Delhi Riots 2020 Case: दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को JNU के पीएचडी छात्र शरजील इमाम को गिरफ्तार कर लिया। स्पेशल सेल ने यह कार्रवाई फरवरी में हुई उत्तरी दिल्ली हिंसा के सिलसिले में Unlawful Activities Prevention Act (UAPA) के तहत की है। रविवार को ही इमाम को प्रोडक्शन वॉरंट पर असम से दिल्ली लाया गया था।
दिल्ली पुलिस द्वारा अप्रैल में दाखिल की गई चार्जशीट में इमाम पर राजद्रोह का मुकदमा था। दिल्ली के एक कोर्ट में उस पर आरोप है कि उसने ‘देश की अखंडता और संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों’ में लोगों को शामिल होने के लिए उकसाया था।
चार्जशीट में आरोप है कि इमाम ने खुलेआम देश के संविधान का अपमान किया और उसे एक “फासीवादी” दस्तावेज करार दिया। दिल्ली लाए जाने से पहले इमाम गुवाहाटी की जेल में भड़काऊ भाषण देने के मामले में बंद था। यह बयान उसने पिछले साल CAA विरोधी प्रदर्शनों के दौरान दिया था। इमाम, Covid-19 संक्रमित भी है और उसकी रिपोर्ट 21 जुलाई को पॉजिटिव आई थी।
इससे पहले, 31 वर्षीय इमाम को इसी साल 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया था। यूपी के AMU में एक बयान को लेकर उस पर IPC की धारा 124 A (देशद्रोह), 153 A (धर्म, नस्ल, जन्मस्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य की भावना को बढ़ावा देने) और 505 (सार्वजनिक उपद्रव के लिए जिम्मेदार बयान) के तहत मामले दर्ज हैं। आरोप है कि इमाम ने भारत से असम और देश के उत्तर पूर्वी हिस्से को ‘काटने’ की बात कही थी।
दिल्ली के अलावा शरजील के खिलाफ यूपी, मणिपुर, अमस और अरुणाचल प्रदेश में राजद्रोह के मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। यही नहीं, वह JMI में 13 और 15 दिसंबर को हुई हिंसा से जुड़े दो मामलों में भी पूर्व में गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें उस पर 13 दिसंबर को दिए एक भाषण के जरिए लोगों और हिंसा को भड़काने का आरोप है।
इसी बीच, दिल्ली हाईकोर्ट ने एक आरोपी की उस याचिका पर पुलिस से जवाब तलब किया, जिसमें फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित एक मामले में जांच पूरी करने के लिए और समय दिए जाने को चुनौती दी गई है। आरोपी पर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मुकदमा दर्ज है।
न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने खालिद की याचिका पर पुलिस को नोटिस जारी किया जोकि ”यूनाइटेड अगेंस्ट हेट” नाम के अभियान समूह का सदस्य है और इस मामले में न्यायिक हिरासत में है। आरोपी ने निचली अदालत के 13 अगस्त के आदेश को रद्द करने का अुनरोध किया है, जिसके तहत पुलिस को मामले में यूएपीए के अंतर्गत 10 लोगों के खिलाफ जांच पूरी करने के लिए 17 सितंबर तक का समय दिया गया था।
याचिका में निचली अदालत के फैसले पर रोक के साथ ही मामले के लंबित रहने तक जमानत पर रिहा किए जाने का भी अनुरोध किया गया। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई एक सितंबर के लिए निर्धारित की।