चीन के मुद्दे पर पूर्व मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कहा है कि भारत की ओर से सुनहरा मौका छोड़ दिया गया। देश को ड्रैगन को कड़ा जवाब देना चाहिए था। आखिरकार हथियार किसलिए खरीदे गए हैं, वे सिर्फ 26 जनवरी की परेड में शक्ति प्रदर्शन के लिए नहीं बने हैं।

ये बातें उन्होंने रविवार (20 जून, 2021) को “वर्ड्स ऑफ विस्डमः ज्ञान गंगा” आनलाइन परिचर्चा के दौरान बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी के सामने कहीं, तो वह मुस्कुराने लगे। दरअसल, स्वामी ने पूछा था कि चीन ने जो कुछ भी किया, हम उसके बाद भी खुलकर उसे “आक्रामक” क्यों नहीं कह पा रहे हैं? बख्शी बोले, “मैं सैनिक के नाते दो टूक कह रहा हूं कि हमने अपने विदेश मंत्रालय में कायरता को संस्थागत रूप दिया है।” यह कहते ही स्वामी ठहाका लगाकर हंसने लगे। फिर आगे बख्शी बोले- नेहरू काल में इसकी शुरुआत हुई। तब बड़ा झूठ बोला गया था कि हमें अपनी आजादी मिल गई है। आप जानते ही हैं…अहिंसा और असहयोग आंदोलन…शुद्ध झूठ, यह तो आप और मैं जानते हैं। पर उन्होंने उस झूठ को संस्थागत बनाया। नेहरू काल में दुनियाभर में शांति का संदेश देने की बात कही गई। विदेश मंत्रालय भी हमेशा शांति को ध्यान में रखकर चीजें सोचता-विचारता है। यही वजह है कि सैन्य बलों और रक्षा मंत्रालय के साथ टकराव पैदा होता है।

बकौल बख्शी, “सेना या रक्षा मंत्रालय को थोड़ा चीजें संभालना चाहिए, क्योंकि विदेश मंत्रालय का शांति के मोर्चे को ध्यान में रखते हुए बढ़ना, जबकि सेना और रक्षा मंत्रालय का जिम्मा मोर्चा संभालना है। लोहा लेना है।”

उन्होंने बातचीत के दौरान आगे यह तक कह दिया कि हम नौकरशाही स्तर पर मानसिक कायर हैं। चीन को जवाब दिया जाना चाहिए थ। हम लोगों ने स्वर्णिम मौका खो दिया। दुनिया में भारत की छवि भी अपग्रेड हो जाती है…कहा जाता है कि चीन के खिलाफ इकलौता भारत ही खड़ा हुआ। चीन की सेना अब पहले जैसी (1962) नहीं है। वहां के लोग चार साल के लिए सेना में आते हैं और इस तरह का सैनिक युद्ध नहीं लड़ सकता। कड़ी जंग में वह टिक न पाते। हमें अगर यह मालूम था, तो हमें जरूरी कदम उठाना चाहिए था। आखिरकार हथियार किसलिए खरीदे थे…वो सिर्फ गणतंत्र दिवस परेड के लिए नहीं बने हैं।

बख्शी की इसी बात पर स्वामी फिर से मुस्कुराने लगे। देखें, आगे क्या हुआः