कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच सरकार 21 दिन के लॉकडाउन को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है। हालांकि, इस लॉकडाउन का देश की दवा इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले हफ्तों में अगर लॉकडाउन जारी रहता है, तो इससे दवाओं और मेडिकल उपकरणों की कमी पैदा हो सकती है। औषधि विभाग ने गृह मंत्रालय को इस बारे में जानकारी भी दी है। विभाग ने कहा है कि लॉकडाउन के अंतर्गत जल्द फैसला लिए जाएं, ताकि दवाई बनाने के काम में तेजी लाई जा सके।
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द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, औषधि विभाग के सचिव पीडी वघेला ने केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को 9 अप्रैल को लिखे प्र में कहा कि इस वक्त दवाइयां और मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियां लॉकडाउन की वजह से औसत तौर पर अपनी क्षमता से सिर्फ 20-30 फीसदी पर ही काम कर पा रही हैं। ऐसे में अगर उत्पादन लॉकडाउन से पहले वाले स्तर पर नहीं पहुंचता है, तो आने वाले हफ्तों में देश में दवाइयों और मेडिकल उपकरणों की कमी आ सकती है।
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पत्र में बताया गया है कि भारत की फार्मास्यूटिकल आउटपुट का आधा हिस्सा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात किया जाता है, क्योंकि वहां इनकी अच्छी कीमत मिलती है, लेकिन इससे घरेलू बाजार में मेडिकल सप्लाई की कमी पैदा हो सकती है। ऐसी किसी भी स्थिति को रोकने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान किया था। इसमें आवश्यक सेवाओं में आने वाली सभी इकाइयों को छूट दी गई थी। मेडिकल सेवाओं में भी दवाइयां, वैक्सीन और मास्क बनाने वाली कंपनियों और उनके कर्मचारियों को छूट में शामिल किया गया था। हालांकि, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान में दिक्कतों की वजह से जमीनी स्तर पर चीजें अभी भी नहीं बदली हैं। इसके चलते ही औषधि विभाग ने एक बार फिर इस मामले को उठाया।
औषधि विभाग का कहना है कि मजदूरों और कामगारों के अपने गृहराज्य वापस लौटने और लॉकडाउन की वजह से परिवहन सेवा बंद होने की वजह से स्थानीय कामगार भी काम पर नहीं पहुंच रहे हैं। उन्हें अपने खिलाफ पुलिस कार्रवाई का डर है। साथ ही परिवार और स्थानीय समुदाय के डर की वजह से वे काम पर नहीं लौट रहे। इससे मेडिकल सेवाओं से जुड़ी फैक्ट्रियों को अपनी सामान्य क्षमता से कम काम करने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
चिट्ठी में औषधि विभाग ने गृह मंत्रालय से अपील की है कि वे फार्मा इंडस्ट्री से जुड़े अपने अनुबंधित कामगारों को वापस लाने दें और मेट्रो शहरों के साथ टियर-1 और टियर-2 शहरों में कोरियर सेवा को पूरी तरह शुरू करें, क्योंकि इसके जरिए ही दवाइयों और मेडिकल उपकरणों की सप्लाई तय हो पाएगी।
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