कहा गया तो ममता बनर्जी ने विरोध में एक शब्द भी नहीं बोला। ममता ने गोवा, मेघालय और त्रिपुरा में कांग्रेस से लड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी। इतना ही नहीं, जब विपक्षी दलों ने सर्वसम्मति से धनखड़ (उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए) के खिलाफ एक संयुक्त उम्मीदवार खड़ा करने का फैसला किया था, तब भी उन्होंने इसका विरोध किया। इसलिए ऐसे कई उदाहरण हैं जो दिखाते हैं कि वह ईमानदार नहीं हैं (विपक्षी एकता के बारे में)। अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि अब वह अपना राष्ट्रीय कद खोती जा रही हैं, उनकी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी से राज्य की पार्टी में सिमट कर रह गई है। इसलिए वह अब खुद को बनाए रखने के लिए किसी तरह की राजनीतिक ऊंचाई हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। लेकिन बंगाल में स्थिति जस की तस बनी हुई है।
विपक्षी दल भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर कथित रूप से लोकतंत्र की हत्या करने, उन्हें चुप कराने और असंतोष को कुचलने का आरोप लगाते रहे हैं। यही आरोप अब आप ममता बनर्जी पर लगा रहे हैं?
इस सवाल के जवाब में अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि बंगाल में हम जुड़वां शैतान से लड़ रहे हैं – स्काइला और चारीबडीस। एक ओर साम्प्रदायिक राजनीति है तो दूसरी ओर साम्प्रदायिक रंग के मिश्रण वाली हिंसा और आतंक की राजनीति है।