उत्तराखंड के केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की तारीख का एलान हो गया है। 20 नवंबर को केदारनाथ उपचुनाव के लिए मतदान होगा। 23 नवंबर को चुनावी नतीजे आएंगे। 22 अक्तूबर से लेकर 29 अक्तूबर तक पर्चा पर्चे भरे जाएंगे। 30 अक्तूबर को नामांकन वापस लेने की तारीख तय की गई है। चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होते ही भाजपा और कांग्रेस में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। दोनों दलों में टिकट के दावेदार आधा दर्जन से ज्यादा है।

भाजपा की विधायक शैला रानी रावत के निधन के बाद खाली हुई केदारनाथ सीट पर यह उपचुनाव सत्तारूढ़ भाजपा के लिए इज्जत की लड़ाई बनी हुई है। यह उपचुनाव राज्य की राजनीति की दिशा और दशा तय करेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए यह उपचुनाव साख का सवाल बना हुआ है। पिछले दिनों राज्य में हुए दो उपचुनावों बद्रीनाथ और मंगलौर में भाजपा चुनाव हार गई थी। वैसे यह दोनों विधानसभा सीटें भाजपा की नहीं थी।

बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर 2022 में कांग्रेस के उम्मीदवार कंडारी जीते थे लोकसभा चुनाव में इस बार में विधायकी और कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में चले गए। और उन्हें बद्रीनाथ के मतदाताओं ने दल बदल करने का कड़ा सबक सिखाया और बुरी तरह हरा दिया। और इस सीट पर कांग्रेस ने फिर से कब्जा जमा लिया। हरिद्वार जनपद की मंगलौर विधानसभा सीट बसपा के कब्जे में थी। बसपा और भाजपा दोनों को हराकर कांग्रेस के काजी निजामुद्दीन ने कड़े संघर्ष के बाद यह सीट जीती थी। इन दोनों सीटों पर उपचुनाव जीतने के बाद कांग्रेस बहुत उत्साहित है। परंतु हरियाणा के विधानसभा चुनाव में हार का मुंह देखने के बाद कांग्रेस का उत्साह पहले के मुकाबले ठंडा पड़ा है। वहीं हरियाणा चुनाव जीतने के बाद भाजपा में आत्म विश्वास बढ़ा है।

मुख्यमंत्री ने कई योजनाओं का किया लोकार्पण

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले 15 दिनों में केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के तूफानी दौरे किए और कई घोषणाएं केदारनाथ विधानसभा सीट के लिए की। और कई योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक कोई विधायक चुनकर इस सीट पर नहीं आता तब तक वह इस सीट के स्वयं विधायक हैं और जनता से उन्होंने केदारनाथ विधानसभा सीट पर भाजपा को भारी बहुमत से जिताने की अपील की। इससे साफ जाहिर है कि मुख्यमंत्री धामी केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। और पिछले कई महीनों से भाजपा और आरएसएस के कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर संपर्क कर रहे हैं। धरातल पर भाजपा के मुकाबले कांग्रेस पिछड़ी हुई नजर आ रही है। कांग्रेस ने हरिद्वार हर की पैड़ी से केदारनाथ तक की यात्रा की और दिल्ली में केदारनाथ धाम की प्रतिकृति बनाई जाने का मुद्दा जोर-जोर से उठाया। परंतु मुख्यमंत्री ने केदारनाथ धाम की प्रतिकृति पर पाबंदी लगा दी और यह अध्यादेश पास कर दिया कि केदारनाथ और चारों धामों के नाम पर कहीं भी मंदिर नहीं बनाया जा सकता।

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ऐसा कड़ा कदम उठाकर मुख्यमंत्री धामी ने कांग्रेस के इस मुद्दे की हवा ही निकाल दी। बद्रीनाथ और मंगलौर उपचुनाव हारने के बाद भाजपा केदारनाथ विधानसभा के उप चुनाव में कोई कसर नही छोड़ना चाहती है।

यही वजह है कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए ताबड़तोड़ घोषणाएं की हैं। भाजपा बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव में मिली हार से सबक ले चुकी है और विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती। केदारघाटी के बाजारों, कस्बों और गांवों में भाजपा का सक्रिय जनसंपर्क जारी है। भाजपा यहां जीत का परचम लहराती है तो ये राज्य सरकार के कामकाज पर जनता का समर्थन साबित होगा।

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यदि भाजपा केदारनाथ चुनाव हारती है तो राज्य की राजनीति में भारी उथल-पुथल मचने की संभावना है। वहीं कांग्रेस के लिए भी केदारनाथ में जीत दर्ज करके अपनी प्रतिष्ठा बचाने का मौका है। अगर केदारनाथ में उपचुनाव जीत जाती है तो ये उसके लिए संजीवनी से कम नही होगा। कांग्रेस यहां यात्रा मार्ग पर आपदा का मुद्दा भुनाना चाहेगी। साथ ही केदारनाथ धाम में निर्माण कार्यों , मंदिर के गर्भगृह में सोने की परत चढाने के मुद्दे पर भी चुनावी माहौल गर्माने की पूरी संभावना है।

अब तक केदारनाथ विधानसभा सीट पर तीन बार भाजपा दो बार कांग्रेस रही विजय

9 नवंबर 2000 में उत्तराखंड राज्य बनने के बाद केदारनाथ विधानसभा में पांच बार चुनाव हो चुके हैं। जिसमें से 3 बार भाजपा औरÞ दो बार कांग्रेस विजयी रही है। 2000 में भाजपा की आशा नौटियाल ने कांग्रेस की शैलारानी रावत को हराया और इस सीट पर उन्हें पहली महिला विधायक बनने का गौरव प्राप्त हुआ।2007 में एक बार फिर भाजपा की आशा नौटियाल विधायक बनीं। इस बार उन्होंने कांग्रेस के कुंवर सिंह नेगी को हराया। 2012 में कांग्रेस ने शैलारानी रावत पर दांव खेला और उन्होंने भाजपा की आशा नौटियाल को हराया। 2016 में कांग्रेस में भारी बगावत हुई और विजय बहुगुणा खेमे की नेता विधायक शैलारानी रावत ने भाजपा का दामन थाम लिया। 2017 में भाजपा ने शैलारानी को मैदान में उतारा, लेकिन कांग्रेस के मनोज रावत ने मोदी लहर के बावजूद यह सीट कांग्रेस के खाते में डाली। 2022 में एक बार फिर से भाजपा ने शैला रानी रावत को टिकट दिया। इस बार उन्होंने निर्दलीय कुलदीप रावत को मात दी। कांग्रेस इस चुनाव में तीसरे नंबर पर रही।

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भाजपा से इस बार केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में पूर्व विधायक और प्रदेश महिला भाजपा की अध्यक्ष आशा नौटियाल,कुलदीप, बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, दिवंगत विधायक शैला रानी रावत की बेटी तथा कई अन्य भाजपाई अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस से पूर्व विधायक मनोज रावत, कुंवर सजवाण , पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत समेत अन्य दावेदार है।

भाजपा और कांग्रेस कर रही है जीत का दावा

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष करण महरा अपनी-अपनी पार्टी की जीत के दावे बढ़-चढ़कर कर रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भट्ट का कहना है कि केदारनाथ विधानसभा का उपचुनाव भाजपा भारी अंतर से जीतेगी। भाजपा को इस सीट पर सहानुभूति लहर और मुख्यमंत्री द्वारा की गई ताबड़तोड़ घोषणाओं पर पूरा भरोसा है।