कोरोनावायरस का संक्रमण रोकने को देश भर में 3 मई तक लॉकडाउन है। केंद्र और राज्य सरकारें जनता से कड़ाई से लॉकडाउन का पालन करने का आग्रह कर रही हैं। जनता लॉकडाउन का पालन कर भी रही है। कहीं-कहीं जरूर इसके तोड़ने की खबरें आ रही हैं। वहां, प्रशासन लॉकडाउन तोड़ने वालों से सख्ती से निपट रहा है। लेकिन जब प्रशासन ही लॉकडाउन तोड़ने लगे तब जनता क्या करे।

जी हां, उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में ऐसा ही मामला सामने आया है। वहां कमिश्नर और डीआईजी ने खुद लॉकडाउन तोड़ा है। इसके अलावा सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जियां उड़ाईं। लॉकडाउन में सभी धार्मिक स्थानों पर श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चित्रकूट धाम मंडल के कमिश्नर गौरव दयाल और डीआईजी दीपक रावत का काफिला शुक्रवार को चित्रकूट के बराहा स्थित हनुमान मंदिर पहुचा। मंदिर में ताला बंद था। अफसरों ने ताला खुलवाकर मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद वहां रहने वाले साधुओं में खाद्य सामग्री भी बांटी। इस दौरान कमिश्नर और डीआईजी ने सोशल डिस्टेंसिंग का कोई पालन नहीं किया। मौके पर कमिश्नर और डीआईजी के अलावा चित्रकूट और सतना के जिलाधिकारी भी मौजूद थे। उनके आसपास बहुत से लोगों की भीड़ भी लगी हुई थी।

दरअसल, यहां मंदाकिनी नदी की सफाई का काम चल रहा है। उसी संबंध में ये अधिकारी दौरे पर आए थे, लेकिन न सिर्फ उन्होंने लॉकडाउन तोड़ा, बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग की भी धज्जियां उड़ाईं। कमिश्नर गौरव दयाल और डीआइजी दीपक रावत ने अगल-बगड़ खड़े होकर मंदिर परिसर में मौजूद बंदरों को केला खिलाया। उनके आसपास काफी लोग खड़े थे, लेकिन एक बार भी उनका ध्यान भीड़ पर नहीं गया। न ही उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की चेतावनी दी।

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खास यह भी है कि इस मामले में जब सतना के डीएम अजय कटे शेरिया से पूछा गया तो उन्होंने उल्टे जनता को ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की नसीहत दे डाली। यह पूछने पर कि आपने इसे खुद पर क्यों नहीं लागू किया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। कमिश्नर गौरव दयाल और डीआईजी दीपक रावत ने भी कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।