भाजपा ने बुधवार को आरोप लगाया कि इशरत जहां मुठभेड़ मामले में एफिडेविट राजनीतिक स्तर पर बदले गए थे। इसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमेाहन सिंह, गृह मंत्री पी चिदम्बरम और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी शामिल थीं। पार्टी ने इस मामले में कांग्रेस से जवाब मांगा है। संसदीय कार्य मंत्री एम वैंकेया नायड ने आरोप लगाया कि यूपीए सरकार ने राजनीतिक विरोधी और उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को परेशान करने के लिए सीबीआई का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा कि संसद में इस मुद्दे पर बहस की जानी चाहिए थी।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, ‘पहले लश्कर ए तैयबा की वेबसाइट, फिर डेविड हेडली का बयान और अब केंद्र सरकार के गुजरात हाईकोर्ट में दिए गए एफिडेविट से यही साफ होता है। आईबी ने भी यहीं कहा। इन सबके बावजूद उन्होंने एफिडेविट बदल दिया। पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई भी अब यही कह रहे हैं कि एफिडेविट को बदलने का काम राजनीतिक स्तर पर हुआ। राजनीतिक स्तर मतलब गृह मंत्री पी चिदम्बरम, प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष। ये तीनों लोग इस मामले से जुड़े हुए थे।’ उन्होंने अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि किस तरह से पूर्ववर्ती सरकार ने सीबीआर्इ के जरिए सरकारी अधिकारियों का शोषण किया। यह सब नरेंद्र मोदी को रोकन और उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया।
लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बारे में कहा, ‘मुझे इस मामले में जानकारी नहीं है। अच्छा होगा चिदंबरम खुद बोलें। मैं इस पर कमेंट नहीं करना चाहता।’ सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उस समय कांग्रेस पार्टी और पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने जो किया वह देश विरोधी है। उन्होंने कहा, ‘यह आतंकियों की मदद करने जैसा है। मामले की जांच होनी चाहिए और दोषियों को सजा दी जानी चाहिए।’