उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्णाण से पहले पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश ने तल्ख तेवर अपनाए हैं। कहा है कि भारत ऐसा कोई भी कदम न उठाए, जिसकी वजह से दोनों देशों के ऐतिहासिक रिश्तों को किसी तरह का भी नुकसान पहुंचे। रविवार को ये बयान वहां के विदेश मंत्री एके अब्दुल मोमेन की ओर से आया है।
मंदिर निर्माण के संदर्भ में मोमेन बोले- दोनों ही देश अपने रिश्ते नहीं खराब करेंगे। हालांकि, भारत को ऐसे किसी भी कदम या फैसले से बचना चाहिए, जिससे कि बांग्लादेश के साथ उसके गहरे जुड़ाव को ठेस पहुंचे।
अंग्रेजी अखबार ‘The Hindu’ ने मोमेन के हवाले से कहा- हम इसे (मंदिर निर्माण) मंजूर दोनों देशों के रिश्तों को ठेस पहुंचाने के लिए नहीं होने देंगे, पर हम फिर भी अपील करेंगे कि भारत ऐसे किसी भी कदम को अनुमति न दे, जिससे हमारे खूबसूरत और गहरे संबंध में दरार आए। ये चीज दोनों ही देशों पर लागू होती है और मैं यही कहूंगा कि दोनों मुल्क ऐसी चीजों से बचने की दिशा में काम करें।
बांग्लादेशी टिप्पणीकारों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि पांच अगस्त, 2020 को अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन और निर्माण कार्य का उद्घाटन मौजूदा बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना के विपक्षियों को नया राजनीतिक मौका दे सकता है।
बांग्लादेश में एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत ‘टू नेशन थ्योरी’ की ओर बढ़ रहा था और मंदिर निर्माण के जरिए पड़ोसी देश के लोगों के ऊपर भावनात्मक असर पड़ेगा।
‘अयोध्या में धार्मिक समारोह का दूरदर्शन पर प्रसारण नहीं हो’: इसी बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के सांसद विनय विश्वम ने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को सोमवार को पत्र लिखकर कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम का दूरदर्शन पर प्रसारण करना ‘ राष्ट्रीय अखंडता के स्वीकार्य प्रावधानों के विरूद्ध होगा।’
विश्वम ने कहा कि प्रसार भारती अधिनियम की धारा 12 (2) (ए) स्पष्ट करती है कि राष्ट्रीय प्रसारण सेवा का उद्देश्य देश की एकता और अखंडता तथा संविधान में निहित मूल्यों को बरकरार रखना है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश के लिए राष्ट्रीय प्रसारक की स्थापना धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सौहार्द के सिद्धांतों पर हुई थी। पांच अगस्त को अयोध्या में धार्मिक समारोह के प्रसारण के लिए दूरदर्शन का इस्तेमाल करना राष्ट्रीय अखंडता के स्वीकार्य प्रावधानों के विपरीत है।’’