Mamata Banerjee Burn Remark: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद (टीएमसीपी) की स्थापना दिवस रैली में की गई हालिया टिप्पणियों पर असम और मणिपुर के मुख्यमंत्रियों की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। रैली को संबोधित करते हुए ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चेतावनी दी कि अगर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बंगाल में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश करती है, तो इसका असर दूसरे राज्यों पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा, “अगर आप बंगाल जलाएंगे, तो असम, पूर्वोत्तर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली भी जलेंगे।
जवाब में असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ममता पर अपनी कमियों को छिपाने के लिए जनता को भड़काने की कोशिश करने का आरोप लगाया। सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “दीदी, असम को धमकाने की आपकी हिम्मत कैसे हुई? हमें खून से लथपथ आंखें मत दिखाइए। अपनी विफलता की राजनीति से भारत में आग लगाने की कोशिश मत कीजिए।” सरमा ने यह भी कहा कि विभाजनकारी भाषा बनर्जी को शोभा नहीं देती।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी बनर्जी की टिप्पणी की निंदा की और पूर्वोत्तर तथा देश के बाकी हिस्सों से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगने की मांग की। एक्स पर एक पोस्ट में बीरेन सिंह ने लिखा, “दीदी की हिम्मत कैसे हुई पूर्वोत्तर को धमकाने की? मैं इस तरह की गैरजिम्मेदाराना टिप्पणियों की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। उन्हें पूर्वोत्तर तथा देश के बाकी हिस्सों से सार्वजनिक रूप से माफ़ी मांगनी चाहिए।”
सिंह ने बंगाल की मुख्यमंत्री से विभाजनकारी राजनीति के ज़रिए हिंसा और नफ़रत भड़काने से बचने का आग्रह किया और कहा कि इस तरह का व्यवहार एक राजनीतिक नेता के लिए अनुचित है।
पश्चिम बंगाल भाजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने भी ममता बनर्जी के बयान की कड़ी आलोचना की। उन्होंने ममता बनर्जी पर राष्ट्र विरोधी टिप्पणी करने का आरोप लगाया। साथ ही इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर उनके बयान का संज्ञान लेने की अपील की। मजूमदार ने ममता पर बदले की राजनीति का खुलेआम समर्थन करने का आरोप लगाया और शाह से पश्चिम बंगाल के लोगों के हितों की रक्षा करने का अनुरोध किया।
सुकांत मजूमदार ने कहा, ‘एक मुख्यमंत्री के लिए, जो संवैधानिक रूप से पक्षपातपूर्ण रवैये से ऊपर उठने के लिए बाध्य है, इस तरह के डराने वाले बयान देना अकल्पनीय और अभूतपूर्व है जो लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा करते हैं।”
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी ममता के बयान की आलोचना की और दावा किया कि उनकी प्राथमिकता न्याय नहीं बल्कि बदला है। 40 करोड़ भारतीय पश्चिम बंगाल की बेटी के लिए न्याय मांग रहे हैं। ममता बनर्जी की प्राथमिकता न्याय नहीं बल्कि बदला है। जब एक सीएम कहता है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, पूर्वोत्तर और ओडिशा जल जाएगा, तो मैं पूछना चाहता हूं कि क्या अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, आप या गौरव गोगोई इस बयान का समर्थन करते हैं। क्या न्याय की मांग करने वाले लोग अशांति पैदा कर रहे हैं?’
उन्होंने कहा, ‘जब ममता बनर्जी कहती हैं कि न्याय की मांग करना अशांति पैदा करने जैसा है तो यह प्रदर्शनकारियों और डॉक्टरों का अपमान है। उन्होंने कहा, “वह संविधान विरोधी बयान दे रही हैं और संविधान की प्रति लेकर घूमने वाले राहुल गांधी इस पर एक शब्द भी नहीं बोलते।”
बता दें, यह पूरा विवाद टीएमसीपी की स्थापना दिवस रैली में ममता के संबोधन के दौरान पैदा हुआ, जहां उन्होंने भाजपा पर पश्चिम बंगाल को बदनाम करने और हाल ही में हुई बलात्कार-हत्या की घटना की जांच को पटरी से उतारने की साजिश रचने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी घोषणा की कि टीएमसी केंद्र पर बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड अनिवार्य करने वाला कानून पारित करने के लिए दबाव बनाने के लिए जमीनी स्तर पर आंदोलन शुरू करेगी।
ममता ने यह भी कहा कि संशोधित विधेयक विधानसभा के विशेष सत्र में पारित किया जाएगा और मंजूरी के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा। उन्होंने धमकी दी कि अगर राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी देने में देरी की तो वह राजभवन के बाहर धरना देंगी, जिसमें महिलाएं सबसे आगे होंगी और उनके भाई भी होंगे। जिस घटना ने इस विवाद को जन्म दिया, वह 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्प