महाराष्ट्र में शरद पवार के कुनबे में फूट का फायदा उठाने के लिए लगता है के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने कमर कस ली है। केसीआर भारत राष्ट्र समिति पार्टी (बीआरएसपी) के मुखिया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं। शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में टूट और अजित पवार की बगावत के बाद महाराष्ट्र में वह अपने लिए अच्छी संभावना देख रहे हैं। इससे पहले शिवसेना में भी टूट हो चुकी है। केसीआर कुछ महीनों से महाराष्ट्र में विशेष सक्रिय हैं। बीआरएसपी का कहना है कि महाराष्ट्र में अब उसके सदस्यों की संख्या करीब 15 लाख हो गई है। इससे पार्टी उत्साह में है।
महाराष्ट्र में बढ़ी बीआरएस की सक्रियता
बीआरएसपी प्रमुख केसीआर ने महाराष्ट्र में पार्टी का प्रभारी नियुक्त करने के साथ-साथ अपनी अध्यक्षता में 15 सदस्यीय संचालन समिति भी बना दी है। केसीआर ने अपने भतीजे के. वंशीधर राव को महाराष्ट्र में बीआरएसपी का प्रभारी बनाया है। राज्य के सभी 36 जिलों में कोऑर्डिनेटर भी बहाल किए गए हैं। संचालन समिति में नई नियुक्ति की गई है। संचालन समिति के 15 सदस्यों में से पांच पूर्व विधायक या सांसद हैं। महाराष्ट्र में तीन नए क्षेत्रीय कार्यालय खोलने पर भी काम तेज हो गया है।
बीआरएस ने महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा क्षेत्रों में अपना कार्यालय खोल लिया है और इनमें प्रभारी बहाल कर लिया है। बीआरएस ने 28 जुलाई को नागपुर डिविजन के लिए पूर्व विधायक चरण वाघमारे को कोऑर्डिनेटर बनाए जाने की भी घोषणा की। वाघमारे भाजपा के विधायक हुआ करते थे। उनसे पहले कोऑर्डिनेटर का काम देख रहे द्यानेश वाकुदर को राज्य संचालन समिति का सदस्य बनाया गया। छह रीजनल और 36 डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेटर की भी नियुक्ति की गई है।
महाराष्ट्र में क्षेत्रीय स्तर पर अभी केवल नागपुर में बीआरएस का ऑफिस है। इसका उदघाटन करीब छह महीने पहले हुआ है। अब पुणे, औरंगाबाद और मुंबई में भी जल्द क्षेत्रीय कार्यालय खोलने का विचार है। पार्टी से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि अक्टूबर तक पुणे में पार्टी का दफ्तर शुरू हो जाएगा। इसके तुरंत बाद मुंबई और औरंगाबाद में भी कार्यालय खुल जाएंगे।
गठबंधन से दूर चलने की नीति
माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में फोकस करने के साथ-साथ कुछ महीनों में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में बीआरएस पार्टी अपने कदम रख सकती है। लोकसभा चुनाव तक हिंंदी पट्टी के इन दो राज्यों में बीआरएस की कुछ एक्टिविटी देखी जा सकती है। केसीआर फिलहाल किसी गठबंधन का दामन थामने में अपना फायदा नहीं देख रहे हैं। न एनडीए में और न ही नया नाम वाले ‘इंडिया’ में। बता दें कि 17-18 जुलाई को एनडीए के खिलाफ एकजुट होने के लिए बेंगलुरु में विपक्षी दल जुटे थे। वहां उन्होंने अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ तय किया था।
किसानों पर बड़ा दांव खले रहे केसीआर?
केसीआर किसानों पर सबसे बड़ा दांव खेल रहे हैं। अपने राज्य तेलंगाना में भी और महाराष्ट्र में भी। केसीआर महाराष्ट्र में रैलियां करते हैं तो तेलंगाना में चला रहे सरकारी योजनाओं को शोकेस करते हैं। इसके लिए सभास्थल पर बड़ी एलईडी स्क्रीन्स लगाई जाती हैं और किसानों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का प्रमुखता से प्रदर्शन करते हैं।
तीन अगस्त से उन्होंने तेलंगाना में किसानों के कर्ज माफ करने का एक और अभियान शुरू किया है। इसके तहत 19000 करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया जाना है। राज्य विधानसभा चुनावों से ऐन पहले मुख्यमंत्री के इस कदम की विपक्ष यह कह कर आलोचना कर रहा है कि केसीआर अवसरवादी हैं और केवल चुनाव के वक्त ही किसानों को याद करते हैं। बता दें कि इस साल के अंत में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने हैं।
इतने समय तक केसीआर कहां थे?
तेलंगाना बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता के. कृष्णा सागर राव का कहना है कि यह तो 2018 का किया गया वादा है। इतने समय तक केसीआर कहां थे? अब चुनाव से तीन महीने पहले अचानक उनको यह वादा यादा आया है।
केसीआर का जवाब
केसीआर का कहना है कि नोटबंदी, कोरोना, केंद्र सरकार द्वारा एफआरबीएम फंड में एकतरफा कटौती और तेलंगाना को जारी किए जाने वाले फंड को लेकर गुटबाजी के कारण किसान ऋण माफी कार्यक्रम में देरी हुई है। मुख्यमंत्री ने सितंबर के दूसरे सप्ताह तक किसानों को 19000 करोड़ रुपए की कर्जमाफी की प्रक्रिया पूरी कर लेने के लिए कहा है।
2020 में 466 किसानों ने की थी खुदकुशी
तेलंगाना सरकार लगाताार किसानों की हितैषी होने और उनके लिए कई योजनाएं चलाने का दावा करती रही है। हालांकि, इसके बावजूद किसानों की आत्महत्या के मामले में राज्य का रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। इस मामले में 2019 और 2020 में तेलंगाना देश भर में चौथे नंबर पर था।
तेलंगाना में 2020 में 466 किसानों ने खुदकुशी कर ली थी। इनमें से 123 किसान ऐसे थे जो जमीन पट्टे पर लेकर खतेी करते थे। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक 2020 में देश भर में कुल 5567 किसानों ने आत्महत्या की थी। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में क्रमश: 2567, 1072 और 563 किसोंने ने जान दी थी। इसके बाद तेलंगाना का नंबर था। हालांकि, 2019 की तुलना में (499) में 2020 में संख्या थोड़ी कम थी।