Article 370: जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को लेकर पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार ने बड़ा बयान दिया है। पाकिस्तान की जर्नलिस्ट मुनीजा जहांगीर को हाल में दिए एक इंटरव्यू में हिना रब्बानी खार कहा कि जब तक भारत जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को बहाल नहीं करता है, तब तक हमारी उनसे किसी भी मुद्दे पर बात संभव नहीं हो सकती। इसके बाद हिना ने कहती हैं कि बहुत से लोग शांति और अमन की आशा की बात करते हैं,लेकिन पाकिस्‍तान पीपुल्‍स पार्टी के दौर में व्‍यापार संबंधों को सामान्‍य करने और वीजा को फिर से शुरू करने की पहल की गई थी। जब मैं 10 साल पहले भारत के दौरे पर गई थी तो उन्‍हें मोस्‍ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा देने की बात की जिसे पीएमएल-एन ने भी सपोर्ट किया।

इंटरव्यू के दौराना मुनीजा ने हिना को बताया कि भारत कश्‍मीर के मसले पर अड़ा है तो इसका मतलब तो यही हुआ कि अगर कश्‍मीर पर कुछ नहीं होगा तो वार्ता भी आगे नहीं बढ़ेगी। इस पर हिना ने कहा कि वर्तमान स्थितियों में तो वार्ता संभव नहीं है। हिना का कहना था कि पिछले 10 साल में भारत की तरफ से सिर्फ खतरनाक रवैया देखने को मिला है।

कुछ दिनों पहले भी हिना ने भारत को लेकर एक बड़ा बयान दिया था। हिना ने एक कार्यक्रम में भारत को ‘पश्चिमी देशों का डार्लिंग’ करार दिया था। साथ ही उन्‍होंने यह भी कहा था कि जब बात पूरब की होती है तो उसका रवैया हमेशा लड़ाकू या युद्ध के लिए तैयार रहने वाला होता है।

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत से बात करने मंशा जाहिर की थी। शरीफ ने कहा कि दोनों देश तब तक ‘सामान्य पड़ोसी’ नहीं हो सकते, जब तक कि गंभीर मुद्दों पर शांतिपूर्ण और सार्थक चर्चा नहीं होती। वहीं दूसरी तरफ मंत्री हिना रब्बानी खार के तरफ से इस तरह का बयान पाकिस्तान के दोहरी मानसिकता को दर्शाता है।

पाकिस्तानी विदेश राज्य मंत्री खार का बयान साफ संकेत देता है कि पाकिस्तान भारत के साथ तभी राजनयिक संबंधों को फिर से स्थापित करेगा, जब तक भारत कश्मीर में आर्टिकल 370 को बहाल न कर दे। बता दें, केंद्र सरकार ने आज ही के दिन यानी 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 और 35A को निरस्त कर दिया था।

जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति ऐतिहासिक रूप से अनुच्छेद 370 में निहित थी, जिसने इस क्षेत्र को शासन, कानून और भूमि स्वामित्व में महत्वपूर्ण वरीयता प्रदान की थी। इसे रद्द करने को पाकिस्तान ने कश्मीरी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन और क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने के कोशिश के रूप में माना था।